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This Article is From Apr 11, 2022

भ्रष्ट देशों में क्रिप्टोकरेंसीज का अवैध गतिविधियों में ज्यादा इस्तेमाल

कुछ देशों में सरकारों की ओर से लगाए गए कारोबारी प्रतिबंधों को क्रिप्टोकरेंसीज से चकमा भी दिया जा सकता है

भ्रष्ट देशों में क्रिप्टोकरेंसीज का अवैध गतिविधियों में ज्यादा इस्तेमाल
हाल के महीनों में क्रिप्टोकरेंसीज से जुड़े फ्रॉड के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है

इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) का दावा किया है कि क्रिप्टोकरेंसीज का इस्तेमाल भ्रष्ट देशों में ज्यादा है. क्रिप्टो पर IMF ने एक स्टडी की, जिसमें कहा गया है कि मजबूत वित्तिय सिस्टम वाले देशों में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल की जरूरत कम हो सकती है. यह स्टडी 55 देशों में की गई थी और इसमें प्रत्येक देश से 2,000-12,000 लोग शामिल थे. स्टडी में कहा गया है कि क्रिप्टो एक्सचेंजों और अन्य इंटरमीडियरीज पर नो युअर कस्टमर (KYC) प्रोसेस लागू करने के लिए सरकारों की ओर से क्यों दबाव डाला जा सकता है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि क्रिप्टो की लोकप्रियता बढ़ने के नेगेटिव और पॉजिटव दोनों प्रभाव होते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, "क्रिप्टोकरेंसीज के इस्तेमाल का भ्रष्टाचार अधिक होने और कैपिटल पर कड़े नियंत्रणों से काफी जुड़ाव है." हालांकि, इस रिपोर्ट में सबसे अधिक या कम भ्रष्ट देशों की जानकारी नहीं दी गई है. इसमें यह भी कहा गया है कि क्रिप्टोकरेंसीज से कथित तौर पर आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है क्योंकि इससे अपराधियों को पकड़े जाने से बचने में मदद मिलती है. क्रिप्टोकरेंसीज से सरकारों की ओर से लगाए गए कारोबारी प्रतिबंधों को चकमा भी दिया जा सकता है. 

इसके अलावा स्टडी में कहा गया है कि क्रिप्टो एक्सचेंजों और अन्य इंटरमीडियरीज पर नो युअर कस्टमर (KYC) प्रोसेस लागू करने के लिए सरकारों की ओर से क्यों दबाव डाला जा सकता है. KYC से फ्रॉड, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को फंडिंग जैसी समस्याओं से निपटने में मदद मिल सकती है. अमेरिका जैसे कुछ देशों ने पहले ही KYC के कड़े नियमों को लागू कर दिया है. हालांकि, कम विकसित देशों में नियमों को ज्यादा सख्त बनाने की जरूरत है. 

किसी देश में अधिक इनफ्लेशन से यह संकेत मिलता है कि उसकी करेंसी बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में कम स्थिर है. कमजोर देशों में  क्रिप्टोकरेंसीज का इस्तेमाल टैक्स से बचने के लिए भी किया जाता है. इन देशों में कैपिटल पर कंट्रोल अधिक होते हैं जिससे देश में और उससे बाहर विदेशी फंड के फ्लो पर असर पड़ता है. हाल के महीनों में क्रिप्टोकरेंसीज से जुड़े फ्रॉड के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है. रेगुलेटर्स का मानना है कि ऐसी समस्याओं से बचने के लिए इस सेगमेंट की स्क्रूटनी को बढ़ाने की जरूरत है. कुछ देशों ने क्रिप्टो सेगमेंट के लिए कानून बनाने पर काम भी शुरू किया है. यूरोपियन यूनियन के रेगुलेटर्स ने पिछले महीने चेतावनी दी थी कि क्रिप्टोकरेंसीज में इनवेस्टमेंट करने वालों को अपनी पूरी रकम गंवाने के लिए तैयार रहना चाहिए.  

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