
Chaitra Amavasya: हिंदू धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है. माना जाता है कि अमावस्या पर पूजा करने पर या दीया भर जला देने पर पितृ दोष (Pitra Dosh) दूर होता है. वहीं, काल सर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए भी अमावस्या पर पूजा की जाती है. अमावस्या तिथि का धार्मिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है और पितरों को प्रसन्न करने के लिए भी यह दिन महत्वपूर्ण है. अमावस्या पर स्नान और दान भी किया जाता है. हर महीने अमावस्या पड़ती है. चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या कहते हैं. इसे दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. चैत्र माह की अमावस्या आज 29 मार्च, शनिवार के दिन है. शनिवार के दिन पड़ने के चलते यह शनि अमावस्या या शनिचरी अमावस्या (Shanichari Amavasya) कहलाती है. यहां जानिए अमावस्या पर स्नान और दान का क्या मुहूर्त है, क्या चीजें दान में दी जा सकती हैं और पितृ दोष दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है.
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चैत्र अमावस्या पर स्नान और दान का मुहूर्त | Chaitra Amavasya Snan Daan Shubh Muhurt
आज सुबह 4 बजकर 42 मिनट से सुबह 5 बजकर 29 मिनट तक स्नान और दान का शुभ मुहूर्त था. इसके बाद अभिजीत मुहूर्त पर भी स्नान और दान किया जा सकता है. अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 19 मिनट से दोपहर 1 बजकर 8 मिनट तक रहने वाला है.
कैसे मिलेगा पितृ दोष से छुटकारा (Pitra Dosh Upay)अमावस्या पर पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए स्नान और दान किया जा सकता है. इस दिन दान में काले तिल, उड़द की दाल और सरसों का तेल दे सकते हैं. घर के मुख्य द्वार पर दीपर जलाया जा सकता है, दक्षिण दिशा में पितरों की तस्वीर के सामने और पीपल के वृक्ष के नीचे दीया जलाना शुभ होता है. अमावस्या के दिन पितृ दोष दूर करने के लिए पीपल के पेड़ पर दूध या जल भी चढ़ा सकते हैं. अमावस्या पर गाय को हरा चारा या रोटी खिलाई जा सकती है. इस दिन कौवे को रोटी खिलाना भी शुभ माना जाता है और कहते हैं इससे पितृ दोष हटता है.
इन मंत्रों का कर सकते हैं जाप (Amavasya Mantra)- गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम
गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
- ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
- ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।
शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
- ॐ पितृ देवतायै नम:
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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