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This Article is From Mar 25, 2025

साइबर क्राइम पुलिस ने ‘UPI हाईजैक’ घोटाले का किया भंडाफोड़, दो मुख्य आरोपी गिरफ्तार

पुलिस के अनुसार, ये दोनों आरोपी 100 से अधिक UPI धोखाधड़ी के मामलों से जुड़े हैं. वे चोरी हुए फोनों से प्राप्त आधार कार्ड की तस्वीरें, बैंकिंग डिटेल्स और संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग करते थे. 

साइबर क्राइम पुलिस ने ‘UPI हाईजैक’ घोटाले का किया भंडाफोड़, दो मुख्य आरोपी गिरफ्तार
नई दिल्ली:

साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, आउटर नॉर्थ दिल्ली ने एक संगठित साइबर अपराध नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए ‘UPI हाईजैक' घोटाले का भंडाफोड़ किया है. इस घोटाले में चोरी या गुम हुए मोबाइल फोनों का उपयोग कर बैंकिंग एप्लिकेशनों को हैक किया जाता था और लाखों रुपये की धोखाधड़ी की जा रही थी. इस मामले में दो मुख्य आरोपियों, गगन और अजीत शर्मा को गिरफ्तार किया गया है. दोनों दिल्ली के निवासी हैं और साइबर अपराध को अंजाम देते थे.

घोटाले की शुरुआत और शिकायत
यह मामला तब सामने आया जब 15 नवंबर 2024 को नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग (NCRP) पोर्टल पर ₹20 लाख की धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज की गई. पीड़ित ने बताया कि 8 नवंबर 2024 को बाजार से घर लौटते समय उनका Realme 9i मोबाइल फोन गुम हो गया. 12 नवंबर को नया सिम कार्ड लेने के बाद उन्हें अपने बैंक खाते से ₹20 लाख की अवैध निकासी के मैसेज प्राप्त हुए. इसके बाद साइबर पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की. संदिग्ध नंबरों और बैंक खातों की डिटेल्स के आधार पर वृंदावन और दिल्ली में छापेमारी की गई, जिसके परिणामस्वरूप गगन और अजीत की पहचान हुई.

घोटाले का तरीका
पुलिस जांच में पता चला कि यह एक सुनियोजित साइबर अपराध था. गगन चोरी या गुम हुए मोबाइल फोन खरीदता था और ऑनलाइन ट्यूटोरियल्स की मदद से उन्हें फैक्ट्री रिसेट कर सुरक्षा फीचर्स को बायपास करता था. यदि फोन में बैंकिंग ऐप्स लॉग इन रहते थे, तो आधार-लिंक्ड ऑथेंटिकेशन का उपयोग कर नया UPI PIN सेट किया जाता था. इसके बाद धोखाधड़ी से पैसे फर्जी खातों में ट्रांसफर किए जाते थे. अजीत इस राशि का प्रबंधन करता था और पहली निकासी पर 20% कमीशन लेता था, जो बाद में 40% तक बढ़ जाता था. पैसे निकालने के बाद फोन को सस्ते दामों पर बेच दिया जाता था या अगले घोटाले में उपयोग किया जाता था.

पहले भी जेल जा चुके हैं आरोपी
गगन दिल्ली का निवासी है वो आई.पी. यूनिवर्सिटी से B.Tech ड्रॉपआउट है. वह पहले जुआ खेलने के मामलों में शामिल रहा था और यूट्यूब ट्यूटोरियल्स से मोबाइल अनलॉक करने की ट्रेनिंग ले चुका था. दूसरी ओर, अजीत शर्मा, निहाल विहार का निवासी, दिल्ली विश्वविद्यालय से B.A. ड्रॉपआउट है. वह पहले ओला फूड्स में मैनेजर के पद तक पहुंचा था, लेकिन बाद में इस घोटाले में सक्रिय हो गया.

पुलिस के अनुसार, ये दोनों आरोपी 100 से अधिक UPI धोखाधड़ी के मामलों से जुड़े हैं. वे चोरी हुए फोनों से प्राप्त आधार कार्ड की तस्वीरें, बैंकिंग डिटेल्स और संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग करते थे. 

पुलिस ने लोगों को सावधान रहने की सलाह दी है. यदि आपका मोबाइल फोन गुम हो जाता है और वह बैंक खातों से लिंक है, तो तुरंत बैंक खाते, वॉलेट्स और कार्ड्स ब्लॉक करें, सिम कार्ड को निष्क्रिय करवाएं और IMEI नंबर को ceir.gov.in पर ब्लॉक करें.

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