केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बनाई गई डॉ वीके पॉल कमिटी ने दिल्ली के प्राइवेट अस्पतालों में उनकी कुल क्षमता के 60 फ़ीसदी बेड पर सस्ते कोरोना इलाज की सिफारिश की थी. इस सिफारिश को लेकर दिल्ली सरकार ने आदेश जारी कियाा जिसके बाद अब यह साफ हो गया है कि किस अस्पताल में कितने बेड इन रियायती रेटों पर उपलब्ध है. डायरेक्टरेट जनरल हेल्थ सर्विसेज, दिल्ली के सर्कुलर के मुताबिक दिल्ली में केवल 7 ऐसे अस्पताल हैं जो अपनी कुल क्षमता के 60% बेड से भी ज्यादा पर पहले से ही कोरोना ट्रीटमेंट कर रहे हैं. इसलिए इनमें रियायती रेट वाले बेड की संख्या दिल्ली सरकार ने बताई.
दिल्ली में अब इन 108 प्राइवेट अस्पतालों में सभी मौजूदा 100% कोरोना बेड्स पर इलाज रियायती रेट्स पर मिलेगा????
— Sharad Sharma (@sharadsharma1) June 21, 2020
गृह मंत्रालय की बनाई समिति की सिफ़ारिश पर मुहर लगाने के बाद दिल्ली सरकार ने निकाला सर्कुलर pic.twitter.com/bTDK60L7mq
दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्तपाल में 120 बेड्स हैं. सर गंगा राम कोलमेट हॉस्पिटल में 25 बेड्स, महा दुर्गा चैरिटेबल ट्रस्ट हॉस्पिटल में 60 बेड्स, सर गंगा राम सिटी हॉस्पिटल में 72 बेड, Cygnus Orthocare- 24. सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल- 102 7 बंसल ग्लोबल हॉस्पिटल- 30 जबकि दिल्ली के 108 प्राइवेट अस्पताल ऐसे हैं जो अपनी कुल क्षमता के 19 प्रतिशत से 58 प्रतिशत बेड्स पर ही कोरोना ट्रीटमेंट कर रहे हैं. यानी इन सभी 108 अस्पतालों में मरीजों को यह सोचने की जरूरत नहीं है कि यहां सस्ता इलाज होगा या नहीं क्योंकि यहां पर सभी 100 प्रतिशत बेड रियायती रेट पर उपलब्ध होंगे.
इन 108 अस्पतालों में छोटे, बड़े और मीडियम सभी तरह के अस्पताल हैं. बड़े अस्पताल इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, सर गंगा राम हॉस्पिटल, बत्रा हॉस्पिटल, बीएल कपूर हॉस्पिटल, होली फैमिली हॉस्पिटल, महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल, फॉर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग आदि हैं. जिन 7 अस्पतालों में रियायती रेट्स वाले बेड की संख्या बताई गई है यानी जो पहले ही अपनी कुल क्षमता के 60% से ज़्यादा बेड्स पर कोरोना ट्रीटमेंट कर रहे हैं.वह अस्पताल मरीज को बाकी बचे 40 फीसदी बेड्स अपने तय किए हुए रेट्स पर दे सकते हैं लेकिन एडमिट करते वक्त मरीज से लिखित सहमति लेनी होगी और इसका बाकायदा रिकॉर्ड रखना होगा.
जिन अस्पतालों को रियायती दरों पर जमीन दी गई है और वह कोरोना ट्रीटमेंट दे रहे हैं, उनको कुल कोरोना बेड्स के 10% बेड्स आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को मुफ्त में इलाज के लिए देने होंगे. वह सभी 108 अस्पताल जिनमें इस समय उनकी कुल क्षमता के 60 फ़ीसदी से कम बेड पर कोरोनावा का इलाज हो रहा है और इसलिए उनको फिलहाल अपने सभी मौजूदा कोरोना बेड पर सस्ते में इलाज देना होगा. वह अस्पताल अगर अपनी कुल क्षमता के 60 फ़ीसदी से ज्यादा बेड कोरोना के इलाज के लिए रखते हैं तो उनको बाकी 40% बेड्स पर मरीजों से ज़्यादा पैसा लेने से पहले लिखित में सुपरवाइजिंग अथॉरिटी को जानकारी देनी होगी.
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