प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
दिल्ली में कई जगहों पर शराब की दुकानों का आम लोग विरोध कर रहे हैं. दिल्ली में इस समय वो सरकार है जो हमेशा कहती है कि जो जनता चाहेगी वो होगा, अगर जनता किसी इलाके में शराब की दुकान नहीं चाहेगी तो वहां शराब की दुकान नहीं रहेगी. दिल्ली की केजरीवाल सरकार के इन दावों की पड़ताल करने हम निकले. सबसे पहले हम दिल्ली के तिलक नगर के अनमोल वाटिका इलाके में गए. यहां करीब एक महीने पहले यानी 7 जनवरी को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसी जगह पर जनसुनवाई की थी और जनमत संग्रह करवाकर ये फैसला किया था कि यहां के आम लोगों को जिस शराब की दुकान से आपत्ति है उसको बंद किया जाएगा. लेकिन करीब एक महीना होने को आया है, शराब की दुकान जैसे पहले खुली हुई थी आज भी वैसे ही खुली हुई है.
जनमत संग्रह के समय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसको लोकतंत्र और स्वराज बताया था और कहा था, 'जो फैसला आप लोग लेंगे वो सरकार के ऊपर बाध्य होगा और सरकार उस निर्णय को फॉलो करेगी. ये जो पद्धति की जा रही है दिल्ली के अंदर मुझे लगता है पूरे देश मे पहली बार हो रहा है कि जनता से पूछकर बात की जा रही है. अब जिस जिस इलाके से शिकायत आएगी, वहां के लोगों से पूछकर शराब की दुकान बंद करवाई जाएगी.'
करीब 10-12 साल पुरानी शराब की दुकान से परेशान इलाके के आम लोग सरकार से पूछ रहे हैं क्या हुआ तेरा वादा. अनमोल वाटिका निवासी अवधेश गुप्ता ने बताया कि 'एक महीना पहले जो केजरीवाल जी एयर सिसोदिया के साथ यहां मीटिंग हुई थी उस समय मैं गया था. उस समय लग था कि शराब का ठेका बंद हो गया. न्यूज़पेपर में भी आ गया लेकिन उसके बाद से कोई एक्शन तो हुआ नहीं, ऊपर से शराब के ठेके वाले और चौड़े हो गए हैं और हमको कह रहे हैं कि देख लो हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते तुम. अनमोल वाटिका RWA के सचिव वी के शर्मा ने कहा, 'मीटिंग हुई थी, उन्होंने वादा किया था कि ठेका बंद हो जाएगा. तो अभी तक तो हमको कुछ पता नहीं चला कि क्या इसपर कार्रवाई हुई?' इलाके की महिलाएं शराबियों से परेशान हैं.
अनमोल वाटिका में रहने वाली शोभा गुप्ता ने कहा, 'मेन एंट्रेंस पर लोग शराब पी पीकर खड़े होते हैं. गार्ड को भी मारते हैं. उनको यहां शराब पीने को मना करते हैं लेकिन वो किसी की नहीं सुनते. हम कहते हैं तो हमको कहते हैं कि आपको क्या प्रॉब्लम हो रही है. अरे हमको जब प्रॉब्लम हो रही है तभी तो बोल रहे हैं.' इलाके के लोग सोच रहे हैं कि इस मामले के लिए मुख्यमंत्री से बड़ा तो कोई है नहीं. जब उनके कहे से शराब की दुकान बंद नहीं हुई तो क्या अब पीएम से गुहार लगाएं? इसके बाद हम उत्तर पूर्वी दिल्ली के करावल नगर के शिव विहार तिराहे पर पहुंचे. शिव विहार तिराहे पर करीब 30-32 साल पुराना हनुमान मंदिर है. मंदिर से केवल 60-70 मीटर की दूरी पर शराब की दुकान है. लोग सालों से इस शराब की दुकान की शिकायत कर रहे हैं. इनकी जनसुनवाई भी हो रही है लेकिन ये शराब की दुकान सालों से ऐसे ही चले जा रही है.
इलाके के लोगों ने बताया कि इस शराब के ठेके से पब्लिक इतनी परेशान है कि 7 बजे के बाद औरतों और बच्चों का यहां से निकलना मुश्किल हो जाता है. शराबी पीकर यहीं पड़े मिलते हैं. शाम को आओ, आपको 10-15 शराबी यहीं पड़े मिलेंगे. महिलाओं ने बताया कि ठेके की तरफ़ से निकलने में बड़ी दिक्कत होती है. एक के साथ 4 लोग खड़े होते हैं और आते जाते लड़कियों को उल्टा सीधा बोलना चालना, सब कुछ बहुत परेशानी होती है. गिरीश कुमार बीते 22 साल से यहां रहते हैं. शराब की दुकान के ठीक सामने इनकी कंफेक्शनरी की दुकान और पास ही घर भी है. कहते हैं घर कि महिलाओं का घर से निकलना मुश्किल हो गया है. सालों से शिकायत कर रहे हैं, कोई सुनता ही नहीं. गिरीश कुमार ने कहा कि केजरीवाल जी ने कहा कि आम आदमी चाहेंगे तो ठेका हट जाएगा. यहां तो सारे आदमी चाहते हैं, सारी औरतें चाहती हैं. महिला आयोग की अध्यक्ष भी आई थी, उनसे भी औरतों ने शिकायत की लेकिन कहीं कुछ नहीं हुआ. ठेका बदस्तूर जारी है.
जुलाई 2017 में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल जयहिंद ने यहां जनसुनवाई करके मंदिर से शराब की दुकान की दूरी नपवाई जो करीब 60 मीटर निकली. और दिल्ली सरकार को ये दुकान बंद करवाने को कहा. दिल्ली सरकार ने जो जवाब दिया वो सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे. दिल्ली सरकार ने कहा कि कानून के मुताबिक 400 स्क्वायर फ़ीट एरिया वाले मंदिर के दायरे में ठेका नहीं हो सकता. ये हनुमान मंदिर करीब 258 स्क्वायर फ़ीट में फैला है इसलिए ठेका कानूनन सही है.
सोचिए ये उस सरकार के एक्साइज डिपार्टमेंट का जवाब है जिसका दावा है कि जनता जो चाहेगी सरकार वही करेगी. चाहे कुछ भी हो जाय, अगर लोग शराब की दुकान नहीं चाहते तो इलाके में दुकान नहीं हो सकती.
इसके बाद हम पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेज 3 में एक बड़े और नामी स्कूल पहुंचे. इस स्कूल के ठीक सामने सालों से शराब की दुकान चल रही है. ये शराब की दुकान सालों से पेरेंट्स की चिंता का सबब बनी हुई है लेकिन स्कूल के बाहर मिले पेरेंट्स ने बताया कि सालों से इस शराब की दुकान की शिकायत कर रहे हैं कि इससे हमारे बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है या ये शराब दुकान माहौल बिगाड़ रही है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
बीते साल सितंबर में जब गुरुग्राम के एक बड़े स्कूल में 7 साल के बच्चे की हत्या हुई तो उसके पास भी शराब की दुकान पाई गई. इससे सबक लेते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने ऐलान किया कि दिल्ली में स्कूलों के आसपास माहौल खराब कर रही शराब दुकानों की जानकारी सभी स्कूलों से मांगी है. नियमबद्ध होने के बावजूद अगर कोई शराब की दुकान किसी स्कूल के आसपास माहौल खराब कर रही है तो उसे बंद किया जाएगा. लेकिन 5 महीने होने को आये, सब वैसा ही चलता दिख रहा है. ऐसे में दिल्ली सचिवालय यानी दिल्ली सरकार के हेड क्वार्टर के बाहर नशे से बचने का दिल्ली सरकार का एक होर्डिंग क्यों लगाया गया है? आखिर ये होर्डिंग कहना क्या चाहता है ये समझ से बाहर है.
जनमत संग्रह के समय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसको लोकतंत्र और स्वराज बताया था और कहा था, 'जो फैसला आप लोग लेंगे वो सरकार के ऊपर बाध्य होगा और सरकार उस निर्णय को फॉलो करेगी. ये जो पद्धति की जा रही है दिल्ली के अंदर मुझे लगता है पूरे देश मे पहली बार हो रहा है कि जनता से पूछकर बात की जा रही है. अब जिस जिस इलाके से शिकायत आएगी, वहां के लोगों से पूछकर शराब की दुकान बंद करवाई जाएगी.'
करीब 10-12 साल पुरानी शराब की दुकान से परेशान इलाके के आम लोग सरकार से पूछ रहे हैं क्या हुआ तेरा वादा. अनमोल वाटिका निवासी अवधेश गुप्ता ने बताया कि 'एक महीना पहले जो केजरीवाल जी एयर सिसोदिया के साथ यहां मीटिंग हुई थी उस समय मैं गया था. उस समय लग था कि शराब का ठेका बंद हो गया. न्यूज़पेपर में भी आ गया लेकिन उसके बाद से कोई एक्शन तो हुआ नहीं, ऊपर से शराब के ठेके वाले और चौड़े हो गए हैं और हमको कह रहे हैं कि देख लो हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते तुम. अनमोल वाटिका RWA के सचिव वी के शर्मा ने कहा, 'मीटिंग हुई थी, उन्होंने वादा किया था कि ठेका बंद हो जाएगा. तो अभी तक तो हमको कुछ पता नहीं चला कि क्या इसपर कार्रवाई हुई?' इलाके की महिलाएं शराबियों से परेशान हैं.
अनमोल वाटिका में रहने वाली शोभा गुप्ता ने कहा, 'मेन एंट्रेंस पर लोग शराब पी पीकर खड़े होते हैं. गार्ड को भी मारते हैं. उनको यहां शराब पीने को मना करते हैं लेकिन वो किसी की नहीं सुनते. हम कहते हैं तो हमको कहते हैं कि आपको क्या प्रॉब्लम हो रही है. अरे हमको जब प्रॉब्लम हो रही है तभी तो बोल रहे हैं.' इलाके के लोग सोच रहे हैं कि इस मामले के लिए मुख्यमंत्री से बड़ा तो कोई है नहीं. जब उनके कहे से शराब की दुकान बंद नहीं हुई तो क्या अब पीएम से गुहार लगाएं? इसके बाद हम उत्तर पूर्वी दिल्ली के करावल नगर के शिव विहार तिराहे पर पहुंचे. शिव विहार तिराहे पर करीब 30-32 साल पुराना हनुमान मंदिर है. मंदिर से केवल 60-70 मीटर की दूरी पर शराब की दुकान है. लोग सालों से इस शराब की दुकान की शिकायत कर रहे हैं. इनकी जनसुनवाई भी हो रही है लेकिन ये शराब की दुकान सालों से ऐसे ही चले जा रही है.
इलाके के लोगों ने बताया कि इस शराब के ठेके से पब्लिक इतनी परेशान है कि 7 बजे के बाद औरतों और बच्चों का यहां से निकलना मुश्किल हो जाता है. शराबी पीकर यहीं पड़े मिलते हैं. शाम को आओ, आपको 10-15 शराबी यहीं पड़े मिलेंगे. महिलाओं ने बताया कि ठेके की तरफ़ से निकलने में बड़ी दिक्कत होती है. एक के साथ 4 लोग खड़े होते हैं और आते जाते लड़कियों को उल्टा सीधा बोलना चालना, सब कुछ बहुत परेशानी होती है. गिरीश कुमार बीते 22 साल से यहां रहते हैं. शराब की दुकान के ठीक सामने इनकी कंफेक्शनरी की दुकान और पास ही घर भी है. कहते हैं घर कि महिलाओं का घर से निकलना मुश्किल हो गया है. सालों से शिकायत कर रहे हैं, कोई सुनता ही नहीं. गिरीश कुमार ने कहा कि केजरीवाल जी ने कहा कि आम आदमी चाहेंगे तो ठेका हट जाएगा. यहां तो सारे आदमी चाहते हैं, सारी औरतें चाहती हैं. महिला आयोग की अध्यक्ष भी आई थी, उनसे भी औरतों ने शिकायत की लेकिन कहीं कुछ नहीं हुआ. ठेका बदस्तूर जारी है.
जुलाई 2017 में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल जयहिंद ने यहां जनसुनवाई करके मंदिर से शराब की दुकान की दूरी नपवाई जो करीब 60 मीटर निकली. और दिल्ली सरकार को ये दुकान बंद करवाने को कहा. दिल्ली सरकार ने जो जवाब दिया वो सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे. दिल्ली सरकार ने कहा कि कानून के मुताबिक 400 स्क्वायर फ़ीट एरिया वाले मंदिर के दायरे में ठेका नहीं हो सकता. ये हनुमान मंदिर करीब 258 स्क्वायर फ़ीट में फैला है इसलिए ठेका कानूनन सही है.
सोचिए ये उस सरकार के एक्साइज डिपार्टमेंट का जवाब है जिसका दावा है कि जनता जो चाहेगी सरकार वही करेगी. चाहे कुछ भी हो जाय, अगर लोग शराब की दुकान नहीं चाहते तो इलाके में दुकान नहीं हो सकती.
इसके बाद हम पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेज 3 में एक बड़े और नामी स्कूल पहुंचे. इस स्कूल के ठीक सामने सालों से शराब की दुकान चल रही है. ये शराब की दुकान सालों से पेरेंट्स की चिंता का सबब बनी हुई है लेकिन स्कूल के बाहर मिले पेरेंट्स ने बताया कि सालों से इस शराब की दुकान की शिकायत कर रहे हैं कि इससे हमारे बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है या ये शराब दुकान माहौल बिगाड़ रही है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
बीते साल सितंबर में जब गुरुग्राम के एक बड़े स्कूल में 7 साल के बच्चे की हत्या हुई तो उसके पास भी शराब की दुकान पाई गई. इससे सबक लेते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने ऐलान किया कि दिल्ली में स्कूलों के आसपास माहौल खराब कर रही शराब दुकानों की जानकारी सभी स्कूलों से मांगी है. नियमबद्ध होने के बावजूद अगर कोई शराब की दुकान किसी स्कूल के आसपास माहौल खराब कर रही है तो उसे बंद किया जाएगा. लेकिन 5 महीने होने को आये, सब वैसा ही चलता दिख रहा है. ऐसे में दिल्ली सचिवालय यानी दिल्ली सरकार के हेड क्वार्टर के बाहर नशे से बचने का दिल्ली सरकार का एक होर्डिंग क्यों लगाया गया है? आखिर ये होर्डिंग कहना क्या चाहता है ये समझ से बाहर है.
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