दिल्ली में सीलिंग अभियान की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली के कारोबारियों को सीलिंग से राहत के लिए थोड़ा और इंतज़ार करना पड़ सकता है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद बुधवार को होने वाली डीडीए की बैठक की तारीख आगे बढ़ा दी गई है. इसी बैठक में राहत का एलान होना था. सबसे बड़ी समस्या डीडीए की पार्किंग के क्लॉज को लेकर हो रही है.
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नियम के मुताबिक, अगर एफएआर बढ़ता है तो उसी अनुपात में पार्किंग व्यवस्था होनी चाहिए, तभी चौथा फ़्लोर बनाने की इजाज़त मिलेगी, लेकिन व्यापारी इस क्लॉज़ से छुटकारा चाहते हैं. हालांकि आरडब्ल्यूए का कहना है कि इससे हालत खराब हो जाएगी. सोमवार को डीडीए को RWA की ओर से 100 से ज़्यादा प्रस्ताव मिले हैं.
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के स्थानीय निकाय प्राधिकारियों को ‘‘अपनी आंखे मूंदने’’ और कोई हादसा होने का इंतजार करने के लिये आड़े हाथ लिया था. दिल्ली विकास प्राधिकरण से नगर के मास्टर प्लान 2021 में बदलाव करने के उसके प्रस्तावों पर सवाल किये थे.
351 सड़कों पर सीलिंग मामला: MCD अधिकारियों ने AAP के दावे को सही ठहराया
दिल्ली में सीलिंग से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुये शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण ‘‘किसी तरह के दबाव के आगे झुक रहा है.’’ न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली में हर कोई अपनी आंखें मूंदे है और कोई हादसा होने का इंतजार कर रहा है. आपने (नगर निकाय) उपहार सिनेमा अग्निकाण्ड त्रासदी और बवाना तथा कमला मिल्स जैसी घटनाओं से भी कुछ नहीं सीखा है.’’ दिल्ली विकास प्राधिकरण ने हाल ही में दुकान-रिहाइशी भूखण्डों और परिसरों का एफएआर और रिहाइशी भूखण्डों के बराबर करने का प्रस्ताव किया है. प्राधिकरण के इस कदम से सीलिंग के खतरे का सामना कर रहे कारोबारियों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी.
पीठ ने प्राधिकरण से सवाल किया, ‘‘दिल्ली में रहने वाली जनता के बारे में क्या कहना है?’’ पीठ ने कहा, ‘‘आपको जनता का पक्ष भी सुनना होगा. आप सिर्फ कुछ लोगों को ही नहीं सुन सकते.’’ पीठ ने दिल्ली में हो रहे अनधिकृत निर्माणों का जिक्र किया और कहा, ‘‘आप दिल्ली की जनता के हितों का ध्यान रख रहे हैं या नहीं?’’ पीठ ने कानून का शासन बनाये रखने पर जोर देते हुये कहा कि दिल्ली कचरा प्रबंधन, प्रदूषण और पार्किंग जैसी अनेक समस्याओं से जूझ रही है.
VIDEO: सीलिंग को लेकर DDA के फ़ैसलों से संतुष्ट नहीं व्यापारी
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नियम के मुताबिक, अगर एफएआर बढ़ता है तो उसी अनुपात में पार्किंग व्यवस्था होनी चाहिए, तभी चौथा फ़्लोर बनाने की इजाज़त मिलेगी, लेकिन व्यापारी इस क्लॉज़ से छुटकारा चाहते हैं. हालांकि आरडब्ल्यूए का कहना है कि इससे हालत खराब हो जाएगी. सोमवार को डीडीए को RWA की ओर से 100 से ज़्यादा प्रस्ताव मिले हैं.
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के स्थानीय निकाय प्राधिकारियों को ‘‘अपनी आंखे मूंदने’’ और कोई हादसा होने का इंतजार करने के लिये आड़े हाथ लिया था. दिल्ली विकास प्राधिकरण से नगर के मास्टर प्लान 2021 में बदलाव करने के उसके प्रस्तावों पर सवाल किये थे.
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दिल्ली में सीलिंग से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुये शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण ‘‘किसी तरह के दबाव के आगे झुक रहा है.’’ न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली में हर कोई अपनी आंखें मूंदे है और कोई हादसा होने का इंतजार कर रहा है. आपने (नगर निकाय) उपहार सिनेमा अग्निकाण्ड त्रासदी और बवाना तथा कमला मिल्स जैसी घटनाओं से भी कुछ नहीं सीखा है.’’ दिल्ली विकास प्राधिकरण ने हाल ही में दुकान-रिहाइशी भूखण्डों और परिसरों का एफएआर और रिहाइशी भूखण्डों के बराबर करने का प्रस्ताव किया है. प्राधिकरण के इस कदम से सीलिंग के खतरे का सामना कर रहे कारोबारियों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी.
पीठ ने प्राधिकरण से सवाल किया, ‘‘दिल्ली में रहने वाली जनता के बारे में क्या कहना है?’’ पीठ ने कहा, ‘‘आपको जनता का पक्ष भी सुनना होगा. आप सिर्फ कुछ लोगों को ही नहीं सुन सकते.’’ पीठ ने दिल्ली में हो रहे अनधिकृत निर्माणों का जिक्र किया और कहा, ‘‘आप दिल्ली की जनता के हितों का ध्यान रख रहे हैं या नहीं?’’ पीठ ने कानून का शासन बनाये रखने पर जोर देते हुये कहा कि दिल्ली कचरा प्रबंधन, प्रदूषण और पार्किंग जैसी अनेक समस्याओं से जूझ रही है.
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