नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) की बोर्ड बैठक से फ्लैट खरीदारों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है. फ्लैट बायर्स को मालिकाना हक और शासन को स्टांप डयूटी के जरिये से राजस्व मिले, इसके लिए रेरा अधिनियम 2016 के सेक्शन 13 को अनुमोदित किया गया है. बुकिंग अमाउंट का 10% राशि लेकर अब बिल्डरों को फ्लैट बायर्स की रजिस्ट्री करनी होगी. फ्लैटों की रजिस्ट्री करने के लिए संघर्ष कर रहे बायर्स का कहना है कि यह एक अच्छी नियत से लिया गया फैसला है, लेकिन इसमें दिक्कत यह है कि इसमें बायर्स संगठनों से सहमति नहीं ली गई है. इसलिए इस निर्णय पर सवाल खड़े कर रहे हैं और उसका स्पष्टीकरण हम चाहते हैं.
क्यों उठे सवाल?
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित नोएडा प्राधिकरण के बोर्ड रूम में आयोजित 215वीं बैठक में रेरा अधिनियम 2016 के सेक्शन 13 को अनुमोदित किया गया.यह फैसला इसलिए किया गया कि फ्लैट खरीदारों को मालिकाना हक और शासन को स्टांप डयूटी के जरिये राजस्व मिले. इस फैसले पर अजनारा होम्स के दिनकर पांडे का कहना हैं कि प्राधिकरण की नियत पर मुझे कोई शक नहीं है, लेकिन एसी चेंबर में बैठकर बिना किसी से डिस्कस किए हुए कुछ भी हैडलाइन मैनेजमेंट करने के लिए फैसला कर देना नोएडा अथॉरिटी की फितरत रही है. वे कहते हैं कि मान लीजिए एक जमीन बिल्डर को दे दी गई, उसे उस पर बिल्डिंग बनाना है. एक फ्लैट 21वें फ्लोर पर भी हो सकता है. नींव पड़ते ही अगर उसी समय स्टांप ड्यूटी दे दी गई और रजिस्ट्री करा ली गई तो क्या सरकार इसके साथ यह गारंटी लेती है कि प्रोजेक्ट टाइम पर डिलीवर होगा?
बॉयर्स का क्या होगा?
दिनकर कहते हैं कि फ्लैट अलॉट होगा और बुकिंग होगी तो उसके साथ ही स्टैंप ड्यूटी ले ली जाएगी. इसका मतलब है कि बिल्डर अपना पूरा पैसा ले लेगा, अथॉरिटी अपना पूरा पैसा ले लेगी, सरकार भी अपना पूरा पैसा ले लेगी. बायर्स को क्या मिलेगा? सरकार उससे उस प्रॉपर्टी की वैल्यू पर स्टांप ड्यूटी लेना चाहती है, जो बनी ही नहीं है. निश्चित रूप से हम लोग रजिस्ट्री के लिए संघर्ष कर रहे हैं. अगर प्रोजेक्ट नहीं बनता है और बुकिंग पर आप स्टैंप ड्यूटी ले लेते हैं, रजिस्ट्री हो जाती है और अगर बिल्डर भाग जाता है तो क्या होगा?
टैक्स बढ़ाने की कवायद
एक और बायर चंदन कुमार सिन्हा कहते हैं कि नोएडा प्राधिकरण जो स्कीम लेकर आई है, इसका मकसद मुझे लगता है कि सरकार बस अपना पैसा लेना चाहती है. बिल्डर के पास से वह टैक्स कलेक्ट करने की सोच रही है, जिससे उसे एडवांस में ही टैक्स मिल जाए. सरकार नई-नई स्कीम लेकर आती है और पुरानी स्कीमों को छोड़ देती है. पुराने प्रोजेक्ट की जो रजिस्ट्री अटकी हुई है. उस पर ध्यान न देकर सरकार टैक्स कलेक्शन के लिए अपना पूरा जोर लगा रही है.
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