Ashtalakshmi Stotram: पौराणिक धर्म शास्त्रों और पुराणों में मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) को धन की देवी कहा गया है. कहा जाता है कि जिसके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा होती है, उसका जीवन सुखों से भरा रहता है. साथ ही जीवन में आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है. वैसे तो शास्त्रों में मां लक्ष्मी (Maaको प्रसन्न करने के लिए कई मंत्र और स्तोत्रों के बारे में बताया गया है. लेकिन अष्टलक्ष्मी स्तोत्र (Ashtalakshmi Stotram) का पाठ करना अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना गया है. कहा जाता है कि अष्टलक्ष्मी स्तोत्र (Ashtalakshmi Stotra) का रोजाना सुबह-शाम पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. आइए जानते हैं मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) को प्रसन्न करने के लिए अष्टलक्ष्मी स्तोत्र के बारे में.
श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् | Ashtalakshmi Stotram
आदि लक्ष्मी | Adi Lakshmiसुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि चंद्र सहोदरि हेममये
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनी मंजुल भाषिणि वेदनुते
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित सद-गुण वर्षिणि शान्तिनुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि परिपालय माम्
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये
क्षीर समुद्भव मङ्गल रुपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते
जय जय हे मधुसूदनकामिनि धान्यलक्ष्मि परिपालय माम्
जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि मन्त्र स्वरुपिणि मन्त्रमये
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते
भवभयहारिणि पापविमोचनि साधु जनाश्रित पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदापालय माम्
गज लक्ष्मी | Gaj Laskhmiजय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये
रधगज तुरगपदाति समावृत परिजन मंडित लोकनुते
हरिहर ब्रम्ह सुपूजित सेवित ताप निवारिणि पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम्
संतान लक्ष्मी | Santan Lakshmiअयि खगवाहिनी मोहिनि चक्रिणि रागविवर्धिनि ज्ञानमये
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि सप्तस्वर भूषित गाननुते
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर मानव वन्दित पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि सन्तानलक्ष्मि परिपालय माम्
विजय लक्ष्मी | Vijay Lakshmiजय कमलासनि सद-गति दायिनि ज्ञानविकासिनि गानमये
अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर भूषित वसित वाद्यनुते
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित शङ्करदेशिक मान्यपदे
जय जय हे मधुसूदन कामिनि विजयक्ष्मि परिपालय माम्
विद्या लक्ष्मी | Vidya Lakshmiप्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि शोकविनाशिनि रत्नमये
मणिमय भूषित कर्णविभूषण शान्ति समावृत हास्यमुखे
नवनिद्धिदायिनी कलिमलहारिणि कामित फलप्रद हस्तयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम्
धन लक्ष्मी | Dhan Lakshmiधिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि-दिन्धिमी दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम शङ्ख निनाद सुवाद्यनुते
वेद पुराणेतिहास सुपूजित वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते
जय जय हे कामिनि धनलक्ष्मी रूपेण पालय माम्
अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि
विष्णुवक्षःस्थलारूढे भक्तमोक्षप्रदायिनी
शङ्ख चक्र गदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलम शुभ मङ्गलम
इति श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् संपूर्णम्
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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