दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार की कैबिनेट ने आज अहम् फैसला लेते हुए दिल्ली के स्कूलों में मैनेजमेंट कोटा पूरी तरह से बंद करने का ऐलान कर दिया है।
दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेंस करके बताया कि मैनेजमेंट कोटा एक तरह का घपला है जिसके आधार पर स्कूल अपनी मनमानी करते थे और आम लोगों के बच्चों को दाखिल नहीं मिल पाता था इसलिए मैनेजमेंट कोटा पूरी तरह से ख़त्म कर दिया गया है। केजरीवाल ने बताया कि अब स्कूलों में 75 फीसदी सीटें आम बच्चों के लिए और 25 फीसदी सीटें गरीब बच्चों के लिए होंगी।
स्कूलों ने नहीं तय किए दाखिले के पैमाने
यही नहीं सीएम ने ये भी बताया कि दिसंबर में सभी स्कूलों को कहा गया था कि दाखिले के पैमाने वो खुद तय करें और वेबसाइट पे डालें लेकिन कुछ स्कूलों ने ऐसे पैमाने लिखें है जैसे कि जिनके मां-बाप नॉन वेज खाते हैं, स्मोकिंग करते, शराब पीते उनको दाखिला नहीं मिलेगा जो कि मनमाना और गलत हैं इसलिए सरकार ने ऐसे 62 तरह के पैमाने ख़त्म कर दिए हैं।
गलत होते हुए नहीं देख सकती सरकार
सरकार के मुताबिक़ वो स्कूलों की स्वतंत्रता में दखल नहीं दे रही लेकिन सरकार कुछ गलत होते हुए नहीं देख सकती इसलिये ये फैसले लिए गए हैं। आपको बता दें अभी दिल्ली के स्कूलों के पास खाली बची रह गई सीटों को मैनेजमेंट कोटा में बदलने का चलन है जिसमे बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगते हैं। और क्योंकि तय नियम नहीं है इसलिये आरोप लगते हैं की स्कूल अपने हिसाब से बच्चे दाखिल करते हैं और अपने हिसाब सीटें खाली छोड़कर उसको मैनेजमेंट कोटा में दिखाकर उसके बदले बड़ी रकम में दाखिला देते हैं।
दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेंस करके बताया कि मैनेजमेंट कोटा एक तरह का घपला है जिसके आधार पर स्कूल अपनी मनमानी करते थे और आम लोगों के बच्चों को दाखिल नहीं मिल पाता था इसलिए मैनेजमेंट कोटा पूरी तरह से ख़त्म कर दिया गया है। केजरीवाल ने बताया कि अब स्कूलों में 75 फीसदी सीटें आम बच्चों के लिए और 25 फीसदी सीटें गरीब बच्चों के लिए होंगी।
स्कूलों ने नहीं तय किए दाखिले के पैमाने
यही नहीं सीएम ने ये भी बताया कि दिसंबर में सभी स्कूलों को कहा गया था कि दाखिले के पैमाने वो खुद तय करें और वेबसाइट पे डालें लेकिन कुछ स्कूलों ने ऐसे पैमाने लिखें है जैसे कि जिनके मां-बाप नॉन वेज खाते हैं, स्मोकिंग करते, शराब पीते उनको दाखिला नहीं मिलेगा जो कि मनमाना और गलत हैं इसलिए सरकार ने ऐसे 62 तरह के पैमाने ख़त्म कर दिए हैं।
गलत होते हुए नहीं देख सकती सरकार
सरकार के मुताबिक़ वो स्कूलों की स्वतंत्रता में दखल नहीं दे रही लेकिन सरकार कुछ गलत होते हुए नहीं देख सकती इसलिये ये फैसले लिए गए हैं। आपको बता दें अभी दिल्ली के स्कूलों के पास खाली बची रह गई सीटों को मैनेजमेंट कोटा में बदलने का चलन है जिसमे बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगते हैं। और क्योंकि तय नियम नहीं है इसलिये आरोप लगते हैं की स्कूल अपने हिसाब से बच्चे दाखिल करते हैं और अपने हिसाब सीटें खाली छोड़कर उसको मैनेजमेंट कोटा में दिखाकर उसके बदले बड़ी रकम में दाखिला देते हैं।
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