बिटकॉइन, इथीरियम और डॉजकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) अब मेनस्ट्रीम में चर्चा का विषय बन चुकी है. खासकर पिछले एक साल में क्रिप्टो बाजार को लेकर ज्यादातर लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है. अब तो कुछ कंपनियों ने क्रिप्टोकरेंसी में पेमेंट लेना भी शुरू कर दिया है. वहीं, निवेशक अपनी क्रिप्टोकरेंसी में मिले प्रॉफिट को फ्लैट करेंसी यानी हमारी ट्रेडिशनल करेंसी में कन्वर्ट करा सकते है. हालांकि, ये बात है कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर हमेशा से काफी अनिश्चितता रही है. इनके भविष्य को भी लेकर कई सवाल उठते हैं. सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि क्रिप्टोकरेंसी में हैकिंग, ऑनलाइन फ्रॉड या इसके चोरी होने का कितना डर होता है. जाहिर सी बात है कि फ्लैट करेंसी या कैश की तरह ही ये वर्चुअल करेंसी भी चोरी हो सकती हैं, ऐसे में अपना निवेश सुरक्षित रखने के लिए आपको कुछ चीजों की जानकारी जरूर रहनी चाहिए.
फेडरल ट्रेड कमीशन ने इस साल मई में एक रिपोर्ट में बताया था कि कुछ स्कैमरों ने अक्टूबर, 2020 से टेस्ला के सीईओ इलॉन मस्क बनकर 2 मिलियन डॉलर से ज्यादा यानी लगभग 14.63 करोड़ की क्रिप्टोकरेंसी चुरा ली थी. कंज्यूमर प्रोटेक्शन संस्था के इन आंकड़ों से सामने आया था कि स्कैमरों के चक्करों में 7,000 लोगों को अपनी डिजिटल करेंसी में चूना लगा था. संस्था ने बताया था कि अधिकतर लोगों ने 'झूठे दावे और झूठी गारंटी' में फंसकर अपना निवेश गंवाया था.
दरअसल, क्रिप्टोकरेंसी का कोई नियमन नहीं होना, फ्रॉड की आशंका को और बढ़ा देता है. लेकिन सावधानी बरतकर आप फ्रॉड से बच सकते हैं, क्योंकि ध्यान रखिए कि अपनी वर्चुअल करेंसी की सुरक्षा की जिम्मेदारी आपके सिर पर है.
क्रिप्टो में निवेश करते वक्त स्कैम से कैसे बचेंअगर कोई शख्स, या कोई कंपनी या ग्रुप आपको गारंटी रिटर्न का वादा करता है- जैसे कि अगर वो आपसे कहता है कि वो कुछ निश्चित अवधि में आपके पैसे डबल कर देगा- तो ये बिल्कुल ही एक स्कैम है. कोई भी एक संस्था क्रिप्टो मार्केट में मार्केट की दिशा तय नहीं कर सकती है. वहीं, अगर कोई आपको फ्री मनी के वादे कर रहा है, तो वो भी फ्रॉड हो सकता है. किसी भी कीमत पर आपको ऐसे दावों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए.
ये तो बेसिक पहचान हो गई. लेकिन कुछ ऐसे भी ग्रुप्स होते हैं, जिनका काम ही निवेशकों को स्कैम करना होता है. ऐसे में हमेशा आप अपना निवेश किसी प्रतिष्ठित रजिस्टर्ड क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के साथ करें और वहीं ट्रेडिंग करें. वहीं, अपना निवेश आप कोल्ड वॉलेट में सुरक्षित रख सकते हैं.
अगर आप ट्रेडिंग के लिए किसी कंपनी के साथ डील करने का सोच रहे हैं, तो पहले उसके बारे में अच्छी तरह से रिसर्च कर लीजिए. कंपनी को गूगल करिए. रिव्यू पढ़िए. और देख लीजिए कि उनपर कभी किसी तरह का कोई आरोप नहीं लगा हो. साथ ही यह भी जानना अच्छा होगा कि इसके पहले स्कैमर्स ने निवेशकों को किस-किस तरह से बेवकूफ बनाया है तो इससे आपको स्कैमर्स के तरीकों की जानकारी पता चलेगी.
Cryptocurrency : नहीं, डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी एक ही चीजें नहीं होती हैं, समझिए क्या है फर्क
वॉलेट्स की हैकिंगट्र्रेडर्स अपनी वर्चुअल करेंसी क्रिप्टो वॉलेट्स में रखते हैं और वहीं से डीलिंग करते हैं. वॉलेट्स पर प्राइवेट कीज़ होती हैं, जिससे ये सुरक्षित रहते हैं. कीज़ आपके वॉलेट को हैक होने से बचाते हैं. वॉलेट्स तीन तरह के होते हैं- हॉट वॉलेट, कोल्ड वॉलेट और पेपर वॉलेट. हॉट वॉलेट हमेशा इंटरनेट से कनेक्टेड रहते हैं, इसलिए इन्हें थोड़ा कम सिक्योर माना जाता है. कोल्ड वॉलेट्स यूएसबी ड्राइव या हार्ड ड्राइव में होते हैं. इन्हें बस तब इंटरनेट से कनेक्ट किया जाता है, जब इनके असेट की जरूरत पड़ती है.
वॉलेट्स की हैकिंग से बचाने के लिए एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि हमेशा टू-फैक्टर आइडेंटिफिकेशन प्रोसेस की सेटिंग रखनी चाहिए, क्योंकि आपको अपना वॉलेट सुरक्षित रखना है. अगर कोई आपके वॉलेट में घुस गया तो पूरा वॉलेट खाली हो सकता है.
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