फाइल फोटो
नई दिल्ली:
तमाम शहरों की तरह देश की राजधानी दिल्ली में भी लोग पैसे निकालने और जमा करने के लिए परेशान रहे ...कई जगह झगड़े भी हुए...लेकिन हालात फिलहाल जस के तस हैं. बैंकों के बाहर लंबी लंबी लाइनें रविवार को भी रहीं.
दरियागंज इलाके की इसी भीड़ और मारामारी में भजनपुरा की रहने वाली शिवदेवी भी अपनी शादी की तैयारियां छोड़कर पैसे निकालने के लिए धक्के खाती दिखीं. शिवदेवी के मुताबिक उनके सभी घरवाले बैंकों की लाइनों में लगे हैं क्योंकि शादी के चलते पैसों की सख्त जरूरत है.
पैसे के इंतजार में 80 साल के सरफ़राज़ सुबह-सवेरे 6 बजे लाइन में लग गए. परेशानी तो है लेकिन काले धन के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री के फैसले के साथ हैं. सरफराज के मुताबिक घर के मुखिया होने के नाते वो अपने परिवार के साथ पैसे लेने आये हैं. उनका कहना है कि जो पैसों के लिए हाय हाय करते थे वो अब सबक सीख जाएंगें.
चांदनी चौक में बैंक के बाहर माइक से बार बार कहा जा रहा कि कैश जमा कराने आये लोग जेबतराशों से सावधान रहें. यहां स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बाहर हजारों की भीड़ है. पुलिस और आरएएफ को हालात संभालने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है. छुट्टी के दिन आराम की बजाय लोगों को कई परेशानियां उठानी पड़ी. हांलाकि नोटबंदी से अधिकतर लोग खुश हैं, परेशान हैं तो बस पैसे जमा कराने और निकालने के लिए.
रविवार को बैंक खुले रहे, लोगों की छुट्टी थी इसलिए भीड़ पहले तीन दिन के मुक़ाबले काफ़ी बढ़ गई. इसकी एक वजह ये भी है कि कई एटीएम बहुत जल्दी खाली हो गए और कई जगह एटीएम चल ही नहीं रहे.
दरियागंज इलाके की इसी भीड़ और मारामारी में भजनपुरा की रहने वाली शिवदेवी भी अपनी शादी की तैयारियां छोड़कर पैसे निकालने के लिए धक्के खाती दिखीं. शिवदेवी के मुताबिक उनके सभी घरवाले बैंकों की लाइनों में लगे हैं क्योंकि शादी के चलते पैसों की सख्त जरूरत है.
पैसे के इंतजार में 80 साल के सरफ़राज़ सुबह-सवेरे 6 बजे लाइन में लग गए. परेशानी तो है लेकिन काले धन के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री के फैसले के साथ हैं. सरफराज के मुताबिक घर के मुखिया होने के नाते वो अपने परिवार के साथ पैसे लेने आये हैं. उनका कहना है कि जो पैसों के लिए हाय हाय करते थे वो अब सबक सीख जाएंगें.
चांदनी चौक में बैंक के बाहर माइक से बार बार कहा जा रहा कि कैश जमा कराने आये लोग जेबतराशों से सावधान रहें. यहां स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बाहर हजारों की भीड़ है. पुलिस और आरएएफ को हालात संभालने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है. छुट्टी के दिन आराम की बजाय लोगों को कई परेशानियां उठानी पड़ी. हांलाकि नोटबंदी से अधिकतर लोग खुश हैं, परेशान हैं तो बस पैसे जमा कराने और निकालने के लिए.
रविवार को बैंक खुले रहे, लोगों की छुट्टी थी इसलिए भीड़ पहले तीन दिन के मुक़ाबले काफ़ी बढ़ गई. इसकी एक वजह ये भी है कि कई एटीएम बहुत जल्दी खाली हो गए और कई जगह एटीएम चल ही नहीं रहे.
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नोटबंदी, बैंकों में भीड़, एटीएम में लंबी लाइन, 500 और 1000 के नोट, Currency Ban, Cash Crunch, Long Ques At Banks, Ques At ATMs, 500 And 1000 Notes