फाइल फोटो
नई दिल्ली:
उपहार अग्निकांड मामले में पीड़ितों और सीबीआई की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई की गई. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुनवाई के दौरान उपहार के मालिकों के वकील ने कोर्ट को आश्वास्त किया कि जब तक रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई चल रही है तब तक अंसल बंधु भारत नहीं छोड़ेंगे.
सुनवाई के दौरान उपहार हादसा पीड़ित एसोसिएशन की ओर से रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई और कहा गया कि अदालत ने इस मामले में जो फैसला दियाहै वह नेचुरल जस्टिस यानी प्राकृतिक न्याय के मुताबिक नहीं है. सुनवाई के दौरान उन्हें अपना पक्ष रखने का सही तरह से मौका नहीं मिला.
पीड़ितों की ओर से कहा गया कि आरोपियों ने इस मामले में जो अपराध किया है वह गंभीर है और ऐसे में उनके प्रति कोई नरमी नहीं होनी चाहिए. इस मामले में सज़ा के तौर पर जुर्माना किया जाने के पीछे कोई ठोस आधार नहीं है. सीबीआई का कहना था कि उन्हें भी अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला.
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के दौरान उपहार के मालिकों गोपाल अंसल और सुशील अंसल को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट में उपहार हादसा पीड़ित एसोसिएशन और सीबीआई की ओर से रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और उपहार हादसा पीड़ित एसोसिएशन की रिव्यू पिटिशन को एकसाथ कर दिया और अंसल बंधुओं को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई के लिए 14 दिसंबर यानी आज की तारीख तय कर दी थी.
जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ इस मामले में रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई कर रही है. पिछले साल 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उपहार मामले में दोषी करार दिए गए सुशील अंसल और गोपाल अंसल पर 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, साथ ही उनके द्वारा जेल में बिताए गए समय को सज़ा माना था. इस फैसले के बाद उपहार हादासा पीड़ित एसोसिएशन की प्रमुख नीलम कृष्णामूर्ति और सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी. गौरतलब है कि 13 जून, 1997 को उपहार सिनेमा में एक फिल्म के प्रसारण के दौरान आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी.
सुनवाई के दौरान उपहार हादसा पीड़ित एसोसिएशन की ओर से रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई और कहा गया कि अदालत ने इस मामले में जो फैसला दियाहै वह नेचुरल जस्टिस यानी प्राकृतिक न्याय के मुताबिक नहीं है. सुनवाई के दौरान उन्हें अपना पक्ष रखने का सही तरह से मौका नहीं मिला.
पीड़ितों की ओर से कहा गया कि आरोपियों ने इस मामले में जो अपराध किया है वह गंभीर है और ऐसे में उनके प्रति कोई नरमी नहीं होनी चाहिए. इस मामले में सज़ा के तौर पर जुर्माना किया जाने के पीछे कोई ठोस आधार नहीं है. सीबीआई का कहना था कि उन्हें भी अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला.
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के दौरान उपहार के मालिकों गोपाल अंसल और सुशील अंसल को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट में उपहार हादसा पीड़ित एसोसिएशन और सीबीआई की ओर से रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और उपहार हादसा पीड़ित एसोसिएशन की रिव्यू पिटिशन को एकसाथ कर दिया और अंसल बंधुओं को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई के लिए 14 दिसंबर यानी आज की तारीख तय कर दी थी.
जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ इस मामले में रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई कर रही है. पिछले साल 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उपहार मामले में दोषी करार दिए गए सुशील अंसल और गोपाल अंसल पर 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, साथ ही उनके द्वारा जेल में बिताए गए समय को सज़ा माना था. इस फैसले के बाद उपहार हादासा पीड़ित एसोसिएशन की प्रमुख नीलम कृष्णामूर्ति और सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी. गौरतलब है कि 13 जून, 1997 को उपहार सिनेमा में एक फिल्म के प्रसारण के दौरान आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी.
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