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This Article is From Jul 05, 2022

Lakshmi Ji: लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए रोजाना कर सकते हैं ये छोटा सा काम, मां अष्टलक्ष्मी की रहेगी कृपा

Ashtalakshmi Stotram: मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अष्टलक्ष्मी स्तोत्र बेहद खास माना गया है. मान्यता है कि इस स्तोत्र का रोजाना सुबह-शाम पाठ करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सकती है.

Lakshmi Ji: लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए रोजाना कर सकते हैं ये छोटा सा काम, मां अष्टलक्ष्मी की रहेगी कृपा
Ashtalakshmi Stotram: सुबह-शाम अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना अच्छा माना गया है.

Ashtalakshmi Stotram: पौराणिक धर्म शास्त्रों और पुराणों में मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) को धन की देवी कहा गया है. कहा जाता है कि जिसके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा होती है, उसका जीवन सुखों से भरा रहता है. साथ ही जीवन में आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है. वैसे तो शास्त्रों में मां लक्ष्मी (Maaको प्रसन्न करने के लिए कई मंत्र और स्तोत्रों के बारे में बताया गया है. लेकिन अष्टलक्ष्मी स्तोत्र (Ashtalakshmi Stotram) का पाठ करना अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना गया है. कहा जाता है कि अष्टलक्ष्मी स्तोत्र (Ashtalakshmi Stotra) का रोजाना सुबह-शाम पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. आइए जानते हैं मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) को प्रसन्न करने के लिए अष्टलक्ष्मी स्तोत्र के बारे में. 


 

श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् | Ashtalakshmi Stotram

आदि लक्ष्मी | Adi Lakshmi

सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि चंद्र सहोदरि हेममये
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनी मंजुल भाषिणि वेदनुते

पङ्कजवासिनि देवसुपूजित सद-गुण वर्षिणि शान्तिनुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि परिपालय माम्

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धान्य लक्ष्मी | Dhanya Lakshmi

अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये
क्षीर समुद्भव मङ्गल रुपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते

मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते
जय जय हे मधुसूदनकामिनि धान्यलक्ष्मि परिपालय माम्

धैर्य लक्ष्मी | Dhairya Lakshmi

जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि मन्त्र स्वरुपिणि मन्त्रमये

सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते

भवभयहारिणि पापविमोचनि साधु जनाश्रित पादयुते

जय जय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदापालय माम्

गज लक्ष्मी | Gaj Laskhmi

जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये

रधगज तुरगपदाति समावृत परिजन मंडित लोकनुते

हरिहर ब्रम्ह सुपूजित सेवित ताप निवारिणि पादयुते

जय जय हे मधुसूदन कामिनि गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम्

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संतान लक्ष्मी | Santan Lakshmi

अयि खगवाहिनी मोहिनि चक्रिणि रागविवर्धिनि ज्ञानमये

गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि सप्तस्वर भूषित गाननुते

सकल सुरासुर देव मुनीश्वर मानव वन्दित पादयुते

जय जय हे मधुसूदन कामिनि सन्तानलक्ष्मि परिपालय माम्

विजय लक्ष्मी | Vijay Lakshmi

जय कमलासनि सद-गति दायिनि ज्ञानविकासिनि गानमये

अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर भूषित वसित वाद्यनुते

कनकधरास्तुति वैभव वन्दित शङ्करदेशिक मान्यपदे

जय जय हे मधुसूदन कामिनि विजयक्ष्मि परिपालय माम्

विद्या लक्ष्मी | Vidya Lakshmi

प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि शोकविनाशिनि रत्नमये

मणिमय भूषित कर्णविभूषण शान्ति समावृत हास्यमुखे

नवनिद्धिदायिनी कलिमलहारिणि कामित फलप्रद हस्तयुते

जय जय हे मधुसूदन कामिनि विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम्

धन लक्ष्मी | Dhan Lakshmi 

धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि-दिन्धिमी दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये

घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम शङ्ख निनाद सुवाद्यनुते 

वेद पुराणेतिहास सुपूजित वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते

जय जय हे कामिनि धनलक्ष्मी रूपेण पालय माम्

अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि

विष्णुवक्षःस्थलारूढे भक्तमोक्षप्रदायिनी 

शङ्ख चक्र गदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः

जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलम शुभ मङ्गलम

इति श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् संपूर्णम्

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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