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NDTV रियलिटी चेक: ना नियमों की चिंता ना प्रतिबंधों का डर... फिर दिल्ली में कैसे कम होगा प्रदूषण

दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए कई अहम नियम लागू किए हैं. लेकिन क्या ये नियम ग्राउंड पर लागू हो भी पा रहे हैं? हमारी टीम यही जांचने के लिए सड़क पर उतरी. हमें अपने रियलिटी चेक में जो दिखा वो बेहद हैरान करने वाला था.

NDTV रियलिटी चेक: ना नियमों की चिंता ना प्रतिबंधों का डर... फिर दिल्ली में कैसे कम होगा प्रदूषण
दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए जो नियम बनाए हैं उन्हें सही से लागू नहीं किया जा रहा
  • गाजीपुर बॉर्डर पर आधी रात से सक्रिय चेकिंग जारी है और बीएस4 से नीचे के वाहनों को वापस भेजा जा रहा है
  • मयूर विहार नोएडा सीमा पर अधिकारियों की अनुपस्थिति में वाहनों की जांच नहीं हो रही थी
  • दिल्ली पुलिस की टीम देर रात जांच के लिए मौजूद थी लेकिन कैमरा ऑन होते ही चेकिंग शुरू की गई थी
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नई दिल्ली:

दिल्ली में 1 नवंबर 2025 यानी आज से नॉन-BS6 यानी BS4 (भारत स्टेज-4) और उससे नीचे स्‍टैंडर्ड के इंजन वाले कमर्शियल वाहनों की एंट्री पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है. राजधानी में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के निर्देश पर दिल्ली परिवहन विभाग ने ये आदेश जारी किया था, जो आज से प्रभावी हो गया है. लगाए गए प्रतिबंध जमीन पर कितने कारगार साबित हो रहे हैं और इन नियमों को कितनी सख्ती से लागू किया जा रहा है, इसकी जांच के लिए NDTV ने दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर का जायजा लिया. इस रियलिटी चेक के दौरान हमारी टीम ने जो देखा वो बेहद हैरान करने वाला था. हमारी टीम को ज्यादातर जगहों पर नियमों की अनदेखी होती दिखी. 

चुस्त दिखे अधिकारी

ग़ाज़ीपुर बॉर्डर (समय रात के 12 बजे)

रात के लगभग 12 बज रहे थे जब एनडीटीवी की टीम ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पहुंची तो हमें यहां MCD अधिकारी और दिल्ली पुलिस की टीमें तैनात दिखीं. हमारी टीम ने उनसे नए नियम और उसके लागू होने के बारे में पूछा तो कर्मचारियों ने बताया कि आधी रात को प्रतिबंध लागू होने के बाद से ही चेकिंग शुरू हो गई थी. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की ओर से प्रवेश करने वाले प्रत्येक वाहन की जांच की जा रही हैं. यदि उन्हें कोई वाहन बीएस-4 मानक से नीचे मिला तो उन्होंने उसे रोक लिया और वापस भेज दिया.यहां अधिकारी चुस्त दिखे और टीमें सक्रिय दिख रही थीं.

बगैर रोकटोक आते-जाते दिखे वाहन

मयूर विहार नोएडा सीमा (समय देर रात 1 बजे)

समय करीब एक बजे का था. हमें उम्मीद थी कि गाजीपुर की तरह ही मयूर विहार में भी वाहनों की चेकिंग नियमों के मुताबिक ही की जा रही होगी. लेकिन ऐसा था नहीं. हमनें देखा कि यहां से गुजरने वाले भारी वाहनों के साथ-साथ अन्य वाहनों को रोकने या उनकी जांच के लिए कोई मौजूद नहीं था. हम कुछ दूरी पर खड़े होकर देख रहे थे कि क्या हो रहा है। टोल बूथ खुले थे और एमसीडी कर्मचारी वहां से गुजरने वाले हर ट्रक और वाणिज्यिक वाहन से टोल वसूलने में व्यस्त थे। एक भी वाहन को रोका या स्कैन नहीं किया जा रहा था. फिर हमने अपना कैमरा ऑन किया और एमसीडी कर्मचारियों के पास गए. हमने उनसे पूछा कि क्या आप सभी वाहनों से टोल वसूल रहे हैं. इसपर कर्मचारी ने कहा हां. फिर हमने पूछा क्या कोई प्रतिबंध लगाया है? इस सवाल पर वहां खड़ा कर्मचारी पूरी तरह से हैरान रह गया. उसे देखकर लगा कि उसे किसी प्रतिबंध की कोई जानकारी नहीं है. उसने हमसे नजर बचाते हुए अपने एक साथ से इशारों में पूछा लेकिन उसे भी किसी तरह के प्रतिबंध लागू होने की जानकारी नहीं थी. 

हमने फिर दूसरे कर्मचारी से पूछा कि क्या सभी वाहनों को अनुमति दी जा रही है? इसपर उसने कहा कि अभी तक कोई कानून लागू नहीं हुआ है. सरकार ने अभी तक कोई आदेश पारित नहीं किया है.फिर हम वहीं एक तीसरे एमसीडी कर्मचारी से मिले जिन्होंने कहा कि वे "केवल टोल ले रहे थे और इससे अधिक कुछ नहीं. उन्होंने भी हमें स्पष्टता के लिए एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी से बात करने को कहा. इसके बाद हमने मौके पर मौजूद वरिष्ठ अधिकारी से बात की. चौथा कर्मचारी ने  दावा किया कि बीएस-III और बीएस-IV वाहनों को अनुमति नहीं है. और दिल्ली पुलिस  की टीम भी इसकी जांच कर रही है. 

कैमरा देखते हुए अधिकारियों ने शुरू की जांच

देर रात 1.30 बजे 

दिल्ली पुलिस आगे कहीं जांच कर रही है या नहीं ये जांचने के लिए हम अधिकारी द्वारा बताए गए प्वाइंट पर पहुंचे.हम बताए गए प्वाइंट से करीब 50 मीटर पहले ही रुक गए और वहां क्या कुछ हो रहा है इसका जायजा लेने लगे.  हमने जो देखा वह हैरान करने वाला था. उस प्वाइंट पर पुलिसकर्मी एक साथ खड़े तो थे लेकिन कुछ कर नहीं रहे थे. कोई जांच नहीं, कोई स्कैनिंग नहीं. ट्रक, टेम्पो, बस हर तरह के वाहन बेरोकटोक गुजर रहे थे. हम वहां कुछ मिनट रुके. एक भी वाहन को नहीं रोका गया. फिर हम सड़क पार कर दिल्ली पुलिस टीम के करीब पहुंचे. जैसे ही उनकी नजर एनडीटीवी क्रू पर पड़ी, वे अचानक सक्रिय हो गए. उन्होंने अपना चेकिंग उपकरण उठाया और वाहनों को रोकना शुरू कर दिया. 

फिर हमने एक पुलिस वाले से बात की. हमने उनसे पूछा कि क्या अब चेकिंग शुरू हो गई है? इसपर पुलिसकर्मी ने कहा हां, हम वाहनों की जांच कर रहे हैं. प्रतिबंध रात 11 बजे से लागू किया गया है. लेकिन हमने उन्हें बताया कि हम काफी देर से देख रहे हैं कि यहां कोई चेकिंग नहीं हो रही थी.फिर पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमने अभी कुछ समय पहले ही शुरुआत की है. 

हमारे इस रियलिटी चेक में ये तो साफ हो गया है कि ग्राउंड जीरो पर क्या हालात हैं. ऐसे में ये तो साफ है कि प्रतिबंध तभी सक्रिय था जब कैमरों ने रिकॉर्डिंग करना शुरू किया था. कैमरा बंद होने के साथ ही मौके पर मौजूद अधिकारी वाहनों को यूं ही आने जाने दे रहे थे. प्रतिबंध को लागू करने के इस रवैये को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े होते हैं. इस चूक के लिए कौन जिम्मेदार है? हर साल दिल्ली उसी जहरीली और ज़हरीली हवा में सांस लेती है. हर साल हम इसी स्थिति पर रिपोर्ट करते हैं. हर साल अधिकारी सख्त कार्रवाई का वादा करते हैं. और वही पैटर्न दोहराता है. ऐसा लगता है कि नियम सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं और धरातल पर घोर लापरवाही है.

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