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सिर्फ कैलाश गहलोत और प्रवीण कुमार ने दिया जवाब
वकील उपलब्ध न होने से जवाब नहीं दे पाने की दलील
मुख्य सचिव के चुनाव आयोग को भेजे जवाब पर मांगे हैं जवाब
जवाब न दे पाने के पीछे क्या दलील?
आम आदमी पार्टी के ज्यादातर विधायक चुनाव आयोग में जवाब न देने के पीछे दलील दे रहे हैं कि चुनाव आयोग ने करीब 2500 पन्नों के दिल्ली सरकार के जवाब पर हमें जवाब देने के लिए समय कम दिया साथ ही इस दौरान हमारे वकील छुट्टी पर थे क्योंकि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दशहरा की छुट्टियां चल रही थीं. बताया जा रहा है कि ज्यादातर विधायकों ने चुनाव आयोग से चार हफ्तों का समय और मांगा है.
चांदनी चौक से आम आदमी पार्टी विधायक अलका लांबा ने कहा कि 'कुछ विधायकों को चुनाव आयोग से जो दिल्ली सरकार का जवाब पेन ड्राइव में मिला वो डाटा 'करप्ट' हो गया है. साथ ही हमारे वकील बीते हफ्ते उपलब्ध नहीं थे इसलिए हम जवाब नहीं दे पाए और समय मांगा है.'
आप के कस्तूरबा नगर विधायक मदन लाल के मुताबिक 'हमारे ज़्यादातर विधायकों के वकील हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ते हैं. बीते हफ्ते दोनों अदालतों में छुट्टी थी इसलिए वकील बाहर थे. अब वे आ गए हैं और हम जल्द अपना जवाब दाखिल करेंगे.'
इस मामले में याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल ने कहा कि '23 सितंबर को आयोग ने इनको 15 दिन का समय दिया, इसके बाद फिर 10 दिन का समय मिला. 25 दिन में भी जवाब नहीं दे रहे और एक महीना का समय फिर से मांगना दिखाता है कि विधायकों की कोशिश केवल इस मामले को लंबा खींचने की है.'
नजफगढ़ के विधायक कैलाश गहलोत और जंगपुरा विधायक प्रवीण कुमार ने चुनाव आयोग में जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने कोई वेतन, भत्ता, सुविधा वगैरह सरकार से नहीं लिए इसलिए वे लाभ के पद पर नहीं आते. इन विधायकों के मुताबिक दिल्ली के मुख्य सचिव के जवाब में ऐसा कुछ नहीं जिससे लगे कि उन्होंने सरकार से कोई लाभ लिया.
चुनाव आयोग ने की थी सख्ती
23 सितंबर को जब चुनाव आयोग में सुनवाई हुई तब 21 आप विधायकों ने मूल रूप से दिल्ली के मुख्य सचिव के जवाब पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा. चुनाव आयोग ने सात अक्टूबर तक का समय दिया. इसके बाद सात अक्टूबर को विधायकों ने चुनाव आयोग से दिल्ली सरकार के जवाब की हार्ड कॉपी मांगी और चार हफ्ते का समय फिर मांग लिया.
इस पर आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि 'आपको पेन ड्राइव में सॉफ्ट कॉपी मिल चुकी है. आयोग आपको हार्ड कॉपी देने को बाध्य नहीं. 17 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करें. जवाब न देने की सूरत में हम मान लेंगे कि आपके पास कहने को कुछ नहीं और फिर फैसला करेंगे.'
क्या था दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव का जवाब
21 आप विधायकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. दिल्ली सरकार ने चुनाव आयोग को उनको मिल रही सुविधाओं का ब्यौरा दिया है. दिल्ली के मुख्य सचिव के चुनाव आयोग को भेजे जवाब के मुख्य अंश-
1. दिल्ली विधानसभा में नए रेनोवेट हुए कमरों में टेबल कुर्सी आदि के लिए दिल्ली विधानसभा ने 13,26,300 रुपये मंजूर किए थे और दिल्ली सरकार के पीडब्लूडी विभाग ने इसपर 11,75,828 रुपये खर्च किए.
2. चार संसदीय सचिवों के लिए दिल्ली सचिवालय में केबिन बनाने पर 3,73,871 रुपये खर्च हुए जिसमें 2,22,500 का सिविल और इलेक्ट्रिकल काम था और 1,51,371 रुपये का फर्नीचर था.
3.यह चार विधायक थे, संजीव झा, सरिता सिंह, नरेश यादव, और जरनैल सिंह.
4. अलका लाम्बा को सीपीओ बिल्डिंग में दो छोटे कमरे दिए गए जिसका रेनोवेशन पीडब्लूडी ने कराया, और बिजली पानी के बिल 'कला, संस्कृति और भाषा विभाग' ने दिए.
5. आदर्श शास्त्री को 15,479 रुपये डिजिटल इंडिया की एक कांफ्रेंस मुम्बई अटेंड करने के लिए दिए गए.
6. कुल 9 विधायकों को दिल्ली जल बोर्ड के दफ्तरों में कमरे दिए गए.
7. इनमें सरिता सिंह और राजेश ऋषि को दो कमरे मिले.
8. प्रवीण कुमार, शरद चौहान, आदर्श शास्त्री, मदान लाल, नरेश यादव, जरनैल सिंह और मनोज कुमार को एक-एक कमरा दिल्ली जल बोर्ड के दफ्तरों में मिला
9. इन विधायकों को कोई फोन, गाड़ी, ड्राइवर आदि नहीं दिया गया.
10. यह विधायक अलग-अलग तरह की समितियों की अध्यक्षता करते रहे या सदस्य के रूप में समितियों की बैठक में शामिल हुए.
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