पकड़ा गया ऑन डिमांड कार चोरी करने वाला, आरोपी की थी 'कार राजा' बनने की चाहत

आरोपी कुणाल सन 2013 से लग्जरी कारें चोरी कर रहा था, चोरी की कारों को यूपी और कश्मीर में बेच देता था

पकड़ा गया ऑन डिमांड कार चोरी करने वाला, आरोपी की थी 'कार राजा' बनने की चाहत

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे कार चोर को पकड़ा है जो एक कारोबारी परिवार से है. वह नामी स्कूल में पढ़ा है, लेकिन मौज मस्ती और ऐशो आराम की ज़िंदगी गुजारने के लिए वह लगातार कार चोरी कर रहा था. वह चाहता था कि हर कोई उसे 'कार राजा' नाम से जाने. उसका कार चुकाने का तरीका भी अलग था. आरोपी कुणाल के खिलाफ पहले से चोरी के 10 मामले दर्ज हैं.

उत्तरी दिल्ली के डीसीपी सागर सिंह कलसी के मुताबिक सिविल लाइंस इलाके के रहने वाले श्वेतांक अग्रवाल ने 10 जनवरी को शिकायत देकर बताया कि उनके घर के बाहर से किसी ने उनकी टोयोटा फार्च्यूनर कार चोरी कर ली है. पुलिस ने केस दर्ज करके जांच की. पता चला कि इस इलाके में कुणाल नाम का एक शख्स है जो कारें चोरी कर रहा है. एक सूचना के बाद उसे कश्मीरी गेट इलाके से हुंडई क्रेटा कार के साथ पकड़ लिया गया. 

जांच में पता चला कि क्रेटा कार की रजिस्ट्रेशन प्लेट का नंबर इंजिन और चेसिस नंबर से मैच नहीं हो रहा है. इसके बाद पुलिस ने 42 साल के कुणाल को गिरफ्तार कर लिया. उससे पूछताछ के बाद उसके पास से चोरी की एक और क्रेटा कार, दो स्विफ्ट कार, कई रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट, ईसीएम मशीन, कारों की चाबियां और कार चोरी करने के उपकरण बरामद किए. 

आरोपी कुणाल ने पूछताछ में बताया कि वह 2013 से लग्जरी कारें चोरी कर रहा है. चोरी के बाद वह इन कारों को यूपी और कश्मीर में बेच देता था. उसने बताया हर राज चोरी की नई कार से घूमता था और मौजमस्ती करता था. उसके पिता की अमर कॉलोनी में एक दुकान है. वह एक कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ा है. उसे 100 कारें चोरी करके 'कार राजा' बनने का शौक था.

पुलिस के मुताबिक कुणाल डिमांड के हिसाब से कारें चोरी करता था. पहले वोह देखता था कि डिमांड के हिसाब से उस मॉडल और उस कलर की कार है कि नहीं, फिर वह उसी मॉडल की एक दूसरी कार की रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट चोरी करता था. फिर दूसरे इलाके से कार चोरी करके असली रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट की जगह चोरी की कार में चोरी की हुई दूसरी कार की नंबर प्लेट लगाता था. इससे चोरी की हुई कार का पता कर पाना मुश्किल होता था, क्योंकि चोरी की हुई रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट का कोई डेटा नहीं होता. 

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चोरी के बाद वह कार को किसी पार्किंग में खड़ी कर देता था जिससे अगर उसमें जीपीएस लगा होगा तो पुलिस उसे ट्रेस कर लेगी. लेकिन जब ऐसा नहीं होता था तो फिर वह अलग-अलग जगहों से लोगों को चोरी की कार की सप्लाई करता था. चोरी की कार में वह एक्सीडेंट में बेकार हो चुकी कारों का चेसिस और इंजन नंबर डाल देता था.