इस साल के शुरुआती सालों में जब मीमकॉइन्स में निवेश करने को काफी सहजता से अपनाया जा रहा था, उस वक्त क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज Binance ने एक नया और कम जोखिम वाला विकल्प बाजार में उतारा. कंपनी ने अपने ग्राहकों को TerraUSD में निवेश करने का आग्रह किया. इस टोकन को स्टेबलकॉइन की तरह प्रमोट किया गया. बाइनेंस ने अपने ग्राहकों से कहा कि यह स्टेबलकॉइन उनको कुछ खास ऑफर कर रहा है- हर साल 20 फीसदी मुनाफे का वादा. बाइनेंस ने इस बात के संकेत दिए कि TerraUSD "सुरक्षित" और "ज्यादा मुनाफा देने वाला" है. हालांकि, टेरा न तो सुरक्षित निकला न ही मुनाफे वाला.
आलोचकों का कहना है कि यह कॉइन पॉन्जी स्कीम निकली. इसके चलते क्रिप्टोवर्स में ऐसा भूचाल आया कि बिटकॉइन में फिर रिकॉर्ड गिरावट आ गई. दुनियाभर की कंपनियां कर्मचारियों को नौकरी से निकालने लगीं और ग्राहकों के विदड्रॉल पर रोक लगा दी. बिटकॉइन नवंबर में जिस स्तर पर था, उसके मुकाबले इसमें लगभग 70 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. बाजार की हालत देखकर इसे क्रिप्टो विंटर तक का नाम दे दिया गया है.
बाइनेंस के सीईओ का अलग है सोचना
निवेशकों के साथ-साथ बाइनेंस को भी इससे काफी नुकसान हुआ है. 16 मई को कंपनी के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर Changpeng Zhao, जोकि क्रिप्टो की दुनिया के सबसे अमीर शख्स हैं, उन्होंने बताया कि टेरा से जुड़े उनके स्टेक में कितना नुकसान हुआ है. कंपनी का स्टेक 1.6 बिलियन डॉलर से गिरकर जीरो पर आ गया था. हालांकि Bloomberg के मुताबिक झाओ का कहना था कि "मेरे बारे में कुछ बातें जान लेनी चाहिए.... मैं पैसों के बारे में बहुत फिक्र नहीं करता." टेरा के गिरने के बाद भी झाओ का रवैया ऐसा ही था. उनका कहना था कि बाजार से कोई निकल नहीं रहा है, सब जमे हुए हैं, ये दृढ़ता है और बाजार आगे ही बढ़ रहा है.
झाओ के इस बयान को बहुत वेटेज नहीं मिल पाता, क्योंकि वो क्रिप्टोवर्स के सबसे अमीर शख्स हैं. क्रिप्टोवर्स- जो खुद बस पैसा-पैसा करने वाली दुनिया है. ऊपर से झाओ को लेकर कई तरह के ओपिनियन हैं- कोई उन्हें डिजिटल करेंसी की दुनिया में क्रांति लाने वाला बताता है, दुनिया के स्टॉक एक्सचेंजेज़ को हटाने वाले विकल्प तैयार करने वाला देखता है, तो कोई यह भी कहता है कि वो दुनिया का सबसे बड़ा अवैध कसीनो चला रहे हैं.
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इस साल जनवरी में दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में शामिल थे, कम से कम पेपर पर ही सही. Bloomberg Billionaires Index के मुताबिक अब उनकी संपत्ति बिटकॉइन के गिरने के साथ, 96 बिलियन डॉलर से 11 बिलियन डॉलर पर आ गई है.
बाइनेंस की मुश्किलें
झाओ हमेशा से एक जगह पर टिकने वाले इंसान नहीं रहे हैं. पिछले साल वो दुबई शिफ्ट हो गए हैं. जहां उन्होंने अपने लिए अपार्टमेंट लिया है, एक मिनीवैन ली है और एक ऑफिस भी सेटअप कर लिया है. चीनी मूल के कनाडाई नागरिक झाओ 12 साल की उम्र में वेंकूवर में शिफ्ट हुए थे और मॉन्ट्रियल की मैकगिल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में डिग्री ली. उन्होंने टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज के लिए कोडिंग की. फिर न्यूयॉर्क में ब्लूमबर्ग एलपी के लिए काम किया. फिर शंघाई चले गए. 2017 में वहां बाइनेंस की नींव रखी. हालांकि, चीनी सरकार के क्रिप्टो के खिलाफ एक्शन के बीच उनका यह बयान आया कि उनका शंघाई में कोई ऑफिस नहीं है.
क्रिप्टो इंडस्ट्री का मनी लॉन्डरिंग, फ्रॉड और हैकिंग शुरू से ही हिस्सा रहे हैं. बहुत ही सम्मानजनक क्रिप्टो प्रोजेक्ट्स को भी अकसर शक्की निगाहों से गुजरना पड़ता है, लेकिन बात जब बाइनेंस की आती है तो इसकी रेपुटेशन अपने आप में काफी कुछ कह जाती है, फिलहाल कंपनी लगभग हर अमेरिकी वित्तीय नियामक एजेंसी की जांच का सामना कर रही है. डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस, कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमीशन, इंटरनल रेवेन्यू सर्विस और सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन सभी इसके खिलाफ केस खोलकर बैठे हुए हैं.
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बाइनेंस इन जांचों को ऐसे दिखाता है जैसे कि वो किसी सरकार के साथ इस मायने में डील कर रहा हो जैसे कि सरकार को क्रिप्टो का कुछ खास आइडिया नहीं है और कंपनी इस लिहाज से पूरे खुले दिल से उसकी जांच में मदद कर रही हो. हालांकि, यह साफ नहीं है कि जांच एजेंसियां भी ऐसा ही खयाल रखती हैं.
इस साल जून में रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि बाइनेंस का इस्तेमाल 2.35 बिलियन डॉलर की लॉन्डरिंग करने के लिए किया गया था, जिसमें डार्क वेब के ड्रग मार्केट, नॉर्थ कोरिया के हैकिंग ग्रुप्स और स्कैमर्स का पैसा शामिल था. बाइनेंस की जांच अब SEC भी कर रहा है, जिसमें आरोप हैं कि कंपनी 2017 के ICO के दौरान कंपनी ने गैर-रजिस्टर्ड प्रतिभूतियां बेची थीं और इनसाइडर ट्रेडिंग में लिप्त थी.
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