
डीडीए फ्लैट्स के खरीदार नहीं
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ड्रॉ में निकले फ्लैट वापस कर रहे हैं लोग
रोजाना 50-100 आवंटी पहुंच रहे हैं डीडीए मुख्यालय
12 हजार फ्लैट के लिए सिर्फ 46,000 आवेदन आए थे
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पीके स्वाल की बातों में कितनी सच्चाई है ये जानने के लिए हमने रोहिणी सेक्टर-35 जाने का मन बनाया. रिठाला मेट्रो स्टेशन से करीब सात किमी हम चले. बीच में न तो कोई बड़ा अस्पताल आया और न ही कोई स्कूल. रोहिणी के सेक्टर-35 में 600 फ्लैट्स हैं, लेकिन रहते केवल 15 परिवार ही हैं. यहीं हमें ब्रिजेंद्र सिंह मिले. पति-पत्नी और तीन बच्चों के साथ वो आवंटित होने वाले अपने फ्लैट को देखने आए हैं, लेकिन जब फ्लैट देखा तो मायूसी छिपा न सके.
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एनडीटीवी के पास जो दस्तावेज है उनसे पता चलता है 2011 में द्वारका, रोहिणी और नरेला में 18600 ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स बनाने का टेंडर एक निजी कंपनी को 763 करोड़ में दिया गया था. बाद में इन्हीं फ्लैट्स को एलआईजी बनाकर डीडीए ने 2014 में ड्रॉ निकाला, लेकिन 2014 में 11,000 लोगों ने फ्लैट्स को वापस कर दिया. तीन साल बाद फिर डीडीए ने 2017 में 12,000 फ्लैट्स का ड्रा निकाला, लेकिन एक महीने के अंदर ही करीब 3500 लोग फ्लैट्स वापस कर चुके हैं. फ्लैट्स के मामले में डीडीए की साख किस कदर कम हुई है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2017 में 12 हजार हाउसिंग स्कीम के लिए केवल 46,000 ही आवेदन आए.
VIDEO : डीडीए फ़्लैट्स के ख़रीदार नहीं?
अब डीडीए हाउसिंग स्कीम की फ्लॉप योजनाएं के बारे में बात नहीं करना चाहता है.
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