नॉर्थ ब्लॉक
नई दिल्ली:
राष्ट्रपति भवन और संसद भवन के आसपास का इलाका देखने के लिए दुनिया भर से सैलानी आते हैं, लेकिन उनको मालूम नहीं है कि आजकल देश का यह गौरव खुद जबरदस्त प्रदूषण के जद में है। जानकर आपको हैरत होगी, 6 दिसंबर को इस क्षेत्र में जब प्रदूषण विशेषज्ञों ने प्रदूषण नापने वाली मशीन लगाई तो सुबह लगभग 7 बजे से 8 बजे के बीच हवा में प्रदूषण की मात्रा सामान्य से दस गुना ज्यादा रिकॉर्ड की गई। जबकि आज रविवार भी था।
जांच करने वाले प्रदूषण विशेषज्ञ बरुण गुप्ता कहते हैं कि जब इस वीवीआईपी इलाके में सुबह 7 बजे से 8 बजे के दरम्यान 540 से 600 माइक्रोग्राम परमीटर क्यू प्रदूषण है, जो सामान्य से लगभग 10 गुना ज्यादा है। सीपीसीबी के मुताबिक 60 एमसीजी और डब्लूएचओ के मुताबिक 50 एमसीजी होना चाहिए। संसद भवन और राष्ट्रपति भवन का यह आलम है तो दिल्ली के अन्य इलाकों का क्या आलम होगा, अंदाज़ा लगाया जा सकता है। स्विटजरलैंड में एक बार 20 एमसीजी का दायरा पार करने पर तुरंत सरकार को कमेटी बैठालने पर मजबूर होना पड़ा था।
वहां तो न वाहन बेशुमार, न ही कचरा जल रहा फिर भी हालात गंभीर
पर्यावरण को बचाने में लगभग 30 सालों से कोर्ट में जीजान लगाए अधिवक्ता एमसी मेहता कहते हैं कि संसद भवन और राष्ट्रपति भवन प्रदूषण के जबरदस्त घेरे में हैं। ऐसे में खुद राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की सेहत को भी गंभीर खतरा है। इस वीवीआईपी इलाके में, जहां विदेशी मेहमानों का आना जाना लगा रहता है, जब यह हाल है तो आम जनता का क्या होगा ? यहां न तो गाड़ियां ज्यादा चलती हैं, न ही भवन निर्माण हो रहे हैं और न ही कचरा जलाया जाता है। फिर भी इस इलाके का यह आलम है तो बाकी इलाके कैसे सुरक्षित होंगे। यह खुद अपने आप में सवालिया निशान है। नतीजा यह है कि अस्पतालों में अपनी जिन्दगी को बचाने की जद्दोजहद में दूरदराज से आए मरीज भी प्रदूषण की भयंकर गिरफ्त में है। ऐसा लगता है हम राष्ट्रीय राजधानी में नहीं गैस चैम्बर में रह रहे हैं।
जन जागरूकता के बिना समस्या नहीं सुलझेगी
पर्यावरण को बचाने की कोशिश में प्रयासरत भारतीय मौसम विभाग के उप महानिदेशक पद पर आसीन आनंद शर्मा खुद मेट्रो का इस्तेमाल कर घर से कार्यालय जाते हैं। उनका कहना है कि दरअसल यह प्रदूषण दिल्ली के आसपास राज्यों में फसल कटने के बाद लगाई गई आग से उठने वाले धुंए, भवन निर्माण, कचरा जलाने से निकलने वाले धुएं के अलावा गाड़ियों से 35 प्रतिशत प्रदूषण होता है। इसको रोकने के लिए जनता को भी जागरूक होना पड़ेगा। सरकार कानून बना सकती है लेकिन उसको अमली जामा पहनाने में असल रोल जनता का ही होता है। अफसोस है कि हम लोग जानते सब कुछ हैं लेकिन मानते नहीं हैं। जिनेवा में होटल में पहुंचते ही ग्राहक को पास दिया जाता है जिसमे बस, ट्रैन, बोट में ग्राहक फ्री सफर कर सकता है। उनका यह कदम पर्यावरण को बचाने के लिए है।
वीवीआईपी प्रदूषण के बीच
रविवार की सुबह प्रदूषण से बेखबर विजय चौक पर वीवीआईपी काफिले संसद भवन पहुंचे। संविधान निर्माता डॉक्टर बाबासाहब आम्बेडकर की पुण्यतिथि पर संसद भवन के बगीचे में स्थित उनकी प्रतिमा पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई मंत्रियों, सांसदों ने पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान क्षेत्र में भारी प्रदूषण का सामना इन दिग्गज नेताओं ने भी किया।
जांच करने वाले प्रदूषण विशेषज्ञ बरुण गुप्ता कहते हैं कि जब इस वीवीआईपी इलाके में सुबह 7 बजे से 8 बजे के दरम्यान 540 से 600 माइक्रोग्राम परमीटर क्यू प्रदूषण है, जो सामान्य से लगभग 10 गुना ज्यादा है। सीपीसीबी के मुताबिक 60 एमसीजी और डब्लूएचओ के मुताबिक 50 एमसीजी होना चाहिए। संसद भवन और राष्ट्रपति भवन का यह आलम है तो दिल्ली के अन्य इलाकों का क्या आलम होगा, अंदाज़ा लगाया जा सकता है। स्विटजरलैंड में एक बार 20 एमसीजी का दायरा पार करने पर तुरंत सरकार को कमेटी बैठालने पर मजबूर होना पड़ा था।
वहां तो न वाहन बेशुमार, न ही कचरा जल रहा फिर भी हालात गंभीर
पर्यावरण को बचाने में लगभग 30 सालों से कोर्ट में जीजान लगाए अधिवक्ता एमसी मेहता कहते हैं कि संसद भवन और राष्ट्रपति भवन प्रदूषण के जबरदस्त घेरे में हैं। ऐसे में खुद राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की सेहत को भी गंभीर खतरा है। इस वीवीआईपी इलाके में, जहां विदेशी मेहमानों का आना जाना लगा रहता है, जब यह हाल है तो आम जनता का क्या होगा ? यहां न तो गाड़ियां ज्यादा चलती हैं, न ही भवन निर्माण हो रहे हैं और न ही कचरा जलाया जाता है। फिर भी इस इलाके का यह आलम है तो बाकी इलाके कैसे सुरक्षित होंगे। यह खुद अपने आप में सवालिया निशान है। नतीजा यह है कि अस्पतालों में अपनी जिन्दगी को बचाने की जद्दोजहद में दूरदराज से आए मरीज भी प्रदूषण की भयंकर गिरफ्त में है। ऐसा लगता है हम राष्ट्रीय राजधानी में नहीं गैस चैम्बर में रह रहे हैं।
जन जागरूकता के बिना समस्या नहीं सुलझेगी
पर्यावरण को बचाने की कोशिश में प्रयासरत भारतीय मौसम विभाग के उप महानिदेशक पद पर आसीन आनंद शर्मा खुद मेट्रो का इस्तेमाल कर घर से कार्यालय जाते हैं। उनका कहना है कि दरअसल यह प्रदूषण दिल्ली के आसपास राज्यों में फसल कटने के बाद लगाई गई आग से उठने वाले धुंए, भवन निर्माण, कचरा जलाने से निकलने वाले धुएं के अलावा गाड़ियों से 35 प्रतिशत प्रदूषण होता है। इसको रोकने के लिए जनता को भी जागरूक होना पड़ेगा। सरकार कानून बना सकती है लेकिन उसको अमली जामा पहनाने में असल रोल जनता का ही होता है। अफसोस है कि हम लोग जानते सब कुछ हैं लेकिन मानते नहीं हैं। जिनेवा में होटल में पहुंचते ही ग्राहक को पास दिया जाता है जिसमे बस, ट्रैन, बोट में ग्राहक फ्री सफर कर सकता है। उनका यह कदम पर्यावरण को बचाने के लिए है।
संसद भवन में जब डा आम्बेडकर को श्रद्धांजलि दी जा रही थी, तब इलाके में भारी प्रदूषण था।
वीवीआईपी प्रदूषण के बीच
रविवार की सुबह प्रदूषण से बेखबर विजय चौक पर वीवीआईपी काफिले संसद भवन पहुंचे। संविधान निर्माता डॉक्टर बाबासाहब आम्बेडकर की पुण्यतिथि पर संसद भवन के बगीचे में स्थित उनकी प्रतिमा पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई मंत्रियों, सांसदों ने पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान क्षेत्र में भारी प्रदूषण का सामना इन दिग्गज नेताओं ने भी किया।
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