क्रिप्टोकरेंसी बिल (Cryptocurrency) आने में थोड़ी और देरी हो सकती है. जानकारी थी कि बिल के ड्राफ्ट को बुधवार को कैबिनेट के सामने रखा जाएगा, लेकिन सूत्रों ने NDTV को बताया है कि सरकार आज इसे कैबिनेट में नहीं रखेगी. अभी इसमें और बदलाव किए जा सकते हैं. सूत्रों ने बताया कि सरकार क्रिप्टो बिल को लाने में हड़बड़ी नहीं करना चाहती है. यह भी खबर आ रही है कि सरकार ने क्रिप्टो पर नियम-कानूनों को ग्लोबल फ्रेमवर्क के अनुरूप रखने को कहा है.
मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि सरकार बिल में कुछ बदलाव ला सकती है. यहां तक कि संसद के शीतकालीन सत्र के बाद सरकार अध्यादेश का रास्ता अख्तियार कर सकती है.
बता दें कि इसके पहले हमने बताया था कि सरकार क्रिप्टो बिल लाकर क्रिप्टोकरेंसी को क्रिप्टो असेट के तौर पर परिभाषित कर सकती है और इसको करेंसी के विकल्प या रेमिटेंस के लिए पेमेंट सिस्टम के तौर पर इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर सकती है.
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अब तक के अपडेट के मुताबिक, सरकार इस बिल के जरिए एक सरकारी डिजिटल करेंसी लाने का रास्ता भी सुनिश्चित करेगी. जानकारी है कि बिल में आरबीआई की ओर से ऑफिशियल डिजिटल करेंसी (डिजिटल रुपया) जारी करने के लिए एक ग्राउंडवर्क तैयार किया जाएगा, वहीं एक 'डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी' यानी विकेंद्रित बहीखाता तैयार करने के लिए एक फ्रेमवर्क की नींव रखी जाएगी. इस करेंसी को आरबीआई एक्ट के तहत रेगुलेट किया जाएगा.
बता दें कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसी सत्र में जानकारी दी थी कि सरकार एक नए ड्राफ्ट पर काम कर रही है, यानी कि पुराना ड्राफ्ट बनाया गया था और उसमें संशोधन किया जा रहा है. इसके बाद ये जानकारी सामने आई थी कि सरकार ने ड्राफ्ट में 'क्रिप्टोकरेंसी' शब्द को 'क्रिप्टो असेट' से बदल देगी. सूत्रों ने ये भी जानकारी दी थी कि सरकार क्रिप्टो को लीगल टेंडर का दर्जा नहीं देगी, न ही इसे करेंसी का दर्जा दिया जाएगा. इन्हें असेट यानी संपत्ति की तरह देखा जाएगा.
साथ ही ये भी संभव है कि सरकार क्रिप्टो बिल ड्राफ्ट में ऐसा प्रस्ताव दे कि भारत में क्रिप्टो फाइनेंस पर भारत सरकार की ओर से लागू किए गए कानूनों को तोड़ने वाले व्यक्ति और संस्था पर 20 करोड़ तक का जुर्माना और 1.5 साल की जेल हो सकती है.
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