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डूसू चुनाव की मतगणना पर दिल्ली हाई कोर्ट ने क्यों लगाई रोक? यहां जानें वजह

कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली मेट्रो सहित अन्य एजेंसियों द्वारा बैनर, पोस्टर हटाने में किए गए खर्च का भुगतान करने का भी निर्देश दिया और कहा कि विश्वविद्यालय बाद में उम्मीदवारों से यह राशि वसूल सकता है.

डूसू चुनाव की मतगणना पर दिल्ली हाई कोर्ट ने क्यों लगाई रोक? यहां जानें वजह
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव शुक्रवार को होना है.
नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने डूसू चुनाव की मतगणना पर बृहस्पतिवार को तब तक के लिए रोक लगा दी जब तक कि पोस्टर, होर्डिंग, भित्तिचित्र समेत संपत्ति को विरूपित करने वाली सभी तरह की सामग्री को हटा नहीं दिया जाता. मनोनीत मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया जारी रह सकती है, लेकिन मतों की गिनती तब तक नहीं होगी जब तक अदालत संतुष्ट नहीं हो जाती कि संपत्ति को विरूपित करने वाली सामग्री को हटा दिया गया है.

कब तक नहीं होगी वोटो की गिनती

पीठ ने कहा, “यह अदालत निर्देश देती है कि चुनाव प्रक्रिया जारी रह सकती है, लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय या कॉलेज के चुनावों में तब तक मतगणना नहीं होगी, जब तक कि अदालत संतुष्ट न हो जाए कि पोस्टर, होर्डिंग, भित्तिचित्र, स्प्रे पेंट हटा दिया गया है और सार्वजनिक संपत्ति को दुरुस्त कर दिया गया है.” दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव शुक्रवार को होना है. पीठ ने विश्वविद्यालय को एक नयी वस्तु स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि डूसू चुनावों में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम और मतपेटियों को अगले आदेश तक सुरक्षित स्थान पर रखा जाए.

कोर्ट ने दिया ये निर्देश

अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली मेट्रो सहित अन्य एजेंसियों द्वारा बैनर, पोस्टर हटाने में किए गए खर्च का भुगतान करने का भी निर्देश दिया और कहा कि विश्वविद्यालय बाद में उम्मीदवारों से यह राशि वसूल सकता है. पीठ ने कहा, “दिल्ली विश्वविद्यालय को इसके लिए लागत वहन करनी होगी. इसके कारण नगर निकाय एजेंसियों को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता. आप (डीयू) कुछ नहीं कर रहे हैं, आपके पास कोई व्यवस्था नहीं है. डीयू इसे लेकर मजे से घूम रहा था. आप कभी अदालत में नहीं आए कि उम्मीदवारों द्वारा दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है. लोगों ने अदालत से संपर्क किया और हमें स्थिति से अवगत कराया.”

कोर्ट ने पूछा आप ऐसा कैसे होने दे सकते हैं?

इसने कहा कि विश्वविद्यालय में लाखों छात्र पढ़ रहे हैं, लेकिन वह 21 उम्मीदवारों से निपटने में सक्षम नहीं है और समस्या “इच्छाशक्ति की कमी और साहस का अभाव” है. पीठ ने कहा, “ये 21 छात्र विश्वविद्यालय का नाम खराब कर रहे हैं. आप ऐसा कैसे होने दे सकते हैं? आपको अपनी शक्तियों का प्रयोग करना होगा, आपको किसी से डरने की जरूरत नहीं है.” अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तारीख तय की. सुनवाई के दौरान डीयू के वकील ने दलील दी कि बुधवार को अदालत द्वारा सुझाए गए तीन विकल्पों में से एक विकल्प मतों की गिनती रोकना है.

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से की ये अपील

हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने अदालत से आग्रह किया कि विरूपित करने वाली सामग्री को हटाए जाने तक चुनाव रद्द कर दिए जाएं. अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सार्वजनिक दीवारों को नुकसान पहुंचाने, उन्हें विरूपित करने, गंदा करने या उनकी सुंदरता को नष्ट करने में शामिल संभावित डूसू उम्मीदवारों और छात्र संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी.

याचिकाकर्ता एवं वकील प्रशांत मनचंदा ने कक्षाओं को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की है. डीयू के छात्रों के एक समूह की एक और याचिका बुधवार को सुनवाई के लिए आई. याचिकाकर्ताओं ने डूसू चुनावों की आड़ में कथित बाधा और सार्वजनिक संपत्ति को विरूपित करने जैसी अन्य गतिविधियों को रेखांकित किया.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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