नई दिल्ली:
जितनी परेशानियां आप रुपये निकालने के लिए झेल रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा परेशानी उन लोगों को हो रही है, जो आप के लिए एटीएम और बैंक तक कैश पंहुचा रहे हैं. ये वो लोग हैं जो देश के कोने-कोने तक कैश पहुंचाते हैं. नोटबंदी के बाद इनके लिए क्या दिन, क्या रात.
दिल्ली के ओखला में एसआईएस प्रोसीजर कंपनी में कुछ ऐसा ही नजारा दिखा. करोड़ों रुपये के कैश की सुरक्षा के साथ-साथ तेजी से उसे गिनना और कैश वैन में लोड कर एटीएम या बैंक तक पहुंचाना, नई चुनौती के बीच ये काम आसान नहीं है.
जानकारी के मुताबिक देश में एटीएम और बैंकों में कैश सप्लाई करने वाली 6 प्राइवेट कंपनियां हैं. इन कंपनियों में करीब 40 हजार कर्मचारी काम करते हैं. देश में 2 लाख से ज्यादा एटीएम हैं. इनमें 8800 कैश वैन के जरिये रुपये पहुंचता है. एसआईएस के अलावा, सीएमएस, एसआईपीएल, ब्रिंक्स, राइटर और सेक्योर वैल्यू भी रुपये पहुंचाने का काम करती हैं.
कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक एक कर्मचारी का पुलिस वेरिफिकेशन करवाने में 3 महीने का समय लगता है, उसके बाद बैंक अलग से दो हफ्ते में एक और वेरिफिकेशन करता है. ऐसे में तुरंत कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई नहीं जा सकती. कंपनी ने काम के बोझ को देखते हुए कर्मचारियों के रहने और खाने की व्यवस्था फिलहाल यहीं कर दी है और कोई भी घर नहीं जा पा रहा.
कर्मचारियों के मुताबिक लोग इसलिए परेशान हैं क्योंकि जहां एक एटीएम में वो 20 से 25 लाख रुपये डाले जा रहे थे, वहीं अब ढाई लाख रुपये ही डाल पा रहे हैं, जो तुरंत खत्म हो जाते हैं. इसलिए कैश वैन सड़कों पर लगातार दौड़ाई जा रही है, तब भी हालात काबू में नहीं आ पा रहे हैं.
दिल्ली के ओखला में एसआईएस प्रोसीजर कंपनी में कुछ ऐसा ही नजारा दिखा. करोड़ों रुपये के कैश की सुरक्षा के साथ-साथ तेजी से उसे गिनना और कैश वैन में लोड कर एटीएम या बैंक तक पहुंचाना, नई चुनौती के बीच ये काम आसान नहीं है.
जानकारी के मुताबिक देश में एटीएम और बैंकों में कैश सप्लाई करने वाली 6 प्राइवेट कंपनियां हैं. इन कंपनियों में करीब 40 हजार कर्मचारी काम करते हैं. देश में 2 लाख से ज्यादा एटीएम हैं. इनमें 8800 कैश वैन के जरिये रुपये पहुंचता है. एसआईएस के अलावा, सीएमएस, एसआईपीएल, ब्रिंक्स, राइटर और सेक्योर वैल्यू भी रुपये पहुंचाने का काम करती हैं.
कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक एक कर्मचारी का पुलिस वेरिफिकेशन करवाने में 3 महीने का समय लगता है, उसके बाद बैंक अलग से दो हफ्ते में एक और वेरिफिकेशन करता है. ऐसे में तुरंत कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई नहीं जा सकती. कंपनी ने काम के बोझ को देखते हुए कर्मचारियों के रहने और खाने की व्यवस्था फिलहाल यहीं कर दी है और कोई भी घर नहीं जा पा रहा.
कर्मचारियों के मुताबिक लोग इसलिए परेशान हैं क्योंकि जहां एक एटीएम में वो 20 से 25 लाख रुपये डाले जा रहे थे, वहीं अब ढाई लाख रुपये ही डाल पा रहे हैं, जो तुरंत खत्म हो जाते हैं. इसलिए कैश वैन सड़कों पर लगातार दौड़ाई जा रही है, तब भी हालात काबू में नहीं आ पा रहे हैं.