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This Article is From May 14, 2017

बद्रीनाथ-केदारनाथ में रेल सेवा के लिए मोदी सरकार ने बनाया मेगा प्लान, कुछ ऐसा होगा प्रोजेक्ट

मोदी सरकार ने चार धाम की यात्रा करने वाले लोगों के लिए तोहफा देने की तैयारी कर ली है. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने शनिवार को उत्तराखंड में चार धाम को रेल सेवा मुहैया कराने के उद्देश्य से अंतिम स्थान सर्वेक्षण के लिए आधारशिला रखी.

बद्रीनाथ-केदारनाथ में रेल सेवा के लिए मोदी सरकार ने बनाया मेगा प्लान, कुछ ऐसा होगा प्रोजेक्ट
चार धाम रेल परियोजना में अनुमानित तौर पर 43,292 करोड़ रुपये की लागत आएगी...
देहरादून: मोदी सरकार ने चार धाम की यात्रा करने वाले लोगों के लिए तोहफा देने की तैयारी कर ली है. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने शनिवार को उत्तराखंड में चार धाम को रेल सेवा मुहैया कराने के उद्देश्य से अंतिम स्थान सर्वेक्षण के लिए आधारशिला रखी. इस मौके पर एकत्रित लोगों को संबोधित करते हुए प्रभु ने कहा, "रेल मार्ग के निर्माण से चार धाम यात्रा ज्यादा सुगम हो जाएगी और इसका लाभ तीर्थयात्रियों के साथ ही पर्यटकों को भी मिलेगा, जो प्राचीन व खूबसूरत लेकिन पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील वादियों को निहारना चाहते हैं." मंत्री ने कहा कि केदारनाथ तथा बद्रीनाथ में पीआरएस (यात्री आरक्षण केंद्र) को संचालन योग्य बनाया जाएगा.

चार धाम रेल परियोजना में अनुमानित तौर पर 43,292 करोड़ रुपये की लागत आएगी, जो हिंदुओं के पवित्र तीर्थस्थलों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री को देहरादून व कर्णप्रयाग के माध्यम से 327 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग से जोड़ेगी. रेल मंत्री के मुताबिक, परियोजना का क्रियान्वयन रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) द्वारा किया जाएगा, जो रेल मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है. आरवीएनल द्वारा कराए गए रिकोनासेंस इंजीनियरिंग सर्वे के मुताबिक, रेल मार्ग में 21 नए स्टेशन, 61 सुरंगें तथा 59 पुल होंगे. रेलवे ने कहा कि सभी चारों तीर्थस्थल अलग-अलग ऊंचाई पर स्थित हैं.

यमुना नदी का स्रोत यमुनोत्री समुद्र तल से 3,293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि गंगा नदी का स्रोत गंगोत्री समुद्र तल से 3,408 मीटर की ऊंचाई पर, भगवान शिव का मशहूर केदारनाथ मंदिर 3,583 मीटर की ऊंचाई पर, जबकि भगवान विष्णु का मशहूर बद्रीनाथ मंदिर समुद्र तल से 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. आरईसी को परियोजना 2014-15 में मिली थी और उसने अक्टूबर 2015 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी. प्रभु तथा केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कोटी (जोशीमठ) में कृषि विज्ञान केंद्र के विकास की भी आधारशिला रखी.

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