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This Article is From Jul 12, 2018

दिल्ली सीलिंग : सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए, निगम के शीर्ष अधिकारियों को किया तलब

न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने डीडीए के उपाध्यक्ष एवं एसडीएमसी के उपायुक्त को अपने समक्ष 18 जुलाई को पेश होने का आदेश दिया.

दिल्ली सीलिंग : सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए, निगम के शीर्ष अधिकारियों को किया तलब
भारतीय सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के शीर्ष अधिकारियों से कहा कि वे अगले सप्ताह उसके समक्ष पेश हों तथा इस बात पर स्पष्टीकरण दें कि शहर में अनधिकृत निर्माण के खिलाफ वे कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे. न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने डीडीए के उपाध्यक्ष एवं एसडीएमसी के उपायुक्त को अपने समक्ष 18 जुलाई को पेश होने का आदेश दिया. यह निर्देश न्यायालय के आदेश पर गठित निगरानी समिति की रिपोर्ट के आधार पर दिया गया. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अधिकारी गैर कानूनी निर्माण के खिलाफ इस आधार पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं कि मास्टर प्लान दिल्ली -2021 को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है.

नाराज सुप्रीम कोर्ट ने DDA के वाईस चेयरमैन और SDMC के डिप्टी कमिश्नर को कोर्ट में हाज़िर होने का दिया आदेश. कोर्ट ने मॉनरिंग कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली में अवैध निर्माण जारी है और अधिकारियों ने मॉनिटरिंग कमेटी के आदेश को मानना बंद कर दिया है. मॉनिटरिंग कमेटी की ओर से कहा गया था कि सीलिंग अभियान में एजेंसियां उसका सहयोग नहीं कर रही हैं. कोर्ट ने मीडिया की खबरों के हवाले से कहा कि केंद्र सरकार के सचिव ये कह रहे हैं कि मॉनिटरिंग कमेटी बिना कॉमन सेंस के सीलिंग करा रही है. तभी तो जिन इमारतों के बेसमेंट सील हो गए हैं उनकी और अन्य इमारतों की छतों पर रूफटॉप पब्स चल रहे हैं, डांस क्लब चल रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि हमारी बनाई कमेटी हमारे निर्देश पर काम कर रही है. अधिकारी कमेटी को बिना कॉमन सेंस वाला बता रहे हैं. इसका मतलब हम भी बिना कॉमन सेंस वाले हैं. कोर्ट ने कहा कि हमे ही बता दें कि बाजार में ये कॉमन सेंस कहां मिलता है ताकि हम भी थोड़ा ले आएं. इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि ऐसा नहीं है. आपके आदेश पर तो सब कुछ हो रहा है.

कोर्ट ने कहा कि आप हलफनामे के ज़रिए कुछ बता नहीं रहे हैं. सिर्फ ज़बानी कहने का हमारे लिए कोई मतलब नहीं है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जो आरोप लगे हैं उनके जवाब अधिकारियों को देने होंगे. उनको 18 जुलाई को हाज़िर होना होगा. दिल्ली सीलिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. 24 मई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की अर्जी पर मास्टर प्लान 2021 के आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि केंद्र को मास्टर प्लान में संशोधन के लिए जनता से आपत्ति मांगनी होंगी. दरअसल केंद्र सरकार ने अर्जी दाखिल कर कहा था कि डीडीए पहले ही लोगों से आपत्तियां ले चुका है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट उस आदेश में संशोधन करे जिसमें 15 दिनों के भीतर आपत्तियां मंगाए. इसके बाद मास्टर प्लान में संशोधन कर दिया गया.

15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मास्टर प्लान 2021 में संशोधन पर नोटिफिकेशन पर लगी रोक के आदेश में संशोधन किया था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फिलहाल मास्टर प्लान में संशोधन के लिए आगे बढ़ने की इजाजत दी थी. 6 मार्च को लगाई गई रोक के फैसले में संशोधन करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मास्टर प्लान के संशोधन के लिए 15 दिनों के भीतर जनता से आपत्तियां मांगने को कहा था. सभी बड़े अखबारों में दस दिन के भीतर तीन दिन लगातार आपत्तियों के लिए विज्ञापन देने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए को अवैध निर्माण की शिकायत के लिए प्रस्तावित मोबाइल ऐप को 15 दिनों के भीतर लॉन्‍च करने को कहा था.

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