केंद्र सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि खाने के बिल पर सेवा शुल्क अनिवार्य नहीं है...
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार ने उपभोक्ताओं से सेवा शुल्क लेने के मुद्दे पर होटलों और रेस्त्रां वालों पर लगाम कसते हुए उन्हें निर्देश दिया है कि वह परिसर में 'सेवा कर स्वैच्छिक है' की तख्ती लगाएं. इस साल जनवरी में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया था कि खाने के बिल पर सेवा शुल्क अनिवार्य नहीं है और उपभोक्ता इसका चयन कर सकता है. वह अनुभव से संतुष्ट नहीं होने पर इसे छोड़ सकता है. इसके बाद भी इस तरह की शिकायतें थी कि शहर के कुछ रेस्त्रां और होटल सभी उपभोक्ताओं से सेवा शुल्क वसूल कर रहे थे, भले ही वे सेवा से सुतंष्ट हो या नहीं.
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "आबकारी, मनोरंजन, लग्जरी कर विभाग ने शहर के होटलों और रेस्तरों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने परिसरों में उपयुक्त स्थान पर दर्शाएं कि सेवा कर स्वनिर्णयगत है और स्वैच्छिक है." उन्होंने कहा कि अगर कोई उपभोक्ता सेवा से संतुष्ट नहीं है तो वह इसे छोड़ सकता है. उन्होंने कहा कि उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. अधिकारी ने कहा कि उपभोक्ता ऐसे अनुचित व्यापार चलन के खिलाफ शिकायत कर सकता है.
इससे पहले नए साल की शुरुआत में सरकार ने कहा था कि यदि आप किसी रेस्तरां या होटल में जाते हैं और वहां सेवाओं से संतुष्ट नहीं होते हैं तो बिल चुकाते समय आप सर्विस चार्ज देने से मना कर सकते हैं. होटल संघ ने इस पर कहा है कि ग्राहक चाहें तो वे चार्ज देने से मना कर सकते हैं. उपभोक्ता मंत्रालय की ओर से इस बाबत जारी एक बयान में यह बात कही गई है. यहां बता दें कि होटलों और रेस्टोरेंट्स में 5 परसेंट से लेकर 20 परसेंट तक सर्विस चार्ज लगता था लेकिन सर्विस चार्ज, सर्विस टैक्स नहीं है. सरकार द्वारा दी गई छूट सर्विस चार्ज पर लागू होती है न कि सर्विस टैक्स पर. बता दें कि सर्विस चार्ज होटल या रेस्तरां को मिलता है जबकि सर्विस टैक्स सरकार को मिलता है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "आबकारी, मनोरंजन, लग्जरी कर विभाग ने शहर के होटलों और रेस्तरों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने परिसरों में उपयुक्त स्थान पर दर्शाएं कि सेवा कर स्वनिर्णयगत है और स्वैच्छिक है." उन्होंने कहा कि अगर कोई उपभोक्ता सेवा से संतुष्ट नहीं है तो वह इसे छोड़ सकता है. उन्होंने कहा कि उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. अधिकारी ने कहा कि उपभोक्ता ऐसे अनुचित व्यापार चलन के खिलाफ शिकायत कर सकता है.
इससे पहले नए साल की शुरुआत में सरकार ने कहा था कि यदि आप किसी रेस्तरां या होटल में जाते हैं और वहां सेवाओं से संतुष्ट नहीं होते हैं तो बिल चुकाते समय आप सर्विस चार्ज देने से मना कर सकते हैं. होटल संघ ने इस पर कहा है कि ग्राहक चाहें तो वे चार्ज देने से मना कर सकते हैं. उपभोक्ता मंत्रालय की ओर से इस बाबत जारी एक बयान में यह बात कही गई है. यहां बता दें कि होटलों और रेस्टोरेंट्स में 5 परसेंट से लेकर 20 परसेंट तक सर्विस चार्ज लगता था लेकिन सर्विस चार्ज, सर्विस टैक्स नहीं है. सरकार द्वारा दी गई छूट सर्विस चार्ज पर लागू होती है न कि सर्विस टैक्स पर. बता दें कि सर्विस चार्ज होटल या रेस्तरां को मिलता है जबकि सर्विस टैक्स सरकार को मिलता है.
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