नई दिल्ली:
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की महत्वपूर्ण राशन की डोरस्टेप डिलीवरी योजना पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बयान अलग-अलग दिखाई दे रहे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को बताया कि उन्होंने राशन की डोरस्टेप डिलीवरी योजना को मंज़ूर कर दिया है और उसपर लगी सारी आपत्ति ख़ारिज कर दी है. केजरीवाल ने एलजी अनिल बैजल से मिलने के बाद प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया कि 'आज बात-बात में एलजी ने भी कहा कि मैंने सुना है कि आज सुबह आप लोगों ने राशन की डोरस्टेप वाला प्रस्ताव पास कर दिया है, उसको आप लोग कीजिये, अब फ़ाइल मेरे पास भेजने की ज़रूरत नही.' केजरीवाल ने ये भी कहा कि ज़रूरतमंद के घर तक राशन पहुंचाने की योजना बहुत दिनों से एलजी साहब ने अटका रखी थी जो अब जल्द लागू हो जाएगी.
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने बयान जारी करके अरविंद केजरीवाल के दावों को गलत बताया. यहीं उन्होंने कहा कि इसमें केंद्र सरकार का कानून बाधा बन रहा है इसलिए केंद्र सरकार से मंज़ूरी लेनी पड़ेगी. बयान में कहा गया कि 'मीडिया रिपोर्ट्स के उत्तर में यह बताया जाता है कि 'माननीय उप राज्यपाल महोदय ने डोर स्टेप डिलीवरी ऑफ राशन की प्रस्तावित योजना पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
यह भी बताया जाता है कि इससे संबंधित फाइल मार्च 2018 में कानून विभाग दिल्ली सरकार के सुझाव के अनुसार भारत सरकार की अनुमति के लिए वापस कर दी गई थी जैसा कि कानून के अनुसार जरूरी था. फ़ाइल दुबारा प्रस्तुत नहीं की गई और यह चुनी हुई सरकार के पास लंबित है. उप राज्यपाल महोदय का इस संबंध में कोई बयान या टिप्पणी भ्रामक है.'
VIDEO: अगर केंद्र सरकार SC का ऑर्डर नहीं मानेगी तो देश में अराजकता फैल जाएगी : केजरीवाल
यानी उपराज्यपाल कहना चाह रहे हैं कि राशन की डोरस्टेप डिलीवरी की योजना उन्होंने नहीं अटकाई बल्कि खुद सरकार 3 महीने से फ़ाइल लेकर बैठी है और दूसरा इस प्रस्ताव में केंद्र की मंज़ूरी ज़रूरी होगी क्योंकि इसमें केंद्र सरकार का कानून बीच में आ रहा है. ऐसे में हो सकता है एक बार फिर ये योजना अटक जाए.
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने बयान जारी करके अरविंद केजरीवाल के दावों को गलत बताया. यहीं उन्होंने कहा कि इसमें केंद्र सरकार का कानून बाधा बन रहा है इसलिए केंद्र सरकार से मंज़ूरी लेनी पड़ेगी. बयान में कहा गया कि 'मीडिया रिपोर्ट्स के उत्तर में यह बताया जाता है कि 'माननीय उप राज्यपाल महोदय ने डोर स्टेप डिलीवरी ऑफ राशन की प्रस्तावित योजना पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
यह भी बताया जाता है कि इससे संबंधित फाइल मार्च 2018 में कानून विभाग दिल्ली सरकार के सुझाव के अनुसार भारत सरकार की अनुमति के लिए वापस कर दी गई थी जैसा कि कानून के अनुसार जरूरी था. फ़ाइल दुबारा प्रस्तुत नहीं की गई और यह चुनी हुई सरकार के पास लंबित है. उप राज्यपाल महोदय का इस संबंध में कोई बयान या टिप्पणी भ्रामक है.'
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यानी उपराज्यपाल कहना चाह रहे हैं कि राशन की डोरस्टेप डिलीवरी की योजना उन्होंने नहीं अटकाई बल्कि खुद सरकार 3 महीने से फ़ाइल लेकर बैठी है और दूसरा इस प्रस्ताव में केंद्र की मंज़ूरी ज़रूरी होगी क्योंकि इसमें केंद्र सरकार का कानून बीच में आ रहा है. ऐसे में हो सकता है एक बार फिर ये योजना अटक जाए.
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