कठपुतली कालोनी में पुलिस...
नई दिल्ली:
कठपुतली कालोनी को खाली करवाने से लेकर गगनचुंबी इमारत बनाने के लिए अब पुलिस से लेकर डीडीए के अधिकारियों ने वहां डेरा डाल दिया है. दरअसल वहां बनने वाले मकानों में उनको घर दिया जाएगा जो यहां रह रहे हैं और जिनका नाम डीडीए के सर्वे में है. पर लोग सर्वे को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं.
पुलिस छावनी में तब्दील कठपुतली कालोनी
कठपुतली कालोनी में चप्पे चप्पे पर पुलिस का डेरा है. नाकेबंदी से लेकर बुलडोजर हो, फायर की गाड़ी या फिर एंबुलेंस, सबकी तैनाती यहां पर की गई है.
घर घर जाकर डीडीए के अधिकारी और पुलिस कठपुतली कालोनी के लोगों का भरोसा जीतने में लगे हैं कि वो ये जगह खाली करके आनंद पर्वत के ट्रांजिट कैंप में फिलहाल शिफ्ट कर जाएं जब तक यहां बिल्डिंग बनकर तैयार न हो जाए. रजामंदी के बाद पहले पर्ची काटी जा रही है फिर यहां लगे कैंप में अग्रीमेंट की कापी थमाई जा रही है.
(कालोनी में कैंप लगाए डीडीए कर्मी)
डीडीए के प्रिंसिपल कमिश्नर जेपी अग्रवाल ने बताया कि इन लोगों को ट्रांजिट कैंप में भेजने की तैयारी है. पुलिस को निर्देश है कि किसी से कोई जोर जबरदस्ती न हो.
पर, कुछ लोग मर्जी की बात भी कह रहे हैं तो कुछ जबरदस्ती की शिकायत भी कर रहे हैं. कठपुतली कालोनी में रहने वाली सुनीता की बेटी ने कहा कि मां समझदार भी नहीं है और बीमार भी है. पिता जी यहां हैं नहीं. जगह खाली करवाने को लेकर जबरदस्ती सिग्नेचर करवा लिया.
जबकि हरी भट्ट कहते हैं कि हम बिल्कुल अपनी मर्जी से कर रहे हैं. कोई दबाव नहीं है. मर्जी भी इसलिए कि ये लिखित दे रहे हैं. यहां के प्रधान दिलिप भट्ट की शिकायत भी 2009-11 के बीच हुए उस सर्वे को लेकर है जिसमें यहां रहने वाले सभी लोगों के नाम नहीं हैं. दिलिप बताते हैं कि सर्वे में 2641 लोगों का जिक्र है पर यहां 3500 लोग रहते हैं.
पुलिस छावनी में तब्दील कठपुतली कालोनी
कठपुतली कालोनी में चप्पे चप्पे पर पुलिस का डेरा है. नाकेबंदी से लेकर बुलडोजर हो, फायर की गाड़ी या फिर एंबुलेंस, सबकी तैनाती यहां पर की गई है.
घर घर जाकर डीडीए के अधिकारी और पुलिस कठपुतली कालोनी के लोगों का भरोसा जीतने में लगे हैं कि वो ये जगह खाली करके आनंद पर्वत के ट्रांजिट कैंप में फिलहाल शिफ्ट कर जाएं जब तक यहां बिल्डिंग बनकर तैयार न हो जाए. रजामंदी के बाद पहले पर्ची काटी जा रही है फिर यहां लगे कैंप में अग्रीमेंट की कापी थमाई जा रही है.

डीडीए के प्रिंसिपल कमिश्नर जेपी अग्रवाल ने बताया कि इन लोगों को ट्रांजिट कैंप में भेजने की तैयारी है. पुलिस को निर्देश है कि किसी से कोई जोर जबरदस्ती न हो.
पर, कुछ लोग मर्जी की बात भी कह रहे हैं तो कुछ जबरदस्ती की शिकायत भी कर रहे हैं. कठपुतली कालोनी में रहने वाली सुनीता की बेटी ने कहा कि मां समझदार भी नहीं है और बीमार भी है. पिता जी यहां हैं नहीं. जगह खाली करवाने को लेकर जबरदस्ती सिग्नेचर करवा लिया.
जबकि हरी भट्ट कहते हैं कि हम बिल्कुल अपनी मर्जी से कर रहे हैं. कोई दबाव नहीं है. मर्जी भी इसलिए कि ये लिखित दे रहे हैं. यहां के प्रधान दिलिप भट्ट की शिकायत भी 2009-11 के बीच हुए उस सर्वे को लेकर है जिसमें यहां रहने वाले सभी लोगों के नाम नहीं हैं. दिलिप बताते हैं कि सर्वे में 2641 लोगों का जिक्र है पर यहां 3500 लोग रहते हैं.
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