जेएनयू विवाद के दौरान विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों को गिरफ्तार किया गया था
नई दिल्ली:
जेएनयू के छात्र अनिर्बान के लिए मुश्किलें खत्म नहीं हो रही हैं। हाल ही में जेएनयू की 5 सदस्यों वाली उच्चस्तरीय जांच कमेटी ने अनिर्बान भट्टाचार्य को 15 जुलाई तक के लिए निष्कासित कर दिया, साथ ही भट्टाचार्य अगले पांच साल तक जेएनयू से कोई भी पाठ्यक्रम नहीं कर पाएंगे। और अब अनिर्बान तो पिछले साल अगस्त में वृत्तचित्र ‘मुज़फ्फरनगर बाक़ी है’ की स्क्रीनिंग के लिए एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
चार मई तक का समय
नोटिस में कहा गया है कि 'अगस्त 2015 में चीफ प्रॉक्टर के कार्यालय में आपके खिलाफ शिकायत आयी थी। इसमें आरोप लगाया गया कि आपने प्रशासन की मंजूरी के बिना गोदावरी ढाबे के पास की गयी ‘मुज़फ्फरनगर ब़ाकी है’की स्क्रीनिंग में हिस्सा लिया।’ नोटिस में आगे लिखा गया है कि 'आपको चार मई को प्रॉक्टर के सामने पेश होने और अपना रूख़ स्पष्ट करने का निर्देश दिया जाता है। आप अगर अपने बचाव में कोई सूबत देना चाहे तो वह लेकर आ सकते हैं।’
बता दें कि इस साल 9 फरवरी को अफज़ल गुरु की फांसी की बरसी के मौके पर जेएनयू में कार्यक्रम आयोजित किया गया था जहां कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाए गए थे। इस घटना के बाद जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत उमर ख़ालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य को गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि इस गिरफ्तारी का देश के कई हिस्सों में छात्रों ने भारी विरोध किया है और कुछ हफ्तों बाद अदालत ने इन छात्रों को जमानत दे दी गई थी।
चार मई तक का समय
नोटिस में कहा गया है कि 'अगस्त 2015 में चीफ प्रॉक्टर के कार्यालय में आपके खिलाफ शिकायत आयी थी। इसमें आरोप लगाया गया कि आपने प्रशासन की मंजूरी के बिना गोदावरी ढाबे के पास की गयी ‘मुज़फ्फरनगर ब़ाकी है’की स्क्रीनिंग में हिस्सा लिया।’ नोटिस में आगे लिखा गया है कि 'आपको चार मई को प्रॉक्टर के सामने पेश होने और अपना रूख़ स्पष्ट करने का निर्देश दिया जाता है। आप अगर अपने बचाव में कोई सूबत देना चाहे तो वह लेकर आ सकते हैं।’
बता दें कि इस साल 9 फरवरी को अफज़ल गुरु की फांसी की बरसी के मौके पर जेएनयू में कार्यक्रम आयोजित किया गया था जहां कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाए गए थे। इस घटना के बाद जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत उमर ख़ालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य को गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि इस गिरफ्तारी का देश के कई हिस्सों में छात्रों ने भारी विरोध किया है और कुछ हफ्तों बाद अदालत ने इन छात्रों को जमानत दे दी गई थी।
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