जिगिशा घोष (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
साढ़े सात साल पुराने जिगिशा हत्याकांड में दो लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है और एक को उम्रकैद मिली है. जिगीशा के माता-पिता ने कोर्ट के फैसले पर संतोष जताया है.
सोमवार को दिल्ली के साकेत कोर्ट ने जिगिशा घोष के कत्ल में दोषी रवि कपूर और अमित शुक्ला को फांसी की सजा सुनाई. उनके साथी बलजीत मलिक को उम्रकैद दी गई. सजा का ऐलान होते ही इस केस की जांच से जुड़े अधिकारियों ने राहत की सांस ली. पिछले साढ़े सात साल में न्याय में देरी पर कई बार आत्महत्या की सोचने वाले जिगिशा के माता-पिता अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं. जिगिशा उनकी इकलौती संतान थी. जिगिशा के पिता जेएन घोष और मां सविता घोष ने कहा कि कई बार लगा कि आत्महत्या कर लें, आखिर हम किसके लिए जिंदा रहते. लेकिन दिल्ली पुलिस ने हमें बहुत सहारा दिया जिससे हम आज यहां इंसाफ की चौखट तक पहुंचे हैं.
कोर्ट ने सजा सुनाने से पहले जेल में तीनों दोषियों का कंडक्ट जानने के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया था जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जेल में रहने के दौरान भी दोषी रवि कपूर और उसके साथी अमित शुक्ला का कंडक्ट अच्छा नहीं रहा. जबकि बलजीत मलिक के बारे में कहा गया कि उसमें सुधरने की गुंजाइश है. जघन्यतम अपराध और जेल में बुरे बर्ताव को देखते हुए कोर्ट ने रवि कपूर और अमित शुक्ला को फांसी की सजा सुना दी. जिगिशा के कत्ल की पूछताछ के दौरान तीनों ने दो और हत्याओं की बात मानी जिनमें 2008 में पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या भी शामिल है. फिलहाल यह मामले अदालत में हैं.
सजा के वक्त कोर्ट में दक्षिणी दिल्ली के तत्कालीन डीसीपी एचजीएस धालीवाल और जांच अधिकारी इंस्पेक्टर अतुल वर्मा ने कहा कि कत्ल का कोई चश्मदीद न होते हुए भी परिस्थितिजन्य सबूत इतने मजबूत थे कि कोर्ट ने पुलिस की जांच की तारीफ करते हुए माना कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ सीधे सबूत हैं. धालीवाल के मुताबिक इस केस में सबने मिलकर एक टीम वर्क की तरह काम किया और आखिरकार मेहनत रंग लाई.
एक आईटी कंपनी में ऑपरेशन मैनेजर रही 28 साल की जिगिशा को तीनों दोषियों ने 18 मार्च 2009 की रात में तब अगवा कर लिया जब वह अपने दफ्तर की कैब से घर के बाहर उतरी. तीनों आरोपी जिगिशा को अपनी सेंट्रों कार से महिपालपुर ,सरोजिनी नगर और साकेत ले गए. उसके एटीएम कार्ड से पैसे निकाले, उसके मोबाइल और गहने छीनने के बाद गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी. हत्या के बाद शव को सूरजकुंड में फेंक दिया. सुबह फिर साकेत मॉल में जिगिशा के क्रेडिट कार्ड से शापिंग की. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर सबसे पहले बाएं हाथ में टैटू गुदवाए बलजीत की पहचान की और फिर तीनों कातिल पकड़े गए.
सोमवार को दिल्ली के साकेत कोर्ट ने जिगिशा घोष के कत्ल में दोषी रवि कपूर और अमित शुक्ला को फांसी की सजा सुनाई. उनके साथी बलजीत मलिक को उम्रकैद दी गई. सजा का ऐलान होते ही इस केस की जांच से जुड़े अधिकारियों ने राहत की सांस ली. पिछले साढ़े सात साल में न्याय में देरी पर कई बार आत्महत्या की सोचने वाले जिगिशा के माता-पिता अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं. जिगिशा उनकी इकलौती संतान थी. जिगिशा के पिता जेएन घोष और मां सविता घोष ने कहा कि कई बार लगा कि आत्महत्या कर लें, आखिर हम किसके लिए जिंदा रहते. लेकिन दिल्ली पुलिस ने हमें बहुत सहारा दिया जिससे हम आज यहां इंसाफ की चौखट तक पहुंचे हैं.
कोर्ट ने सजा सुनाने से पहले जेल में तीनों दोषियों का कंडक्ट जानने के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया था जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जेल में रहने के दौरान भी दोषी रवि कपूर और उसके साथी अमित शुक्ला का कंडक्ट अच्छा नहीं रहा. जबकि बलजीत मलिक के बारे में कहा गया कि उसमें सुधरने की गुंजाइश है. जघन्यतम अपराध और जेल में बुरे बर्ताव को देखते हुए कोर्ट ने रवि कपूर और अमित शुक्ला को फांसी की सजा सुना दी. जिगिशा के कत्ल की पूछताछ के दौरान तीनों ने दो और हत्याओं की बात मानी जिनमें 2008 में पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या भी शामिल है. फिलहाल यह मामले अदालत में हैं.
सजा के वक्त कोर्ट में दक्षिणी दिल्ली के तत्कालीन डीसीपी एचजीएस धालीवाल और जांच अधिकारी इंस्पेक्टर अतुल वर्मा ने कहा कि कत्ल का कोई चश्मदीद न होते हुए भी परिस्थितिजन्य सबूत इतने मजबूत थे कि कोर्ट ने पुलिस की जांच की तारीफ करते हुए माना कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ सीधे सबूत हैं. धालीवाल के मुताबिक इस केस में सबने मिलकर एक टीम वर्क की तरह काम किया और आखिरकार मेहनत रंग लाई.
एक आईटी कंपनी में ऑपरेशन मैनेजर रही 28 साल की जिगिशा को तीनों दोषियों ने 18 मार्च 2009 की रात में तब अगवा कर लिया जब वह अपने दफ्तर की कैब से घर के बाहर उतरी. तीनों आरोपी जिगिशा को अपनी सेंट्रों कार से महिपालपुर ,सरोजिनी नगर और साकेत ले गए. उसके एटीएम कार्ड से पैसे निकाले, उसके मोबाइल और गहने छीनने के बाद गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी. हत्या के बाद शव को सूरजकुंड में फेंक दिया. सुबह फिर साकेत मॉल में जिगिशा के क्रेडिट कार्ड से शापिंग की. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर सबसे पहले बाएं हाथ में टैटू गुदवाए बलजीत की पहचान की और फिर तीनों कातिल पकड़े गए.
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