नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार ने हाइकोर्ट में एक हलफ़नामा दायर कर हड़ताल करनेवाले दानिक्स अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है। हलफ़नामे में दिल्ली सरकार ने हड़ताल के लिए भड़काने वाले अधिकारियों को बर्ख़ास्त करने की मांग की है।
दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि जिन अधिकारियों ने उस हड़ताल में भाग लिया था, उनकी सर्विस ब्रेक हो। सर्विस ब्रेक का मतलब यह हुआ कि उन अधिकारियों की अब तक की सेवा को शून्य मानकर एक उनकी सभी सुविधाएं खत्म कर दी जाएं और उन्हें एक नए ज्वाइनी की तरह देखा जाए।
31 दिसंबर 2015 को दिल्ली सरकार के दानिक्स अधिकारी दिल्ली सरकार के गृह विभाग में तैनात दो वरिष्ठ दानिक्स अधिकारियों के निलंबन से नाराज़ होकर एक दिन की सामूहिक हड़ताल पर और आईएएस अफसर आधे दिन की हड़ताल पर चले गए थे। जिसपर उसी वक़्त सीएम केजरीवाल ने बेहद कड़ा रुख अपनाया था और कहा था कि ये अधिकारी बीजेपी की 'बी' टीम की तरह काम कर कर रहे हैं
याद रहे ये हड़ताल 31 दिसंबर 2015 को उस समय हुई जब ठीक अगले दिन 1 जनवरी 2016 से दिल्ली सरकार दिल्ली में ऑड-ईवन फॉर्मूले को लागू करने की तैयारी कर रही थी और सीएम केजरीवाल ने इसको पीएमओ के इशारे पर कराई गई हड़ताल होने का आरोप लगाया था, ताकि ऑड-ईवन फेल हो जाए।
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में इस बारे जनहित याचिका दायर हुई थी, जिसमें मुद्दा था कि ये अधिकारी किस नियम के तहत हड़ताल पर गए? जिसके जवाब में दिल्ली सरकार ने अपना औपचारिक पक्ष अदालत को बता दिया है।
केंद्र और दिल्ली सरकार आमने-सामने
केंद्र सरकार ने दो दानिक्स अधिकारियों का निलंबन रद्द करने के बाद इस संबंध में एक आदेश दिल्ली सरकार को भेजा था, जिसे दिल्ली सरकार ने केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र लिखकर मानने से साफ इनकार कर दिया था
केंद्र की चिट्ठी की जवाब में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को एक चिट्ठी लिखकर कहा है कि केंद्र सरकार के इस आदेश को मानने से राज्य के सभी अधिकारियों को गलत संदेश जाएगा। सिसोदिया ने कहा कि गृह मंत्रालय ने केवल एक चिट्ठी भेजी कोई राष्ट्रपति का आदेश नहीं है।
उपमुख्यमंत्री का तर्क था कि गृह मंत्रालय की बात मानने का मतलब है दिल्ली सरकार के अधिकार में बड़ी कटौती, जिससे अफसरों में अनुशासनहीनता आएगी और सरकार के होने या न होने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने अपने दो अधिकारियों को कैबिनेट के एक पास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने का आदेश दिया था, जिसे दोनों अधिकारियों ने करने से मना कर दिया। दोनों अधिकारियों का कहना था कि जब तक इस प्रस्ताव पर नियमानुसार एलजी से स्वीकृति नहीं मिल जाती तब तक वे हस्ताक्षर नहीं करेंगे। दोनों के दिल्ली सरकार के हस्ताक्षर करने के आदेश को मानने से इनकार करने के बाद सरकार ने दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया था।
दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि जिन अधिकारियों ने उस हड़ताल में भाग लिया था, उनकी सर्विस ब्रेक हो। सर्विस ब्रेक का मतलब यह हुआ कि उन अधिकारियों की अब तक की सेवा को शून्य मानकर एक उनकी सभी सुविधाएं खत्म कर दी जाएं और उन्हें एक नए ज्वाइनी की तरह देखा जाए।
31 दिसंबर 2015 को दिल्ली सरकार के दानिक्स अधिकारी दिल्ली सरकार के गृह विभाग में तैनात दो वरिष्ठ दानिक्स अधिकारियों के निलंबन से नाराज़ होकर एक दिन की सामूहिक हड़ताल पर और आईएएस अफसर आधे दिन की हड़ताल पर चले गए थे। जिसपर उसी वक़्त सीएम केजरीवाल ने बेहद कड़ा रुख अपनाया था और कहा था कि ये अधिकारी बीजेपी की 'बी' टीम की तरह काम कर कर रहे हैं
याद रहे ये हड़ताल 31 दिसंबर 2015 को उस समय हुई जब ठीक अगले दिन 1 जनवरी 2016 से दिल्ली सरकार दिल्ली में ऑड-ईवन फॉर्मूले को लागू करने की तैयारी कर रही थी और सीएम केजरीवाल ने इसको पीएमओ के इशारे पर कराई गई हड़ताल होने का आरोप लगाया था, ताकि ऑड-ईवन फेल हो जाए।
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में इस बारे जनहित याचिका दायर हुई थी, जिसमें मुद्दा था कि ये अधिकारी किस नियम के तहत हड़ताल पर गए? जिसके जवाब में दिल्ली सरकार ने अपना औपचारिक पक्ष अदालत को बता दिया है।
केंद्र और दिल्ली सरकार आमने-सामने
केंद्र सरकार ने दो दानिक्स अधिकारियों का निलंबन रद्द करने के बाद इस संबंध में एक आदेश दिल्ली सरकार को भेजा था, जिसे दिल्ली सरकार ने केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र लिखकर मानने से साफ इनकार कर दिया था
केंद्र की चिट्ठी की जवाब में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को एक चिट्ठी लिखकर कहा है कि केंद्र सरकार के इस आदेश को मानने से राज्य के सभी अधिकारियों को गलत संदेश जाएगा। सिसोदिया ने कहा कि गृह मंत्रालय ने केवल एक चिट्ठी भेजी कोई राष्ट्रपति का आदेश नहीं है।
उपमुख्यमंत्री का तर्क था कि गृह मंत्रालय की बात मानने का मतलब है दिल्ली सरकार के अधिकार में बड़ी कटौती, जिससे अफसरों में अनुशासनहीनता आएगी और सरकार के होने या न होने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने अपने दो अधिकारियों को कैबिनेट के एक पास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने का आदेश दिया था, जिसे दोनों अधिकारियों ने करने से मना कर दिया। दोनों अधिकारियों का कहना था कि जब तक इस प्रस्ताव पर नियमानुसार एलजी से स्वीकृति नहीं मिल जाती तब तक वे हस्ताक्षर नहीं करेंगे। दोनों के दिल्ली सरकार के हस्ताक्षर करने के आदेश को मानने से इनकार करने के बाद सरकार ने दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया था।
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