नई दिल्ली:
दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर कार्गो एरिया में रेडियोऐक्टिव पदार्थ लीक होने की खबर से खलबली मच गयी. हांलाकि करीब साढ़े तीन घंटे की जांच के बाद जांच कर रही एजेंसियों ने कहा कि जो पदार्थ लीक हुआ वो तय मात्रा में था और उससे कोई नुकसान नहीं हुआ है.
रविवार सुबह क़रीब साढ़े 10 बजे दिल्ली एयरपोर्ट के कार्गो एरिया में खलबली मच गयी. कार्गो एरिया में काम कर रहे एक कर्मचारी ने शिकायत की कि एयर फ्रांस से बीती रात आए एक कंसाइनमेंट से रेडियोऐक्टिव रिसाव हो रहा है. जिस पैकेट से रिसाव की बात हुई उसमें कैंसर के इलाज से जुड़ी न्यूक्लियर मेडिसिन थी जो दिल्ली एक अस्पताल के लिए मंगाई गई थी, ऐसे कुल सोलह पैकेट थे.
रिसाव की बात सामने आते ही आनन फानन में पूरे कार्गो एरिया को खाली कराया गया. यहां काम कर रहे क़रीब एक हज़ार लोगों को बाहर भेज दिया गया. तुरंत ही सीआईएसएफ़, दिल्ली पुलिस और एनडीआरएफ़ की टीमें सक्रिय हो गईं. रेडियोऐक्टिव पैकेटों को कार्गो एरिया से दूर एक सुरक्षित इलाके में ले जाया गया. एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड के वैज्ञानिकों की टीम तुरंत बुलाई गई. वैज्ञानिकों ने तुरंत ही इन पैकेटों से रिसाव को रोका. क़रीब साढ़े तीन घंटे की जांच के बाद इलाके को सुरक्षित घोषित किया गया.
बताया गया कि जो रेडियोऐक्टिव रिसाव हुआ वो सुरक्षित सीमा के भीतर था और इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है. एयर फ्रांस ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने रेडियोऐक्टिव पदार्थ को लाने में सुरक्षा के सभी मानकों को अपनाया है.
ये मामला भले ही बिना नुकसान के निपट गया हो लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि ऐसी रेडियोऐक्टिव सामग्री अक्सर ही उद्योगों, अस्पतालों और अनुसंधान संस्थानों के लिए लाई जाती है. ऐसे में उन्हें सुरक्षित रखने के उपाय भी उतने ही सख़्त होने चाहिए. ज़रा सी ग़लती भी कभी दिल्ली के मायापुरी हादसे की तरह भारी पड़ सकती है.
रविवार सुबह क़रीब साढ़े 10 बजे दिल्ली एयरपोर्ट के कार्गो एरिया में खलबली मच गयी. कार्गो एरिया में काम कर रहे एक कर्मचारी ने शिकायत की कि एयर फ्रांस से बीती रात आए एक कंसाइनमेंट से रेडियोऐक्टिव रिसाव हो रहा है. जिस पैकेट से रिसाव की बात हुई उसमें कैंसर के इलाज से जुड़ी न्यूक्लियर मेडिसिन थी जो दिल्ली एक अस्पताल के लिए मंगाई गई थी, ऐसे कुल सोलह पैकेट थे.
रिसाव की बात सामने आते ही आनन फानन में पूरे कार्गो एरिया को खाली कराया गया. यहां काम कर रहे क़रीब एक हज़ार लोगों को बाहर भेज दिया गया. तुरंत ही सीआईएसएफ़, दिल्ली पुलिस और एनडीआरएफ़ की टीमें सक्रिय हो गईं. रेडियोऐक्टिव पैकेटों को कार्गो एरिया से दूर एक सुरक्षित इलाके में ले जाया गया. एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड के वैज्ञानिकों की टीम तुरंत बुलाई गई. वैज्ञानिकों ने तुरंत ही इन पैकेटों से रिसाव को रोका. क़रीब साढ़े तीन घंटे की जांच के बाद इलाके को सुरक्षित घोषित किया गया.
बताया गया कि जो रेडियोऐक्टिव रिसाव हुआ वो सुरक्षित सीमा के भीतर था और इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है. एयर फ्रांस ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने रेडियोऐक्टिव पदार्थ को लाने में सुरक्षा के सभी मानकों को अपनाया है.
ये मामला भले ही बिना नुकसान के निपट गया हो लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि ऐसी रेडियोऐक्टिव सामग्री अक्सर ही उद्योगों, अस्पतालों और अनुसंधान संस्थानों के लिए लाई जाती है. ऐसे में उन्हें सुरक्षित रखने के उपाय भी उतने ही सख़्त होने चाहिए. ज़रा सी ग़लती भी कभी दिल्ली के मायापुरी हादसे की तरह भारी पड़ सकती है.
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