
- दिल्ली और एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 250 से 300 के करीब पहुंचकर हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हो गई है
- हवा की धीमी गति के कारण प्रदूषण के कण जमा होकर पूरे शहर में घने स्मॉग की स्थिति उत्पन्न हुई है
- प्रदूषण बढ़ने से लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याएं हो रही हैं
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में ठंड की दस्तक के साथ ही वायु प्रदूषण (Air Pollution) ने एक बार फिर चिंताजनक स्तर छू लिया है. क्षेत्र का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 250 से 300 के करीब पहुंच चुका है, जिसका अर्थ है कि हवा 'बहुत खराब' श्रेणी में आ गई है. हवा की धीमी गति के कारण प्रदूषण के कण जमा हो रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप सुबह-सुबह पूरे शहर पर घने स्मॉग (धुंध) की चादर दिखाई दे रही है.
विजिबिलिटी घटी, लोगों को सांस लेने में दिक्कत
इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन जैसे प्रमुख स्थलों के आसपास की तस्वीरों में भी स्मॉग साफ देखा जा सकता है, जिससे विजिबिलिटी काफी कम हो गई है. प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि आम नागरिकों को सांस लेने में दिक्कत, आँखों में जलन और गले में खराश जैसी शिकायतें हो रही हैं. कई लोगों का कहना है कि सड़कों पर धूल और मिट्टी बहुत अधिक है.
दिवाली से पहले बिगड़े हालात
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मानकों के अनुसार, 201 से 300 के बीच का AQI 'खराब' माना जाता है, और आने वाले दिनों में यह 'बहुत खराब' (301-400) श्रेणी में जा सकता है. दिल्ली में यह स्थिति तब है जब दिवाली में अभी कुछ दिन बाकी हैं और पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट ने कुछ प्रतिबंध लगाए हैं.
प्रदूषण से निपटने के उपाय और डॉक्टरों की सलाह
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए, CAQM (कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट) द्वारा पहले ही ग्रेप-I (GRAP-I) लागू किया जा चुका है. इसके अतिरिक्त, प्रदूषण नियंत्रण के लिए वाटर स्प्रिंकलर्स का उपयोग किया जा रहा है और एंटी-स्मॉग गन का प्रयोग भी किया जा रहा है. सभी निर्माण और विध्वंस (Construction and Demolition) स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपायों का कड़ाई से पालन करने और 500 वर्ग मीटर से बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए स्वीकृत डस्ट मैनेजमेंट प्लान का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं. कचरा, पत्तों और अन्य सामग्री को खुले में जलाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है.
इस गंभीर स्थिति पर एम्स (AIIMS) के डॉक्टरों ने सलाह दी है कि लोगों को, खासकर दिवाली के आसपास, ज्यादातर समय घर के अंदर (Indoors) ही रहना चाहिए और प्रदूषण से खुद को बचाना चाहिए, क्योंकि यह समय श्वसन संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकता है. आने वाले दिनों में प्रदूषण के और बढ़ने की आशंका है.
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