Valmiki Jayanti 2021 : वाल्मीकि जयंती (Valmiki Jayanti) के मौके पर देशभर में सफाई कर्मचारियों के कल्याण की बड़ी बड़ी घोषणाएं और कार्यक्रम होते हैं लेकिन कई सरकारी संस्थानों में ठेके पर काम करने वाले सफाई कर्मचारियों की क्या हालत है, यह किसी से छुपी नहीं है. इंदिरा गांधी टेक्निकल यूनिवर्सिटी के गेट पर धरने पर बैठी 54 साल की यशोदा देवी की आंखों में यह बताते हुए आंसू छलक आए कि उनकी तरह इस विश्वविद्यालय में काम करने वाले 35 सफाई कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर अब भगवान भरोसे ही हैं.सरकारी संस्थानों में सफाई का जिम्मा अब कंपनियों को ठेके पर दिया जा रहा है जिसके चलते पुराने सफाई कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. वे कहती हैं, '54 साल की मेरी उम्र है मैं अब कहां नौकरी करने जाऊंगी. बीते आठ साल से यहां काम कर रही थी.पूरी जवानी सफाई करती रही है अब छह साल और बाकी है.' उन्होंने कहा, 'मेरे घर में आठ लोग खाने वाले हैं नौकरी सबकी छूटी है, कहां जाएं सरकार हमें काम भी तो दे. मुझे नौकरी करते हुए कई साल हो गए लेकिन यहां नए टेंडर आने से अब नई कंपनी हमें रखने के लिए 20 हजार रुपये मांग रही है. हम कहां से लेकर आए इतने पैसे.'
कई दिनों से लगातार प्रदर्शन के बाद अब बुधवार को इंदिरा गांधी टेक्निकल यूनिवर्सिटी के प्रो वाइस चांसलर खुद इनसे मिलने पहुंचे.करीब एक घंटे चली बातचीत के बाद विवि ने इनकी शिकायत के आधार पर नई कंपनी पर कार्रवाई और इन सफाई कर्मचारियों को दोबारा नौकरी पर रखने का आश्वासन दिया है. वाइस चांसलर डॉ. अश्विनी कुमार ने कहा, 'हमने नई कंपनी को बोला था कि पुराने लोगों को काम पर रखना होगा लेकिन जब ये नई कंपनी आई तो इनको दिक्कत हुई.अब हम नई कंपनी को प्रोसेस के तहत हटाएंगे इनको काम पर रखा जाएगा.'
एक आंकड़े के मुताबिक, भारत में 20 लाख से ज्यादा ठेके पर सफाई कर्मचारी हैं. दिल्ली सरकार में खुद ठेका कर्मचारियों को पक्का करने का वादा किया गया था लेकिन अब ज्यादातर जगहों पर सरकार और सफाई कर्मचारी के बीच अनुबंध नहीं है. कंपनी के जरिए सफाई कर्मचारियों का कॉट्रैक्ट हो रहा है जिसके चलते कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी और स्वास्थ्य बीमा जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिलती. जरूरत इस बात की है कि न सिर्फ इन सफाई कर्मचारियों बल्कि देश के दूसरे जगहों पर भी ठेके के सफाई कर्मचारियों को काम करने के अवसर और संरक्षण प्रदान किया जाए ताकि वे सम्मान के साथ जीवन यापन कर सके और उन्हें ऐसे प्रदर्शन करने की जरूरत ही न पड़े.
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