केरल मानव बलि केस के मास्टरमाइंड ने सोशल मीडिया पर खुद को "श्रीदेवी" के रूप में पेश किया

पुलिस का कहना है कि लैला सिंह और शफी दोनों ने दो पीड़ितों में से एक का यौन शोषण किया और प्रताड़ित किया और उसे मार डाला. पुलिस ने कहा, शफी एक मनोरोगी और विकृत इंसान है जिसे क्रूर हरकतें करने में मजा आता है. 

केरल मानव बलि केस के मास्टरमाइंड ने सोशल मीडिया पर खुद को

पुलिस नरभक्षण के दावों की भी जांच कर रही है.

हैदराबाद:

केरल "मानव बलि" मामले में मास्टरमाइंड मोहम्मद शफी ने सोशल मीडिया पर खुद को एक महिला के रूप में पेश किया और आरोपी भगवल सिंह से दोस्ती की. पुलिस ने कहा कि उसके अकांउट का नाम "श्रीदेवी" था जहां उसने फूलों की तस्वीरों को अपने डीपी के रूप में इस्तेमाल किया. पुलिस के सूत्रों ने कहा कि बाद में, उसने एक पवित्र व्यक्ति का रूप धारण किया और दंपति को दुर्भाग्य से छुटकारा दिलाने और उन्हें वित्तीय समृद्धि की ओर ले जाने के लिए पूजा और अनुष्ठान करने की पेशकश की.

पुलिस ने यह भी कहा कि इस बात के संकेत हैं कि भगवल सिंह की पत्नी लैला के साथ उसके शारीरिक संबंध थे. एक अधिकारी ने कहा, फिलहाल वे और सबूत की तलाश में हैं. ऐसी खबरें हैं कि आरोपी दंपति के वकील ने नरभक्षण की किसी भी संभावना से इनकार किया है. हालांकि पुलिस इस मामले को नरभक्षण के एंगल से भी देख रही है. इन तीनों पर दो महिलाओं की हत्या में शामिल होने का आरोप है, जिसका पुलिस को इस सप्ताह के शुरू में पता चला था.

पुलिस का कहना है कि लैला सिंह और शफी दोनों ने दो पीड़ितों में से एक का यौन शोषण किया और प्रताड़ित किया और उन्हें मार डाला. पुलिस ने कहा, शफी एक मनोरोगी और विकृत है जिसे क्रूर हरकतें करने में मजा आता है. पुलिस ने कल अदालती कार्यवाही के दौरान दोनों हत्याओं में घटनाओं के बारे में बताया. रोसलिन और पद्मा पर किए हमले एक जैसे ही थे.

सूत्रों ने कहा कि दोनों महिलाओं के प्राइवेट पार्ट्स में चाकू डाले गए थे, उनका गला काटा गया था, शवों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए थे और उन्हें दफना दिया गया था. सूत्रों ने कहा कि भगवल सिंह ने शव को दफनाने से पहले रोजलिन के स्तन काट दिए थे. घटनाओं का क्रम अब तक ज्यादातर इकबालिया बयानों से आया है. पुलिस एक आरोपी द्वारा किए गए नरभक्षण के दावों की भी जांच कर रही है.

अदालत ने कल आरोपी को न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश दिया था. लेकिन पुलिस ने आज एक हिरासत आवेदन दायर किया, जिसमें कहा गया था कि यह पता लगाने के लिए विस्तृत पूछताछ की आवश्यकता है कि क्या और भी पीड़ित हैं. केरल की अदालत ने कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया ने भी अंधविश्वास विश्वासों को बढ़ाया है.

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देश को झकझोर देने वाले मानव बलि मामले का जिक्र करते हुए न्यायिक दंडाधिकारी एल्डोस मैथ्यू ने अपने आदेश में कहा, "हालांकि हमारे संविधान की भावना वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने की है, फेसबुक, मोबाइल फोन, यूट्यूब जैसे आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है. हमारे अजीब विश्वासों, अंधविश्वासों, कर्मकांडों आदि को फैलाने के लिए. वास्तव में, जब विज्ञान और प्रौद्योगिकी हमारे समाज को प्रगति और विकास की ओर ले जाती है, तो ऐसे अंधिवश्वासी कृत्य समाज को पीछे कर देते हैं."

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