
Bhadra dates and time 2025: सनातन परंपरा में किसी भी कार्य को बगैर किसी विघ्न-बाधा के साथ सफलतापूर्वक करने के लिए शुभ-अशुभ समय पर विचार करने की परंपरा है. किसी भी कार्य के लिए शुभ-अशुभ तिथि, दिन, वार, मास और समय आदि का विचार करने के लिए पंचांग (Panchang) की मदद ली जाती है. ज्योतिष के अनुसार जिस काल में किसी भी कार्य को करने से बचने की सलाह दी गई है, उसमें भद्रा (Bhadra) का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. जाने-माने ज्योतिषविद् और धर्म-कर्म के मर्मज्ञ डॉ. राज मिश्रा के अनुसार जिस भद्रा के लगने पर किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही है, वो प्रत्यक्ष देवता भगवान भास्कर यानि सूर्यदेव की पुत्री और शनि, यम और यमुना देवी की बहन है. आइए भद्रा देवी की पौराणिक कथा और उससे जुड़े जरूरी नियम आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं.
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भद्रा देवी की पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार भद्रा देवी की उत्पत्ति इसलिए हुई थी कि जो लोग गलत उद्देश्यों से तंत्र (Tantra)-मंत्र(Mantra) आदि से नकारात्मक साधना-आराधना करते हैं, उनके पूजन में उन्हें विघ्न पैदा करना है लेकिन बाद में भद्रा ने दैत्यों के साथ देवताओं के कार्य में भी विघ्न डालना प्रारंभ कर दिया. इससे चिंतित होकर सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी से इससे बचाव के लिए प्रार्थना किया. तब ब्रह्मा जी ने भद्रा से कहा कि आप हमेशा कार्यों में विघ्न बाधा नहीं डाल सकती हैं और आपका प्रभाव तिथि और नक्षत्र (Nakshatra in Hindi) विशेष पर ही रहेगा. इसी के साथ उनके लिए स्वर्ग लोक, मृत्यु लोक यानि पृथ्वी और पाताल लोक का स्थान भी सुनिश्चित किया गया. ज्योतिष के अनुसार भद्रा का सबसे ज्यादा प्रभाव वहीं पर पड़ता है, जहां पर इसका वास होता है.

भद्रा में नहीं किए जाते ये काम
पं. राज मिश्रा के अनुसार भद्रा का विचार विशेष रूप से यात्रा के लिए किया जाता है. इसके साथ पूजा-पाठ, मांगलिक कार्य, रक्षाबंधन आदि के लिए भद्रा का विचार किया जाता है.
- भद्रा के दौरान किसी भूमि-भवन को खरीदने के लिए अग्रिम राशि देने से बचना चाहिए.
- भद्रा के समय किसी व्यक्ति विशेष से मुलाकात या विचार-विमर्श के लिए नहीं निकलना चाहिए.
- कोर्ट-कचहरी के से जुड़े मामलों के लिए निकलते समय भी भद्रा का अवश्य विचार करना चाहिए.
- लंबी दूरी की यात्रा अथवा विदेश यात्रा की योजना बनाते समय भी भद्रा का विचार करना चाहिए.
- विवाह हेतु बातचीत करने के लिए निकलते समय भद्रा का विचार करना चाहिए.
- भद्रा के दौरान रक्षाबंधन (Rakshabandhan), होलिकादहन जैसे पर्वों पर पूजा आदि शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं.
जुलाई महीने में कब-कब लगेगी भद्रा
ज्योतिष के अनुसार तिथि और नक्षत्र विशेष में लगने वाली भद्रा के दौरान यदि कोई मांगलिक और धार्मिक कार्य आदि करता है तो वह कार्य सफल नहीं होता है और उसे उसके पुण्यफल नहीं प्राप्त होते हैं. आइए जानते हैं कि देश की राजधानी दिल्ली के समयानुसार जुलाई महीने में कब-कब लगेगी भद्रा -
- 16 जुलाई 2025, बुधवार को रात्रि 09:01 से प्रारंभ होकर 17 जुलाई 2025, गुरुवार को प्रात:काल 08:07 बजे तक रहेगी.
- 20 जुलाई 2025, रविवार को पूर्वाह्न 01:28 से प्रारंभ होकर 20 जुलाई 2025, रविवार को दोपहर 12:12 बजे तक रहेगी.
- 23 जुलाई 2025, बुधवार को प्रात:काल 04:39 बजे से प्रारंभ होकर 23 जुलाई 2025, बुधवार को दोपहर 03:31 बजे तक रहेगी.
- 28 जुलाई 2025, सोमवार को प्रात:काल 10:57 बजे से प्रारंभ होकर 28 जुलाई 2025, सोमवार को दोपहर 11:24 बजे तक रहेगी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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