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This Article is From Mar 20, 2022

कोरोना में 2 साल बर्बाद, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए छात्रों को दो और मौके मिलें, आंदोलनरत छात्रों ने की मांग

पिछले दो सालों में कोरोना महामारी की वजह से हज़ारों की संख्या में छात्र केंद्र सरकार की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर पाए या उनकी उम्र निकल गई. या  वो इन परीक्षाओं में आधी अधूरी तैयारी के साथ बैठे या फिर एग्जाम नहीं दे पाए.

UPSC, SSC जैसी कई अहम परीक्षाओं में बैठने से चूक गए हजारों छात्र (प्रतीकात्मक)

नई दिल्ली:

कोरोना के दो सालों में न केवल रोजगार छीने, बल्कि रोजगार के बचे-खुचे अवसरों को भुनाने की कोशिश कर रहे प्रतियोगी परीक्षा (Competitive Exam ) के छात्रों को भी तगड़ा झटका लगा. पिछले दो सालों में कोरोना महामारी की वजह से हज़ारों की संख्या में छात्र केंद्र सरकार की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर पाए या उनकी उम्र निकल गई. या  वो इन परीक्षाओं में आधी अधूरी तैयारी के साथ बैठे या फिर एग्जाम नहीं दे पाए. ऐसे कई छात्र पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे हैं. इनमें से कई भूख हड़ताल पर भी हैं. इन आंदोलनरत छात्रों (Students Protest) की मांग है कि केंद्र सरकार उन्हें एग्जाम देने के दो अवसर और दे.दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में सैकड़ों छात्र पिछले एक महीने से धरने पर बैठे हैं. इनमें से कई भूख हड़ताल पर हैं. हालांकि इनका आंदोलन पिछले 1 साल से जारी है. ये वो छात्र है जो केंद्र सरकार की अलग अलग प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे यूपीएससी(UPSC), एसएससी (SSC) जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन कोरोना के चलते इन परीक्षाओं में या तो आधी अधूरी तैयारी के साथ बैठ पाये या फिर परीक्षा नहीं दे पाए.

हरियाणा के सोहन कुमार उन्हीं में एक हैं जो यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे. 2020 में यूपीएसी का उनका आखिरी चांस था लेकिन कोरोना के चलते उनकी पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाई. सोहन कुमार ने कहा, जब ये कोरोना का वक्त आया 2020 से 2021 तक तो हमारी तैयारी नहीं हो पाई. कोर्ट के अंदर हमे ये आश्वासन दिया गया था कि हम इस मामले को संबंधित एजेंसी तक भेज रहे हैं. इस मामले को 4-5 महीने तक लटकाया गया जो छात्र तैयारी कर रहे थे उनको लगा कि उन्हें एक मौका मिलेगा.

हरियाणा की बबिता भी यूपीएससी की तैयारी कर रही हैं.  2020 में उनका आखिरी प्रयास था लेकिन कोरोना के चलते एग्जाम की तैयारी आधी अधूरी रह गई. बबिता ने कहा,  ये जो हम लोग बैठे हैं ये केवल यूपीएससी की बात नहीं है ये बात है सोशल जस्टिस की.सभी प्रतियोगी छात्रों को 2 मौके दिए जाएं और पारदर्शिता हो. आर्मी की भर्ती तो एक 3 साल से नहीं निकली वो अलग बात है लेकिन यूपीएससी की तैयारी करने वाले काफी लोग ऐसे होते हैं जो पहले से नौकरी कर रहे थे और वो कोविड की ड्यूटी के चलते एग्जाम नहीं दे पाए तो उन्हें मौका देना चाहिए.

धरने पर बैठे रितेश चतुर्वेदी छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के रहने वाले हैं. वो द साल से कोल इंडिया लिमिटेड में नौकरी की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन कोरोना के चलते भर्ती देर से निकली जिसका खामियाजा रितेश को भुगतना पड़ा. रितेश का कहना है कि जो वेकैंसी मार्च अप्रैल में आनी थी वो 6-6 महीने लेट आयी. इसमें मेरे जैसे हजारों अभ्यर्थियों की उम्र निकल गई. पटना के रहने वाले संजीव कुमार 5 साल से एसएससी की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन कोरोना के चलते परिवार परेशानियों के दौर से गुजरा और वो भी परीक्षा की तैयारी ठीक से नहीं कर पाए.

संजीव ने कहा, कोरोना के चलते पूरी दुनिया प्रभावित हुई. हम सही से तैयार नहीं कर पाए. परिवार में किसी की मौत हुई. कई परेशानियां हुईं,लोग यहां से वहां भाग रहे थे. हम चाहते हैं सरकार दो मौके और दे. यूपी के सुल्तानपुर की रहने वाली श्वेता की माली हालत ठीक नहीं है. कोरोना ने उनके परिवार की कमर तोड़ दी,उनके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी आ गयी वो पार्ट टाइम पढ़ाती भी थी और वो यूपीएससी की तैयारी में अच्छा नहीं कर पाईं.

श्वेता ने कहा,मेरे ऊपर परिवार की बहुत जिम्मेदारी आ गई थी,आर्थिक हालात बेहद खराब है मैं सोच रही थी कि पढ़ाई देखूं या परिवार इसलिए मैं पेपर भी नहीं दे पाई 2020 में. मेरा परिवार 2 महीने तक किराये के मकान में 2 महीने तक मेरे साथ रहा. अब ये छात्र चाहते हैं कि उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठे का दो बार मौका मिले और उम्र में दो साल की छूट मिले. 

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