अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से क्यूबा के नागरिक अब एक्सचेंज के विकल्प के तौर पर क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrencies) का इस्तेमाल कर रहे हैं. बताया जाता है कि करीब एक लाख क्यूबिआई डिजिटल असेट्स इस्तेमाल कर रहे हैं. यह ग्रोथ तब है, जब देश में इंटरनेट को पहुंच को महज तीन साल हुए हैं. क्यूबा में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन है. रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण यहां के नागरिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत डेबिट और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल नहीं कर सकते. Paypal, Revolut, और Zelle सभी इस इलाके में बैन हैं. यही वजह है कि अब यहां पेमेंट ऑप्शन के तौर पर क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल बढ़ रहा है.
NBC न्यूज ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कुछ लोगों से बात की. उन्हीं में से एक हैं नेल्सन रोड्रिगेज, जो क्यूबा में कैफे मालिक हैं. वह अब पेमेंट के लिए बिटकॉइन (Bitcoin) और इथीरियम (Ethereum) दोनों को स्वीकार करते हैं. उन्होंने कहा कि वह क्रिप्टो की फिलॉसफी में भरोसा करते हैं. यह ऐसी चीज है, जो फ्री मार्केट, प्रॉपर्टी राइट्स, सीमाहीनता और सेंसरशिप के खिलाफ मुकाबले पर काम करती है.
हाल ही में क्यूबा के सेंट्रल बैंक ने घोषणा की है कि वह इस महीने से वर्चुअल असेट सर्विस प्रोवाइडर्स को लाइसेंस जारी करना शुरू कर देगा. गौरतलब है कि क्यूबा में इस बात पर चर्चा हो रही थी कि देश में पेमेंट के लिए क्रिप्टोकरेंसी को लीगलाइज किया जाए या नहीं. नेल्सन रोड्रिगेज कहते हैं, डिजिटल करेंसीज का सीधा मतलब है कि जो प्रतिबंध उन पर लगाए गए हैं, उनके कोई मायने नहीं हैं, क्योंकि पेमेंट सर्विस प्राेवाइडर अब हमारे लिए जरूरी नहीं हैं.
क्यूबा के आमलोगों के साथ-साथ सिलेब्रिटी भी क्रिप्टो की ओर रुख कर रहे हैं. क्यूबा के संगीतकार अर्नेस्टो सिस्नेरोस ने कोविड 19 महामारी और प्रतिबंधों के कारण अपना बिजनेस गंवा दिया था. उन्होंने NFT की ओर रुख किया. वह अब अपना म्यूजिक, वीडियो और फोटो चेन पर स्टोर करते हैं और उन्हें ऑनलाइन बेचकर पैसे कमाते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही क्यूबा की छोटी दुकानों में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करके देश पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को कुछ हद तक बायपास किया जा सकता है, पर Chainalysis का दावा है कि सरकारों के लिए यह पूरी तरीके से व्यवहार्य नहीं है. बिनेंस के सीईओ चांगपेंग झाओ भी कहते हैं कि प्रतिबंधों से मुकाबले के लिए क्रिप्टो का इस्तेमाल करना एक मिथक है. वह कहते हैं कि क्रिप्टो को ट्रेस करना आसान है और दुनिया की सरकारें क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर नजर रख सकती हैं.
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