फाईल फोटो
नयी दिल्ली:
केंद्र सरकार ने सांडों को काबू में करने के खेल जल्लीकट्टू को मंजूरी देने के लिए आज एक अधिसूचना जारी की। पशु अधिकार समूहों की आपत्तियों के बावजूद देश के दूसरे हिस्सों में जल्लीकट्टू और बैल गाड़ियों की दौड़ को मंजूरी दी गयी है।
पोंगल के त्यौहार से थोड़े ही समय पहले फैसला आने के साथ तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों में पटाखे छोड़कर और मिठाइयां बांटकर जश्न मनाया गया। जल्लीकट्टू तमिलनाडु में पोंगल के त्यौहार के हिस्से के तौर पर मट्टू पोंगल के दिन आयोजित किया जाता है।
क्या लिखा है अधिसूचना में...
अधिसूचना में कहा गया, ‘‘केंद्र सरकार इस तरह निर्दिष्ट करती है कि यह अधिसूचना जारी करने की तारीख से प्रभाव के साथ भालू, बंदर, बाघ, चीते और सांड को प्रदर्श पशुओं (परफॉर्मिंग एनिमल) के तौर पर प्रदर्शित या प्रशिक्षित नहीं किया जाएगा।’’
इसमें कहा गया, ‘‘हालांकि किसी समुदाय के रीति रिवाजों या परंपराओं के तहत तमिलनाडु में जल्लीकट्टू और महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, केरल और गुजरात में बैलगाड़ी की दौड़ जैसे कार्यक्रमों में सांडों को प्रदर्श पशु के तौर पर प्रदर्शित या प्रशिक्षित करना जारी रखा जा सकता है।’’
दो किलोमीटर से लम्बा नहीं होगा ट्रैक
हालांकि केंद्र ने कुछ शर्तें भी रखी हैं। शर्तों के अनुसार बैल गाड़ी की दौड़ एक नियमित ट्रैक पर आयोजित करनी होगी जो दो किलोमीटर से लम्बा नहीं होगा।
जल्लीकट्टू के मामले में सांड के घेराव से बाहर जाते ही उसे 15 मीटर की अर्धव्यास दूरी के भीतर काबू करना होगा और यह भी सुनिश्चित करना होगा कि पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों से सांडों की उचित जांच करायी जाए ताकि यह सुनिश्चित हो कि ये जानवर कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए अच्छी शारीरिक दशा में है।
पोंगल के त्यौहार से थोड़े ही समय पहले फैसला आने के साथ तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों में पटाखे छोड़कर और मिठाइयां बांटकर जश्न मनाया गया। जल्लीकट्टू तमिलनाडु में पोंगल के त्यौहार के हिस्से के तौर पर मट्टू पोंगल के दिन आयोजित किया जाता है।
क्या लिखा है अधिसूचना में...
अधिसूचना में कहा गया, ‘‘केंद्र सरकार इस तरह निर्दिष्ट करती है कि यह अधिसूचना जारी करने की तारीख से प्रभाव के साथ भालू, बंदर, बाघ, चीते और सांड को प्रदर्श पशुओं (परफॉर्मिंग एनिमल) के तौर पर प्रदर्शित या प्रशिक्षित नहीं किया जाएगा।’’
इसमें कहा गया, ‘‘हालांकि किसी समुदाय के रीति रिवाजों या परंपराओं के तहत तमिलनाडु में जल्लीकट्टू और महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, केरल और गुजरात में बैलगाड़ी की दौड़ जैसे कार्यक्रमों में सांडों को प्रदर्श पशु के तौर पर प्रदर्शित या प्रशिक्षित करना जारी रखा जा सकता है।’’
दो किलोमीटर से लम्बा नहीं होगा ट्रैक
हालांकि केंद्र ने कुछ शर्तें भी रखी हैं। शर्तों के अनुसार बैल गाड़ी की दौड़ एक नियमित ट्रैक पर आयोजित करनी होगी जो दो किलोमीटर से लम्बा नहीं होगा।
जल्लीकट्टू के मामले में सांड के घेराव से बाहर जाते ही उसे 15 मीटर की अर्धव्यास दूरी के भीतर काबू करना होगा और यह भी सुनिश्चित करना होगा कि पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों से सांडों की उचित जांच करायी जाए ताकि यह सुनिश्चित हो कि ये जानवर कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए अच्छी शारीरिक दशा में है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं