Pradosh Vrat: भगवान शिव की पूजा के लिए प्रदोष व्रत को खास माना जाता है. प्रदोष व्रत के दिन माना जाता है कि पूरे मनोभाव से महादेव का पूजन किया जाए तो वे भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं और जीवन में खुशहाली लेकर आते हैं. पंचांग के अनुसार, हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. आषाढ़ माह का प्रदोष व्रत आज रखा जा रहा है. प्रदोष व्रत की त्रयोदशी तिथि की शुरूआत 3 जुलाई की सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर हो रही है और इस तिथि का समापन 4 जुलाई की सुबह 5 बजकर 54 मिनट पर हो जाएगा. यहां बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.
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बुध प्रदोष व्रत की पूजा | Budh Pradosh Vrat Puja
बुध प्रदोष की पूजा सांयकाल प्रदोष काल में होती है. आज शाम 7 बजकर 23 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 21 मिनट के बीच प्रदोष व्रत की पूजा की जा सकती है. भक्त प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर निवृत्त होने के पश्चात स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान शिव (Lord Shiva) का स्मरण करते हैं और व्रत का संकल्प करते हैं. शाम के समय भोलेनाथ पर गंगाजल अर्पित किया जाता है. भोलेनाथ के समक्ष फूल और अक्षत चढ़ाते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं. अब भोग में मालपुआ, सफेद बर्फी, सूजा का हलवा या खीर आदि महादेव को चढ़ाया जाता है. प्रदोष व्रत पर भगवान शिव के साथ-साथ पूरे शिव परिवार की पूजा भी की जाती है.
प्रदोष व्रत पर इस बार सर्वाद्ध सिद्धि योग भी बन रहा है. यह योग दिनभर रहेगा. इस योग को बेहद शुभ माना जाता है और कहा जाता है कि सर्वाद्ध सिद्धि योग बनने पर महादेव का पूजन किया जाए तो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
आज शिववास योग का निर्माण भी होने जा रहा है. यह योग सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर लगेगा और इस समय तक महादेव नंदी पर सवार रहेंगे.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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