आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर
नई दिल्ली:
'आर्ट ऑफ लिविंग' के तीन दिनों तक चलने वाले विश्व सांस्कृतिक महोत्सव को लेकर अब भी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की हरी झंडी का इंतजार है। कार्यक्रम की अनुमति देने वाली डीडीए ने ट्रिब्यूनल के सामने अपनी सफाई दी लेकिन एनजीटी ने उसकी खिंचाई की। यमुना पर पंटून पुल और खादर के एक बड़े हिस्से में आर्ट ऑफ लिविंग के विश्व सांस्कृतिक महोत्सव की तैयारी चल रही है। 11 से 13 मार्च के बीच होने वाले इस कार्यक्रम में 35 लाख लोगों के आने की उम्मीद है। लेकिन मामला अदालत में है और फैसला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को करना है।
डीडीए से पूछा, क्या आपको अंदाजा नहीं था कि कार्यक्रम इतना बड़ा होगा
डीडीए ने आयोजन की अनुमति दी है। एनजीटी के सामने डीडीए ने गुरुवार को अपनी सफाई में कहा कि उसे अंदाज़ा नहीं था कि कार्यक्रम इतना बड़ा होगा। मगर एनजीटी ने सवालों की झड़ी लगा दी। एनजीटी ने कहा, "आर्ट ऑफ लिविंग ने करीब 24 हेक्टेयर की जमीन की जरूरत आपको बताई थी। एक हेक्टेयर का स्टेज, 20 हेक्टेयर में लोगों के बैठने की जगह और करीब 3 हेक्टेयर की पार्किंग का जिक्र किया था। फिर आपको कार्यक्रम की भव्यता का अंदाजा कैसे नहीं लगा और आपने क्यों नहीं पूछा कि कितने लोग जुटेंगे ? क्या आपने आर्ट ऑफ लिविंग से पूछना मुनासिब नहीं समझा कि इतने लोग जुटेंगे तो पार्किंग कहां होगी ? क्या अनुमति देने से पहले क्या आपने साइट का दौरा किया ?"
कार्यक्रम की इजाजत रद्द करने की की गई है मांग
यमुना किनारे होने वाले इस कार्यक्रम के चलते पर्यावरण के नुकसान को लेकर पर्यावरण के जानकार आनंद आर्या और मनोज मिश्रा ने एनजीटी में याचिका दायर कर रखी है। मनोज मिश्रा ने कहा कि डीडीए मान रहा है कि वहां नियमों की अनदेखी हो रही है तो फिर परमिशन कैंसिल क्यों नहीं कर रहा। हम तो यही मांग रखेंगे कि कार्यक्रम तुरंत रद्द किया जाए। इससे पहले एनजीटी की बनाई कमेटी ने कार्यक्रम स्थल का दौरा किया और पाया कि उल्लंघन साफतौर पर हुआ है। साथ ही रिपोर्ट दी कि फिर से इस पूरे इलाके को पुराने स्वरूप में लाने के लिए करीब 120 करोड़ का खर्च आएगा। इस मामले में अब अगली सुनवाई सोमवार को होनी है।
डीडीए से पूछा, क्या आपको अंदाजा नहीं था कि कार्यक्रम इतना बड़ा होगा
डीडीए ने आयोजन की अनुमति दी है। एनजीटी के सामने डीडीए ने गुरुवार को अपनी सफाई में कहा कि उसे अंदाज़ा नहीं था कि कार्यक्रम इतना बड़ा होगा। मगर एनजीटी ने सवालों की झड़ी लगा दी। एनजीटी ने कहा, "आर्ट ऑफ लिविंग ने करीब 24 हेक्टेयर की जमीन की जरूरत आपको बताई थी। एक हेक्टेयर का स्टेज, 20 हेक्टेयर में लोगों के बैठने की जगह और करीब 3 हेक्टेयर की पार्किंग का जिक्र किया था। फिर आपको कार्यक्रम की भव्यता का अंदाजा कैसे नहीं लगा और आपने क्यों नहीं पूछा कि कितने लोग जुटेंगे ? क्या आपने आर्ट ऑफ लिविंग से पूछना मुनासिब नहीं समझा कि इतने लोग जुटेंगे तो पार्किंग कहां होगी ? क्या अनुमति देने से पहले क्या आपने साइट का दौरा किया ?"
कार्यक्रम की इजाजत रद्द करने की की गई है मांग
यमुना किनारे होने वाले इस कार्यक्रम के चलते पर्यावरण के नुकसान को लेकर पर्यावरण के जानकार आनंद आर्या और मनोज मिश्रा ने एनजीटी में याचिका दायर कर रखी है। मनोज मिश्रा ने कहा कि डीडीए मान रहा है कि वहां नियमों की अनदेखी हो रही है तो फिर परमिशन कैंसिल क्यों नहीं कर रहा। हम तो यही मांग रखेंगे कि कार्यक्रम तुरंत रद्द किया जाए। इससे पहले एनजीटी की बनाई कमेटी ने कार्यक्रम स्थल का दौरा किया और पाया कि उल्लंघन साफतौर पर हुआ है। साथ ही रिपोर्ट दी कि फिर से इस पूरे इलाके को पुराने स्वरूप में लाने के लिए करीब 120 करोड़ का खर्च आएगा। इस मामले में अब अगली सुनवाई सोमवार को होनी है।
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