सांकेतिक तस्वीर
नई दिल्ली:
निजी स्कूलों में नर्सरी के लिए ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत करीब 26,600 सीटों का आवंटन कम्प्यूटरीकृत ड्रॉ के माध्यम से हुआ। दिल्ली सरकार ने पहली बार यह प्रयोग किया है। शिक्षा निदेशालय को नर्सरी, यूकेजी और पहली कक्षा के लिए 73,059 आवेदन मिले थे जबकि कुल सीटों की संख्या 28,193 थी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, '28,193 सीटों में से 26,604 सीटों को कम्प्यूटरीकृत ड्रॉ के माध्यम से आवंटित किया गया जबकि 1,589 सीटें खाली हैं।' उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की उपस्थिति में दिल्ली सचिवालय में ड्रॉ का आयोजन हुआ, जिनके पास शिक्षा मंत्रालय भी है।
सफल आवेदकों को एसएमएस, कॉल और डीओई की वेबसाइट के माध्यम से सूचित किया जाएगा। वहीं दिल्ली सरकार ने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत हर छात्र पर खर्च की राशि बढ़ाने का फैसला किया है, ताकि निजी स्कूल ऐसे छात्रों को सामान्य श्रेणी के छात्रों की तरह सुविधाएं मुहैया कराएं।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि निजी स्कूलों की शिकायत थी कि आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के लिए सरकार उन्हें 'मामूली रकम' देती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी में सरकार निजी स्कूलों को इस श्रेणी के छात्रों को नामांकन देने के एवज में 'निश्चित राशि' देती है।
सिसोदिया ने कहा, 'अधिकतर स्कूलों की शिकायत होती है कि चूंकि उनकी फीस ज्यादा है, इसलिए सरकार की तरफ से दी गई राशि उपयुक्त नहीं है और कहते हैं कि इन छात्रों पर ज्यादा खर्च करना पड़ता है, इसलिए वे दूसरे अभिभावकों से ज्यादा फीस लेते हैं जो ईडब्ल्यूएस श्रेणी में नहीं आते हैं।'
उपमुख्यमंत्री ने कहा, 'इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस निश्चित राशि को 'उपयुक्त' बनाने का निर्णय किया है।'
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, '28,193 सीटों में से 26,604 सीटों को कम्प्यूटरीकृत ड्रॉ के माध्यम से आवंटित किया गया जबकि 1,589 सीटें खाली हैं।' उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की उपस्थिति में दिल्ली सचिवालय में ड्रॉ का आयोजन हुआ, जिनके पास शिक्षा मंत्रालय भी है।
सफल आवेदकों को एसएमएस, कॉल और डीओई की वेबसाइट के माध्यम से सूचित किया जाएगा। वहीं दिल्ली सरकार ने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत हर छात्र पर खर्च की राशि बढ़ाने का फैसला किया है, ताकि निजी स्कूल ऐसे छात्रों को सामान्य श्रेणी के छात्रों की तरह सुविधाएं मुहैया कराएं।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि निजी स्कूलों की शिकायत थी कि आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के लिए सरकार उन्हें 'मामूली रकम' देती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी में सरकार निजी स्कूलों को इस श्रेणी के छात्रों को नामांकन देने के एवज में 'निश्चित राशि' देती है।
सिसोदिया ने कहा, 'अधिकतर स्कूलों की शिकायत होती है कि चूंकि उनकी फीस ज्यादा है, इसलिए सरकार की तरफ से दी गई राशि उपयुक्त नहीं है और कहते हैं कि इन छात्रों पर ज्यादा खर्च करना पड़ता है, इसलिए वे दूसरे अभिभावकों से ज्यादा फीस लेते हैं जो ईडब्ल्यूएस श्रेणी में नहीं आते हैं।'
उपमुख्यमंत्री ने कहा, 'इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस निश्चित राशि को 'उपयुक्त' बनाने का निर्णय किया है।'
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