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This Article is From Aug 16, 2023

आज है अधिक मास अमावस्या, करें यह उपाय फिर भोलेनाथ की होगी विशेष कृपा

Sawn 2023 : सावन के महीने में वैसे तो हर दिन खास होता है, लेकिन इस दौरान अधिक मास पर पड़ने वाली अमावस का विशेष महत्व होता है.

आज है अधिक मास अमावस्या, करें यह उपाय फिर भोलेनाथ की होगी विशेष कृपा
इंस्टाग्राम पर ladli_shriradhey नाम से बने पजे पर प्रदीप महाराज का एक वीडियो शेयर किया गया है.

Sawan Adhik Maas Amavasya : जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इस समय सावन (Sawan 2023) का पवित्र महीना चल रहा है और इस बार अधिक मास होने के चलते पूरे 59 दिनों के लिए सावन है. अधिक मास (Adhik Maas) के दौरान जब अमावस्या पड़ती है, तो ये दिन बहुत ही खास होता है. कहते हैं इस दिन भगवान भोलेनाथ (Lord Shiva) पर सिर्फ एक छोटा सा कनेर का फूल ही चढ़ा दिया जाए तो आपको अपनी जिंदगी में अपार सफलता और सुख समृद्धि (Success) मिलती है. आइए आपको बताते हैं इस बार की अधिक मास की अमावस्या कब पड़ेगी और आपको इस दिन क्या करना चाहिए.

कब है अधिक मास की अमावस्या  | When is Adhik Maas Amavasya in August 2023

16 अगस्त 2023 को अधिक मास की अमावस्या पर 19 साल बाद महासंयोग बन रहा है. ये दिन बहुत ही खास होता है, क्योंकि इस दिन को विराम दिवस भी कहा जाता है और उसके बाद 20 अगस्त से पुनः सावन जारी रहेगा. ऐसे में विराम दिवस यानी कि अधिक मास की अमावस्या के दिन अगर आप कुछ विशेष कार्य करते हैं, तो आपके सारे दुख दर्द दूर हो जाएंगे और सुख समृद्धि आपके घर में आएगी.

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अधिक मास की अमावस्या पर करें ये उपाय

इंस्टाग्राम पर ladli_shriradhey नाम से बने पजे पर प्रदीप महाराज का एक वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें बताया गया कि अधिक मास की अमावस्या के दिन यानी कि 16 अगस्त 2023 को जब विराम दिवस होगा तब आप भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग पर एक कनेर का फूल और दो लोटा जल अवश्य चढ़ाएं. ऐसा करने से ना सिर्फ भगवान भोलेनाथ बल्कि 33 कोटि के देव अपना आशीर्वाद भक्तों पर न्योछावर करते हैं. कहते हैं विराम दिवस पर अगर भगवान भोलेनाथ को कनेर का फूल चढ़ाया जाए तो जन्मों-जन्मों के पाप उतर जाते हैं और पिंडदान करने जितना पुण्य मिलता है. ऐसे में 16 अगस्त को अमावस्या के दिन एक कनेर का फूल भगवान भोलेनाथ पर जरूर चढ़ाएं और दो लोटा जल भी उन्हें अर्पित करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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