
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार की ओर से प्रस्तावित एक मसौदा परामर्श में कहा गया है कि राज्य के निजी अस्पताल ऐसे मरीजों के शव उनके परिजन को सौंपने से इंकार नहीं कर सकते, जिनकी मौत इलाज के दौरान अस्पताल में हुई हो और उनके परिवारवाले अंत्येष्टि से पहले बिल का भुगतान करने में असमर्थ हों.दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि इस प्रस्ताव का मतलब यह नहीं है कि बिल माफ हो गया.अस्पताल उन परिवारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं जो बाद में भी बिल का भुगतान नहीं करेंगे. ऐसे मामलों में बिल कम करने का प्रस्ताव भी दिया गया है, जिनकी मौत अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर ही हो जाती है.उन्होंने कहा,“ अगर कोई मरीज अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष या कैजुअल्टी विभाग में भर्ती होने के छह घंटे के भीतर दम तोड़ देता है तो अस्पताल को कुल बिल का 50 प्रतिशत और 24 घंटों के भीतर होने वाली मौत के मामले में 20 प्रतिशत बिल माफ कर देना चाहिए”. उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “ कोई अस्पताल बिल का भुगतान नहीं होने की वजह से किसी मरीज का शव उसके परिवार को सौंपने से मना नहीं कर सकता है. मौत के बाद शव समाज का होता है और उसकी अंत्येष्टि जरूर होनी चाहिए”.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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