देश भर हर रोज़ आ रहे कोरोना के रिकॉर्ड तोड़ मामलों ने केंद्र और राज्य सरकारों के दावों की पोल खोल दी है. न लोगों को बेड मिल रहे हैं और न ऑक्सीजन,यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में बेड की कमी नहीं है लेकिन यूपी के सबसे हाई प्रोफ़ाइल शहर नोएडा में बेड न मिलने से लोग सड़क पर मर रहे हैं. 35 साल की जागृति गुप्ता नोएडा के सरकारी जिम्स अस्पताल की पार्किंग में खड़ी गाड़ी में तड़पती रही. लेकिन अस्पताल नें इन्हें कह दिया कि न बेड है और न ही ऑक्सीजन. गुरूवार सुबह 12:30 यहां पहुंची जागृति के साथ आए लोग बार-बार डॉक्टरों से मिन्नतें करते रहे. तक़रीबन 3 घंटे बाद जागृति ने गाड़ी में दम तोड़ दिया. जागृति पेशे से इंजीनियर थीं और ग्रेटर नोएडा में नौकरी करती थीं. परिवार मध्यप्रदेश में है.
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घटना के चश्मदीद सचिन ने बताया कि जागृति जिनके यहां रहती है वो ही अस्पताल लेकर पहुंचे थे, वो बार बार अस्पताल से जागृति का इलाज करने की गुहार लगा रहे थे लेकिन कुछ नहीं हुआ, आखिर में जागृति ने दम तोड़ दिया. नोएडा में इस वक्त हालात बेहद खराब हैं, सरकारी अस्पतालों के बाहर कोरोना मरीज़ों के परिवार वाले मायूस होकर वापस लौट रहे हैं. सबको बता दिया गया है कि बेड नहीं हैं. नोएडा प्रशासन ने ऑनलाइन कोविड ट्रैकर बना रखा है, जहां ऑक्सीजन और ICU बेड मिलाकर कुल 2568 बेड हैं. लेकिन एक भी खाली नहीं है. NDTV ने हेल्पलाइन पर फोन करके जानकारी लेनी चाही तो पता चला कि पूरे नोएडा ग्रेटर नोएडा में कहीं भी बेड नहीं है.
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सरकार कुछ भी कहती रहे लेकिन असलियत में पूरे उत्तर प्रदेश में हालात बहुत ख़राब हैं. हर रोज सैकड़ों लोग नोएडा में कोरोना पॉज़िटिव हो रहे हैं लेकिन सरकार के पास इन्हें भर्ती करने के लिए बेड नहीं है. लोग यही सवाल पूंछ रहे हैं जाएं तो जाएं कहां?
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