केंद्र सरकार ने दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इस विनियम का नाम ' राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली ( अनाधिकृत कॉलोनियों में निवासियों के संपत्ति के अधिकारों की मान्यता) विनियम 2019 नाम दिया गया है. इसके तहत दिल्ली में 1731 कॉलोनियों को नियमित किया जाएगा. जबकि 69 प्रभावशाली का रसूखदार लोगों की कॉलोनियों को नियमित नहीं करने की सूची में डाला गया है. बीते हफ्ते केंद्र सरकार ने कैबिनेट में इसको मंजूरी दी थी और बताया था कि इस कदम से दिल्ली के 40 लाख लोगों को फ़ायदा होगा.
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बता दें, केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने ये नोटिफ़िकेशन जारी किया है. इस मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने ट्वीट कर कहा 'मैं खुश हूं कि दिल्ली की 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों के 40 लाख निवासियों को मालिकाना हक/ट्रांसफर/मोर्टगेज राइट्स दिलाने के लिए गजट नोटिफ़िकेशन जारी हो गया है. यह आगे की कार्यवाही के लिए रास्ता बनाएगा.'
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— Durga Shanker Mishra (@Secretary_MoHUA) 30 October 2019
केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, दिल्ली की 1797 अनियमित कॉलोनियां होंगी नियमित
कैसे होगी पहचान?
जो कॉलोनी 1 जून 2014 को अस्तित्व में थी, और 1 जनवरी 2015 को 50% विकसित थी यानी उसमें आबादी थी उनको ही पक्का किया जाएगा. फिलहाल 1731 ऐसी कॉलोनियां हैं, जो इस पैमाने पर खरी उतरती हैं. जबकि इस पैमाने पर खरी उतरने वाली 69 कॉलोनियां ऐसी हैं जिनको धनी या रसूखदार लोगों की कॉलोनी माना गया है और इसको नियमित नहीं करने का फैसला किया गया है. इसके साथ ही डीडीए को 2 साल के भीतर कॉलोनियों को (रसूखदारों के अलावा) पक्का करने को कहा गया है. साथ ही डीडीए को यह भी कहा गया है कि ऐसी और कॉलोनियों की भी पहचान करें.
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क्या-क्या श्रेणी बनाई गई?
जमीन के आधार पर दो तरह की श्रेणी बनाई गई हैं-
1. सरकारी या खेती की ज़मीन जिसका मुआवजा दिया जा चुका हो.
2. निजी ज़मीन.
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रजिस्ट्री की फीस?
सरकारी ज़मीन पर बने मकान का मालिकाना हक लेने के लिए-
1. 100 मीटर से नीचे के प्लाट - कारपेट एरिया का चौथाई × सर्किल रेट का 0.5%
2. 100-250 मीटर के प्लाट- कारपेट एरिया का चौथाई × सर्किल रेट का 1%
3. 250 मीटर से ऊपर प्लाट - कारपेट एरिया का चौथाई × सर्किल रेट का 2.5%
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निजी जमीन पर बने मकान का मालिकाना हक़ लेने के लिए-
निजी जमीन पर बने मकान का मालिकाना हक लेने के लिए आवेदक को सरकारी जमीन पर बने मकान के चार्ज का आधा यानी 50% चार्ज ही देना होगा.
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भुगतान के बारे में जानकारी
1. यह चार्ज नोटिफिकेशन के 1 साल तक वैध रहेंगे, 1 साल से ज्यादा देरी होने पर 8% लेट पेमेंट चार्ज लगेगा.
2. आवेदक रजिस्ट्री की फ़ीस तीन किस्तों में दे सकेंगे.
3. जो आवेदक एक ही बार में सारे चार्ज दे देगा उसको तुरंत मालिकाना हक मिल जाएगा.
4. दो तिहाई भुगतान करने पर प्रोविजनल मालिकाना हक दिया जाएगा, जो पेमेंट पूरी होते ही परमानेंट मालिकाना हक में बदल जाएगा.
5. अगर किसी ने अपनी प्रॉपर्टी कम दिखाकर कम चार्ज देने की कोशिश की तो पकड़े जाने पर उसे अपनी सारी प्रॉपर्टी पर चार्ज देना होगा. यहां तक कि उस प्रॉपर्टी के लिए भी जिस का मालिकाना हक उसको मिल चुका है.
6. कॉरपेट एरिया के आधार पर चार्ज लिया जाएगा.
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सर्किल रेट क्या होगा?
सर्किल रेट यानी रिहायशी इलाकों की 8 श्रेणियां A, B, C, D, E, F, G, H. लेकिन ये नियमित कॉलोनियों की होती है. ऐसे में अनाधिकृत कालोनी में रजिस्ट्री कराने के लिए सर्कल रेट क्या होगा? इसके लिए उस इलाके की सबसे बढ़िया माने जाने वाली कॉलोनी की केटेगरी अप्लाई होगी.
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नक्शे कौन बनाएगा?
किसी भी कॉलोनी को नियमित करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होगा उसका नक्शा जो इनकी बाउंड्री तय करेगा. डीडीए को इन अनाधिकृत कॉलोनियों की बाउंडरी चित्रित करने का काम दिया गया है.
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मालिकाना हक़ लेने की प्रक्रिया
1. दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए एक वेब पोर्टल तैयार करेगा.
2. डीडीए हर मकान के जियो कॉर्डिनेट्स यानी एक तरह से गूगल मैप में उसकी पोजिशन निर्धारित करने के लिए एजेंसियों का पैनल बनाएगा.
3. आवेदक सबसे पहले अपना डिजिलॉकर अकाउंट बनाएं और उसमें अपने सभी दस्तावेज अपलोड करें.
4. आवेदक अपने मकान का जिओ कोऑर्डिनेट तय करने के लिए डीडीए द्वारा निर्धारित की गई एजेंसियों में से किसी एक से संपर्क करे.
5.एजेंसी मकान के प्लॉट का जिओ कोऑर्डिनेट तय करेगी. एजेंसी व्यक्ति के प्लाट की और उसके आसपास की ऑटो- CAD ड्रॉइंग बनाएगी. इसके बाद एजेंसी जिओ कोऑर्डिनेट और ऑटो- CAD ड्रॉइंग पोर्टल पर अपलोड करके एक QR कोड जेनेरेट करेगी. ये QR कोड आवेदक को दिया जाएगा.
6. आवेदक डीडीए के पोर्टल पर अपने आप को रजिस्टर कराएगा
7. जब आवेदक मालिकाना हक के लिए आवेदन करेगा तो आवेदक की मूल जानकारी और उसने जिस प्रॉपर्टी के लिए आवेदन किया है उसकी जानकारी वेबसाइट पर डिस्प्ले होगी जिससे अगर किसी को आपत्ति है तो वो दर्ज कराए।
8. सारी जानकारी ऑनलाइन देने के बाद, भुगतान देने के बाद डीडीए के लोग निरीक्षण के लिए आएंगे। इसके लिए खुद आवेदक ही तारीख और समय तय करेगा
9. डीडीए 180 दिनों में Conveyance deed या Authorization slip देने की प्रक्रिया पूरी करेगा, अगर दावे में कोई गलती या समस्या हुई तो डीडीए कारण बताकर आवेदन रद्द कर देगा
10. आवेदन खारिज होने के बाद आवेदक डीडीए से संपर्क कर सकता है और डीडीए को दावे पर 90 दिनों के अंदर फैसला लेना होगा
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