जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) देशद्रोह मामले (Sedition Case)में मुकदमा चलाने की अनुमति देने के संबंध में दिल्ली सरकार (Delhi Govt) और दिल्ली के लॉ सेक्रेट्री के बीच ठन गई है. JNU चार्जशीट मामले में दिल्ली के कानून मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली सरकार के कानून सचिव यानी लॉ सेक्रेट्री को शो कॉज नोटिस जारी किया है. कानून मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली सरकार के लॉ सेक्रेट्री पर कानून मंत्री की अनदेखी और नियमों का पालन न करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि 'लॉ सेक्रेटरी ने बिना कानून मंत्री को फाइल दिखाए फाइल आगे कैसे बढ़ाई? ' 'लॉ सेक्रेट्री ने कानून मंत्री को फाइल दिखाए बिना सीधे गृह विभाग को भेजी'.
जेएनयू चार्जशीट मामले को लेकर दिल्ली सरकार में बवाल मच गया है. दिल्ली सरकार के कानून मंत्री कैलाश गहलोत ने कानून सचिव एके मेंदीरता को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है. कानून मंत्री कैलाश गहलोत का आरोप है कि कानून सचिव ने बिना उनको फाइल दिखाए गृह विभाग को भेज दी, जो कि नियम और तय प्रक्रिया का उल्लंघन है.
कारण बताओ नोटिस में कैलाश गहलोत ने ट्रांसेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स (जिसके तहत दिल्ली में सरकार काम करती है) का हवाला देकर बताया कि 'कोई भी सचिव बिना मंत्री की अनुमति के अपने विचार आगे नहीं बढ़ा सकता'. इसलिए लॉ सेक्रेटरी इसपर तुरंत सफ़ाई दें.
यही नहीं, कैलाश गहलोत ने दिल्ली के मुख्य न्यायाधीश को भी चिट्ठी लिखकर इस मामले की जानकारी दी है. क्योंकि दिल्ली में लॉ सेक्रेटरी की नियुक्ति दिल्ली हाई कोर्ट से होती है. दिल्ली के कानून सचिव या लॉ सेक्रेट्री डिस्ट्रिक्ट जज लेवल के व्यक्ति होते हैं.
फिलहाल चार्जशीट की फाइल दिल्ली के गृह विभाग के पास है. जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में कन्हैया कुमार और अन्य लोगों पर देशद्रोह का आरोप लगा है और इसी सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दायर की है. बता दें कि चार्जशीट को लेकर दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार से परमिशन की जरूरत होती है और इसके लिए दिल्ली सरकार से मंजूरी लेना प्रक्रिया का हिस्सा है.
इससे पहले खबर आई थी कि दिल्ली सरकार इस मामले में कानूनी सलाह ले रही है. जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्षकन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) और नौ अन्य लोगों के खिलाफ दायर आरोपपत्र को लेकर अदालत नेदिल्ली पुलिस (Delhi Police) से सवाल किया था कि उन्होंने समुचित अनुमति/मंजूरी के बगैर उनके खिलाफ आरोपपत्र कैसे दायर कर दिया है. शनिवार को अदालत के सवाल करने के बाद से ही दिल्ली की आप सरकार और पुलिस के बीच खींचतान चल रही है.
JNU देशद्रोह मामला: चार्जशीट के लिए पुलिस को दिल्ली सरकार से अब तक नहीं मिली है अनुमति
दरअसल, दिल्ली सरकार के सूत्रों की मानें तो मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के लिए अदालत ने नियम तय किए हैं और उनका पालन किया जाएगा. सूत्र ने बताया, ‘नियमानुसार सरकार को मंजूरी देने के लिए तीन महीने का वक्त मिलता है. दिल्ली पुलिस को आरोपपत्र दायर करने में तीन साल का वक्त लगा. सरकार को फैसला लेने से पहले कानूनी सलाह लेने की अनुमति दी जानी चाहिए.' उन्होंने कहा, लेकिन यदि सरकार तीन महीने में कोई फैसला नहीं ले पाती है तो, इसे मुकदमे के लिए मंजूरी मिली मान लिया जाएगा. दिल्ली पुलिस ने 14 जनवरी को इस संबंध में आरोपपत्र दायर किया था. मामला 2016 में जेएनयू परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में देश-विरोधी नारे लगाने से जुड़ा है.
दरअसल, देशद्रोही मामले में दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार के अनुमति लेनी होती है और यह दिल्ली सरकार का लॉ डिपार्टमेंट देता है. इतना ही नहीं, अनुमति लेने के लिए फाइल एलजी के पास भी जाती है. अगर परमिशन नहीं मिली तो चार्जशीट पर कोर्ट संज्ञान नहीं लेगा. बताया जा रहा है कि पुलिस ने जिस दिन चार्जशीट पेश की उसी दिन परमिशन के लिए अप्लाई किया था.
कन्हैया कुमार और उमर खालिद के खिलाफ देशद्रोह मामले में आरोप पत्र जल्द: दिल्ली पुलिस आयुक्त
दिल्ली पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट सेक्शन-124 A,323,465,471,143,149,147,120B के तहत पेश की गई है. चार्जशीट में कुल 10 मुख्य आरोपी बनाए हैं जिसमें कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य हैं. चार्जशीट में मुख्य आरोपी कन्हैया कुमार, अनिर्बान भट्टाचार्य, उमर खालिद, सात कश्मीर छात्र और 36 अन्य लोग हैं. चार्जशीट के मुताबिक कन्हैया कुमार ने भी देश विरोधी नारे लगाए थे. गवाहों के हवाले से चार्जशीट में बताया गया है कि कन्हैया कुमार ने भी देश विरोधी नारे लगाए थे. पुलिस को कन्हैया का भाषण देते हुए एक वीडियो भी मिला है. इसके साथ ही कहा गया है कि कन्हैया को पूरे कार्यक्रम की पहले से जानकारी थी. चार्जशीट में जिन सात कश्मीरी छात्रों के नाम हैं, उनसे पूछताछ हो चुकी है.
VIDEO- जेएनयू चार्जशीट को दिल्ली सरकार की मंजूरी नहीं
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