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This Article is From Sep 24, 2021

Cryptocurrency : क्रिप्टो में निवेश करें या स्टॉक, बॉन्ड, गोल्ड जैसे विकल्प ही बेहतर होंगे?

Cryptocurrency Investment : स्टॉक, बॉन्ड, गोल्ड जैसे कई पारंपरिक विकल्प मौजूद हैं, लेकिन अब क्रिप्टोकरेंसी भारत में भी निवेशकों को अपनी ओर खींच रही है. लेकिन हम एक बार नजर डालते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी, पहले से मौजूद ट्रेडिशनल ऑप्शन्स से कितनी अलग है.

Cryptocurrency : क्रिप्टो में निवेश करें या स्टॉक, बॉन्ड, गोल्ड जैसे विकल्प ही बेहतर होंगे?
Cryptocurrency और निवेश के ट्रेडिशनल टूल्स में हैं कई फर्क और नफे-नुकसान. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारत में जब निवेश की बात आती है तो निवेशक ऐसे विकल्प चुनना चाहते हैं, जहां उन्हें एक निश्चित अवधि में कम रिस्क के साथ ज्यादा रिटर्न मिल जाए. स्टॉक, बॉन्ड, गोल्ड जैसे कई पारंपरिक विकल्प मौजूद हैं, लेकिन अब क्रिप्टोकरेंसी भारत (Cryptocurrency in India) में भी निवेशकों को अपनी ओर खींच रही है. भविष्य में क्रिप्टोकरेंसी की अहमियत को बढ़ता देखकर यहां इसकी स्टोर वैल्यू के लिए निवेश बढ़ रहा है. रिजर्व बैंक (RBI) ने 2018 में डिजिटल करेंसी फ्रॉड के डर से सभी बैंकों पर क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन करने पर बैन लगा दिया था. हालांकि, 2020 के मार्च महीने में सुप्रीम कोर्ट ने इस बैन को निरस्त कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस रुख के बाद से भारत में क्रिप्टोकरेंसी का बड़ा बाजार तैयार किया है. लेकिन हम एक बार नजर डालते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी, पहले से मौजूद ट्रेडिशनल ऑप्शन्स से कितनी अलग है.

क्रिप्टोकरेंसी vs स्टॉक

क्रिप्टोकरेंसी और स्टॉक मार्केट में क्या फर्क है, इससे शुरू करते हैं. दोनों ही बाजार में अच्छे-बुरे दिन देखने को मिलते हैं. हालांकि, स्टॉक मार्केट का इतिहास लंबा है, इससे निवेशकों को आगे का रुख तय करने में मदद मिलती है, वो ट्रेंड्स और प्रिडिक्शन के लिए इन आंकड़ों की मदद लेते हैं, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी का बाजार अभी काफी नया है. यहां उतने आंकड़ों का सहारा नहीं होता. स्टॉक मार्केट में कई तरह के रिस्क होते हैं, बिजनेस, फाइनेंशियल, बाजार में वॉलेटिलिटी यानी अस्थिरता, सरकार का नियंत्रण और नियमन वगैरह जैसी चीजें हैं, जो इस बाजार को प्रभावित करती हैं. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी का इकोसिस्टम डिसेंट्रलाइज्ड है, यानी अधिकतर करेंसी को कोई सरकार या कोई समूह या संस्था कंट्रोल नहीं करती है.

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क्रिप्टोकरेंसी vs बॉन्ड्स

बॉन्ड्स भी निवेश का एक माध्यम होते हैं. ये एक तरह से किसी कंपनी या सरकार की ओर से किसी निवेशक से लिए जाने वाले लोन की तरह होते हैं. यानी कि जब कोई निवेशक किसी कंपनी से या सरकार से कोई बॉन्ड खरीदता है तो वो कंपनी या सरकार उसके कर्ज में आ जाती है. जब तक वो कंपनी या सरकार उस निवेशक का लोन नहीं चुकाती है, तब तक उसे इसपर ब्याज मिलता रहता है. बॉन्ड के साथ रिस्क वाली बात यह है कि अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है तो एक तो उसे ब्याज मिलना बंद हो जाएगा, दूसरा उसका मूलधन भी डूब जाएगा. 

क्रिप्टोकरेंसी vs फॉरेक्स

फॉरेक्स या फॉरेन एक्सचेंज, में निवेशक विदेशी करेंसीज़ में निवेश करते हैं. क्रिप्टोकरेंसी दुनिया भर में कई जगहों पर पेमेंट के तौर पर स्वीकार की जाने वाली करेंसी है और फॉरेक्स में निवेशक भी ग्लोबल बाजार से डील करते हैं. लेकिन जो बड़ा फैक्टर है वो अलग-अलग देशों की आर्थिक स्थिति. निवेशकों को किसी भी फॉरेन करेंसी से अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना तभी होती है, जब उस देश की अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही हो, इसी आधार पर यह देखा जा सकता है कि उन्हें कितना लाभ हो रहा है. ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी के मुकाबले यह माध्यम थोड़ा रिस्की है.

क्रिप्टोकरेंसी vs सोना-चांदी

सोना-चांदी खरीदना हमारे देश की पसंद के अलावा एक परंपरा भी रही है. आज के वक्त में लोग इन बहुमूल्य धातुओं में विशेषतौर पर आभूषण वगैरह खरीदने के लिए लिहाज से निवेश करते हैं. ऐसे में इनकी कीमत तय करने में मार्केट सेंटिमेंट यानी बाजार की धारणा सबसे बड़ी भूमिका निभाता है. अगर रिस्क की बात करें तो इनमें जो निगेटिव पॉइंट है वो है- पोर्टेबिलिटी, इंपोर्ट टैक्स और इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी के साथ ऐसा कुछ नहीं है. ये डिजिटल करेंसी है, न इसे कहीं से लाना-ले जाना है, न ही आपको इसपर कोई इंपोर्ट टैक्स देना है. इसकी सिक्योरिटी भी डिजिलाइज्ड है, ऐसे में इन कारणों से क्रिप्टो, मेटल्स के मुकाबले ज्यादा आसान निवेश माध्यम है.

क्रिप्टोकरेंसी vs फिक्स्ड डिपॉजिट

फिक्स्ड डिपॉजिट तब सही होते हैं, जब आपको कोई लॉन्ट टर्म इन्वेस्टमेंट करना हो. इसमें आपको रिटर्न के लिए मैच्योरिटी तक इंतजार करना पड़ता है. अगर आप रिटर्न के लिए लंबा इंतजार नहीं करना चाहते या एफडी का विकल्प छोड़ रहे हैं तो आप क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर सकते हैं. यहां बाजार में तेजी-से उतार-चढ़ाव आता है और आप तेजी से फैसले ले सकते हैं. यहां बाजार के गिरने पर आप अपना पैसा निकाल सकते हैं. लेकिन एक बात जो जाननी चाहिए वो ये कि एफडी को माइन करने या जेनरेट करने के लिए किसी को अलग से कुछ नहीं करना पड़ता. बस एफडी बनवाई और मैच्योरिटी तक भूल गए. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को सर्कुलेशन में लाने के लिए माइनिंग की जाती है. निवेशकों को इनपर अपना वक्त देना होता है क्योंकि बाजार में काफी अनिश्चितता होती है.

निवेश के ट्रेडिशनल टूल्स में लोग सहज महसूस कर सकते हैं क्योंकि इनकी आदत हैं. वहीं क्रिप्टोकरेंसी का बाजार नया है और इसके अपने अलग फायदे और नुकसान हैं, ऐसे में आपको समझदारी से अपना चुनाव करना चाहिए.

WATCH VIDEO : कॉफी एंड क्रिप्टो : क्रिप्टोकरेंसी में अच्छा क्या है? किस में कर सकते हैं ट्रेडिंग?

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