दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के करीब 20,000 रेजीडेंट डॉक्टर गुरुवार को सामूहिक आकस्मिक अवकाश पर रहे. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
एम्स को छोड़कर दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के करीब 20,000 रेजीडेंट डॉक्टर महाराष्ट्र में हड़ताल कर रहे डॉक्टरों के समर्थन में गुरुवार को सामूहिक आकस्मिक अवकाश पर रहे.
राष्ट्रीय राजधानी में डॉक्टरों की सामूहिक छुट्टी से अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बाधित रहीं, लेकिन बाद में इमरजेंसी ड्यूटी में लगे डॉक्टर काम पर लौट आए.
आरएमएल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, सफदरजंग अस्पताल, जीबी पंत अस्पताल समेत करीब 40 अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टर आज काम से अलग रहे, जबकि एम्स में डॉक्टरों पर हमले के विरोध में दूसरे दिन भी डॉक्टरों ने हेलमेट पहनकर काम किया.
फेडरेशन ऑफ द रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) के अध्यक्ष डॉ. पंकज सोलंकी ने कहा, 'यह कार्रवाई (सामूहिक आकस्मिक अवकाश) डॉक्टरों पर होने वाले हमलों और महाराष्ट्र में अपने सहकर्मियों से एकजुटता दिखाने के लिए की गई है, जिन्हें काम पर वापस न लौटने पर वेतन काटने की धमकी दी गई है'. वहीं, एफओआरडीए के पदाधिकारी डॉ. निशांत ने भी बताया कि महाराष्ट्र में हड़ताल कर रहे डॉक्टरों के समर्थन में दिल्ली के 40 अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टर सामूहिक आकस्मिक अवकाश पर तो रहे, लेकिन बाद में इमरजेंसी ड्यूटी में लगे डॉक्टरों ने अपनी सेवाएं दीं, ताकि मरीजों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े. (इनपुट एजेंसी से भी)
राष्ट्रीय राजधानी में डॉक्टरों की सामूहिक छुट्टी से अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बाधित रहीं, लेकिन बाद में इमरजेंसी ड्यूटी में लगे डॉक्टर काम पर लौट आए.
आरएमएल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, सफदरजंग अस्पताल, जीबी पंत अस्पताल समेत करीब 40 अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टर आज काम से अलग रहे, जबकि एम्स में डॉक्टरों पर हमले के विरोध में दूसरे दिन भी डॉक्टरों ने हेलमेट पहनकर काम किया.
फेडरेशन ऑफ द रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) के अध्यक्ष डॉ. पंकज सोलंकी ने कहा, 'यह कार्रवाई (सामूहिक आकस्मिक अवकाश) डॉक्टरों पर होने वाले हमलों और महाराष्ट्र में अपने सहकर्मियों से एकजुटता दिखाने के लिए की गई है, जिन्हें काम पर वापस न लौटने पर वेतन काटने की धमकी दी गई है'. वहीं, एफओआरडीए के पदाधिकारी डॉ. निशांत ने भी बताया कि महाराष्ट्र में हड़ताल कर रहे डॉक्टरों के समर्थन में दिल्ली के 40 अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टर सामूहिक आकस्मिक अवकाश पर तो रहे, लेकिन बाद में इमरजेंसी ड्यूटी में लगे डॉक्टरों ने अपनी सेवाएं दीं, ताकि मरीजों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े. (इनपुट एजेंसी से भी)
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