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This Article is From Nov 18, 2018

दिल्‍ली : सीसीआरटी स्कॉलरशिप घोटाले में डायरेक्टर व डिप्टी डायरेक्टर गिरफ्तार

सीसीआरटी, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करती है. करोड़ो के इस घोटाले का खुलासा करीब तीन महीने पहले क्राइम ब्रांच ने किया था.

दिल्‍ली : सीसीआरटी स्कॉलरशिप घोटाले में डायरेक्टर व डिप्टी डायरेक्टर गिरफ्तार
पुलिस की गिरफ्त में सीसीआरटी के निदेशक और उपनिदेशक
नई दिल्‍ली: राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाशाली बच्चों को सेंटर फॉर कल्चरल रिसोर्सेस एंड ट्रेनिंग (सीसीआरटी) से मिलने वाली स्कॉलरशिप घोटाला मामले में फरार चल रहे निदेशक और उपनिदेशक को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है. सीसीआरटी, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करती है. करोड़ो के इस घोटाले का खुलासा करीब तीन महीने पहले क्राइम ब्रांच ने किया था. क्राइम ब्रांच के डीसीपी भीष्म सिंह के मुताबिक करीब 3 महीने पहले सीसीआरटी के डायरेक्टर जीसी जोशी ने द्वारका दक्षिण थाने में संस्था में स्कॉलरशिप के नाम पर करोड़ों में हुए इस घोटाले की लिखित शिकायत दी थी. उन्होंने पुलिस को बताया कि सेंटर की तरफ से राष्ट्रीय स्तर पर 10-14 साल के प्रतिभाशाली बच्चों को स्कॉलरशिप दी जाती है. इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर ही आवदेन किया जाता है. जिन बच्चों का चयन किया जाता है, उनके अकाउंट में ऑनलाइन स्कॉलरशिप की रकम ट्रांसफर कर दी जाती है. उन्हें एक दर्जन से अधिक बच्चों के अलावा उनके पैरेंट्स से इस मामले में शिकायतें मिली थी. पुलिस ने उनकी शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी थी.

जांच के दौरान पुलिस को सीसीआरटी के पूर्व कर्मचारी संदीप कुमार पर शक हुआ. पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की तो इस बात का खुलासा हुआ कि उसने एमबीए की डिग्री के अलावा कंप्यूटर में डिप्लोमा कोर्स किया हुआ है. साल 2011 में कॉन्ट्रैक्ट पर कंप्यूटर प्रोग्रामर के रूप में जॉइन किया था. उसकी इस फर्जीवाड़े में अहम भूमिका है. इसके बाद पुलिस ने उसे और उसके कुछ साथियों को दबोचा था और उनसे पूछताछ की तो इस दौरान ही डायरेक्टर गिरीश चंद्र जोशी और डिप्टी डायरेक्टर अनिल कोहली की भूमिका पर भी शक हुआ. आरोपी संदीप ने यह खुलासा किया कि इस फर्जीवाड़े की जानकारी इन दोनों को थी और इनके इशारे पर ही यह फर्जीवाड़ा हिस्सेदारी में चल रहा था.

क्राइम ब्रांच के मुताबिक, जिन बच्चों को स्कॉलरशिप दी जानी थी, उनकी जगह अपने जानकारों के नाम और उनके अकाउंट नंबर डाल दिए गए थे. लिहाजा स्कॉलरशिप की रकम चयनित किए गए प्रतिभाशाली बच्चों के अकाउंट में जाने की बजाय इन फर्जी लोगों के अकाउंट में चली गई. इन फर्जी अकाउंट में रकम ट्रांसफर करने के बदले में अकाउंट होल्डर को पांच पर्सेंट कमीशन दिया जाता था. अभी तक की जांच में 6 ऐसे अकाउंट का खुलासा हुआ है. राष्ट्रीय स्तर पर चयनित हुए प्रतिभाशाली बच्चों को सेंटर फॉर कल्चरल रिसोर्सेस एंड ट्रेनिंग द्वारा स्कॉलरशिप ले रहे हर बच्चे को करीब 12 हज़ार रुपये उसके खाते में ट्रांसफर करने का प्रावधान है. इसके तहत बच्चों को मिलने वाली राशि को दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर यह फर्जीवाड़ा किया गया.

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