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This Article is From Jun 01, 2016

फेयरवेल नहीं, अजी वेलकम कहिए जनाब, 6500 डॉक्टरों की नौकरी बढ़ी!

फेयरवेल नहीं, अजी वेलकम कहिए जनाब, 6500 डॉक्टरों की नौकरी बढ़ी!
नई दिल्ली: आपके रिटायरमेंट की तारीख तय हो। इस सोच के साथ आप अस्पताल पहुंचे। मंच सजा हो। बुके से लेकर आपके नाम का मेमेंटो तैयार हो और फिर मंच से फेयरवेल की जगह वेलकम कहा जाए। ऐसा ही करीब 6500 डॉक्टरों के साथ कल हुआ जो 60 और 62 की उम्र में 31 मई को रिटायर करने वाले थे। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉक्टरों की रिटायरमेंट 65 साल करने का ऐलान 26 मई को किया था और 31 मई से ये लागू हो गया।

62 साल के डॉ बीएम सिंह लांबा मंगलवार को रिटायर होने वाले थे। मोमेंटो से लेकर बुके सब तैयार था और अपनी यादों को समेटने की तैयारी डॉ लांबा की भी थी, लेकिन ऐन वक्त पर जहां स्टेज पर बाकियों को विदाई दी जा रही थी, डॉ लांबा का वेलकम किया गया। 18 साल से डॉ लांबा राम मनोहर लोहिया में कार्यरत हैं और फिलहाल मेडिसीन के एचओडी हैं। 1988 से राममनोहर लोहिया में कार्यरत डॉ लांबा कहते हैं कि मैं प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री का फैन हो गया हूं क्योंकि घोषणा के महज चार दिन बाद ही इसे लागू भी कर दिया गया। फेयरवेल की जगह लोग वेलकम करने लगे।

देश में केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा के तहत भर्ती होने वाले डॉक्टरों के 30 से 40 फीसदी सीट खाली है। वहीं इस फैसले के प्रभावी होने से 31 मई को रिटायर होने वाले करीब 6500 डॉक्टर बच गए। इसमें सेंट्रल हेल्थ सर्विसेज के 3000 रेलवे के 1800 और ESI के 1600 डॉक्टर शामिल हैं।

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