प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों पर बढ़ते बकाए के चलते शहरवासियों को इस माह बिजली संकट का सामना कर पड़ सकता है. राजधानी में रोजाना 540 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करने वाली अराइवल पावर कंपनी (एपीसीएल) ने रिलायंस ग्रुप डिस्कॉम - बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल) और बीएसईएस यमुना पावर से दो टूक कह दिया है कि या तो वे बकाए का भुगतान करें या 5 सितंबर से बिजली कटौती का सामना करने के लिए तैयार रहें.
उमस के बीच बिजली कटौती का खतरा बढ़ा
मध्य और पूर्वी दिल्ली में सबसे ज्यादा कटौती देखनो को मिल सकती है. यह कटौती उस समय होने जा रही है जब उमस का स्तर सबसे अधिक है. दिल्ली में गर्मी के सीजन में 16 मई को बिजली की सबसे ज्यादा मांग 6044 मेगावाट रही जो कि मुंबई से दोगुना और कोलकाता से तीन गुना है.
एपीसीएल का कहना है कि डिस्कॉम पर 960 करोड़ रुपये बकाया हैं और 2016-17 की नियत दर के अनुसार मासिक बिल 85 करोड़ रुपये आता है. पिछले वर्ष उच्चतम न्यायालय द्वारा बकाए के भुगतान की तारीख तय किए जाने के बावजूद रिलायंस के स्वामित्व वाली कंपनियों ने भुगतान जारी नहीं किया है.
अरावली पावर कंपनी प्रा. लिमिटेड सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी एनटीपीसी का संयुक्त उद्यम है जिसकी 50 फीसदी हिस्सेदारी है. इसमें दिल्ली सरकार के स्वामित्व वाली इंद्रप्रस्थ पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड और हरियाणा जनरेशन कंपनी लिमिटेड की 25-25 फीसदी हिस्सेदारी है.
एनटीपीसी ने एक बयान जारी करके कहा, "बिजली आपूर्ति के नियमन के लिए बीआरपीएल और बीवाईपीएल को नोटिस दिया जा चुका है. इस नोटिस के चलते रविवार मध्यरात्रि से दिल्ली में 445 मेगावाट की बिजली आपूर्ति रोक दी जाएगी."
कुल बकाया 961.58 करोड़ रुपये पहुंचा
कंपनी ने यह भी कहा, " उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद डिस्कॉम पर बकाया बढ़ता जा रहा है. कुल बकाया 961.58 करोड़ रुपये (बीआरपीएल पर 695.25 करोड़ रुपए तथा बीवाईपीएल पर 266.33 करोड़ रुपए) है. इससे पहले भी दो बिजली वितरण कंपनियों को चेतावनी दी गई थी. हालांकि उनके द्वारा दिल्ली विद्युत नियमन आयोग (डीईआरसी) को भुगतान प्लान सौंपने के बाद में वापस ले लिया गया था.
इस मामले से जुड़े एनटीपीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "बिजली कंपनियों को ईंधन आपूर्तिकर्ताओं को अग्रिम भुगतान करना होता है. बकाए का भुगतान न हो पाने के कारण ऐसी स्थिति बनती है जिसमें एकल विद्युत स्टेशन अपने परिचालन के लिए भुगतान नहीं कर पाएगा."
सरकार ने पिछले साल भारत की बिजली वितरण कंपनियों को वित्तीय मुश्किलों से उबारने के लिए उदय स्कीम को लॉन्च किया था. बिजली कंपनियों का घाटा बढ़कर 4. 3 लाख करोड़ रुपये हो गया था. कंपनियों ने मार्च 2015 तक 3.8 करोड़ रुपये का घाटा बताया था.
उमस के बीच बिजली कटौती का खतरा बढ़ा
मध्य और पूर्वी दिल्ली में सबसे ज्यादा कटौती देखनो को मिल सकती है. यह कटौती उस समय होने जा रही है जब उमस का स्तर सबसे अधिक है. दिल्ली में गर्मी के सीजन में 16 मई को बिजली की सबसे ज्यादा मांग 6044 मेगावाट रही जो कि मुंबई से दोगुना और कोलकाता से तीन गुना है.
एपीसीएल का कहना है कि डिस्कॉम पर 960 करोड़ रुपये बकाया हैं और 2016-17 की नियत दर के अनुसार मासिक बिल 85 करोड़ रुपये आता है. पिछले वर्ष उच्चतम न्यायालय द्वारा बकाए के भुगतान की तारीख तय किए जाने के बावजूद रिलायंस के स्वामित्व वाली कंपनियों ने भुगतान जारी नहीं किया है.
अरावली पावर कंपनी प्रा. लिमिटेड सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी एनटीपीसी का संयुक्त उद्यम है जिसकी 50 फीसदी हिस्सेदारी है. इसमें दिल्ली सरकार के स्वामित्व वाली इंद्रप्रस्थ पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड और हरियाणा जनरेशन कंपनी लिमिटेड की 25-25 फीसदी हिस्सेदारी है.
एनटीपीसी ने एक बयान जारी करके कहा, "बिजली आपूर्ति के नियमन के लिए बीआरपीएल और बीवाईपीएल को नोटिस दिया जा चुका है. इस नोटिस के चलते रविवार मध्यरात्रि से दिल्ली में 445 मेगावाट की बिजली आपूर्ति रोक दी जाएगी."
कुल बकाया 961.58 करोड़ रुपये पहुंचा
कंपनी ने यह भी कहा, " उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद डिस्कॉम पर बकाया बढ़ता जा रहा है. कुल बकाया 961.58 करोड़ रुपये (बीआरपीएल पर 695.25 करोड़ रुपए तथा बीवाईपीएल पर 266.33 करोड़ रुपए) है. इससे पहले भी दो बिजली वितरण कंपनियों को चेतावनी दी गई थी. हालांकि उनके द्वारा दिल्ली विद्युत नियमन आयोग (डीईआरसी) को भुगतान प्लान सौंपने के बाद में वापस ले लिया गया था.
इस मामले से जुड़े एनटीपीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "बिजली कंपनियों को ईंधन आपूर्तिकर्ताओं को अग्रिम भुगतान करना होता है. बकाए का भुगतान न हो पाने के कारण ऐसी स्थिति बनती है जिसमें एकल विद्युत स्टेशन अपने परिचालन के लिए भुगतान नहीं कर पाएगा."
सरकार ने पिछले साल भारत की बिजली वितरण कंपनियों को वित्तीय मुश्किलों से उबारने के लिए उदय स्कीम को लॉन्च किया था. बिजली कंपनियों का घाटा बढ़कर 4. 3 लाख करोड़ रुपये हो गया था. कंपनियों ने मार्च 2015 तक 3.8 करोड़ रुपये का घाटा बताया था.
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